Last Updated on February 18, 2020 by admin
कामधेनु रस क्या है ? : What is Kamdhenu Ras in Hindi
कामधेनु रस टैबलेट के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि है । कामधेनु रस बल, वीर्यवर्धक पौष्टिक रसायन है । इस औषधि का उपयोग प्रमेह ,शुक्रमेह इत्यादि शुक्र रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
कामधेनु रस के घटक द्रव्य : Kamdhenu Ras Ingredients in Hindi
शुद्ध गंधक – 100 ग्राम,
सुपक्व आंवले का चूर्ण – 100 ग्राम,
भावनार्थ – आंवला स्वरस, एवं शाल्मली (सेमर) स्वरस अवश्यकतानुसार ।
प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- शुद्ध गंधक : रक्त शोधक, श्लेष्म निस्सारक, जन्तुघ्न, सारक, बृष्य (पौष्टिक, बलदायक), बल्य।
- आंवला : चाक्षुष्य (नेत्र संबंधी), सर्व दोषघ्न, बल्य, बृष्य, रसायन।
- शाल्मली (सेमर) : बृष्य, बल्य, ग्राही, शुक्र बर्धक, रक्तपित्तशामक।
कामधेनु रस बनाने की विधि :
नई फसल के आंवलों का वस्त्रपूत चूर्ण 100 ग्राम अभाव में अच्छे पुष्ट पके हुए ताजे आमलों का पल्प (गूदा) 400 ग्राम पत्थर के खरल में सूक्ष्म हो जाने तक खरल करें फिर गंधक मिलाकर आंवले के स्वरस की सात भावनाएँ दें उसके उपरान्त शाल्मली स्वरस की सात भावनाएँ दें। सूख जाने पर काँच की बोतल में सुरक्षित कर लें।
कामधेनु रस की खुराक : Dosage of Kamdhenu Ras
250 मि.ग्रा. से 500 मि.ग्रा. प्रातः सायं भोजन से पूर्व ।
अनुपान (जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाए) :
शीतल जल, दूध अथवा रोगानुसार।
कामधेनु रस के फायदे और उपयोग : Uses & Benefits of Kamdhenu Ras in Hindi
मैथुन शक्ति हीनता में लाभकारी है कामधेनु रस का सेवन
यह लघु और सुलभ योग अत्यन्त कामशक्ति बर्धक, रसायन है। 500 मि.ग्रा. की मात्रा प्रातः सायं दूध से सेवन करवाने से एक सप्ताह में अपना प्रभाव दिखाता है। एक मण्डल सेवन से वाजीकरण होता है। जिन रोगियों को वृक्क (किडनी) कार्याक्षमता,अथवा यकृत(लिवर) कार्याभाव के कारण रसौषधियों का सेवन नहीं करवाया जा सकता हो वहाँ ‘काम धेनु’ का सेवन करवाने से लाभ मिलता है।
सहायक औषधियों में गोक्षुरादि चूर्ण, अश्वामलकी, मूसल्यादि चूर्ण, अश्वगंघादि चूर्ण का प्रयोग करवा सकते हैं।
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अम्ल पित्त में आराम दिलाए कामधेनु रस का सेवन
अम्ल पित्त की बृद्धावस्था में जब भोजन करने पर छर्दि (उल्टी) हो जाती है दूध से भी छर्दि होती है, पानी भी नहीं पचता तब 500 मि.ग्रा. की मात्रा में कामधेनु शीतल जल अथवा मधु से देने से तत्काल लाभ होता है। छर्दि बन्द हो जाती है अम्लत्व कम हो जाता है। एवं अग्नि सामान्य हो जाती है।
सहायक औषधियों में स्वर्ण सत शेखर रस, कामदुधा रस, प्रवाल पंचामृत।
प्रमेह ठीक करे कामधेनु रस का प्रयोग
सभी प्रकार के प्रमेहों विशेषतः पित्तज प्रमेहों में काम धेनु एक सफल औषधि है। यह औषधि, अग्नि वृद्धि और शुक्र वृद्धि करके प्रमेह में लाभ पहुँचाती है, 250-500 मि.ग्रा. की मात्रा में प्रात: सायं हरिद्रा आमलकी क्वाथ से देने से एक सप्ताह में ही अपना प्रभाव दिखाती है।
सहायक औषधियों में प्रमेह गज केसरी, सर्वेश्वर रस, चन्द्र प्रभावटी इत्यादि का प्रयोग भी करवायें। चिकित्सा कालावधि एक मण्डल।
मधुमेह रोग में कामधेनु रस से फायदा
मधुमेह की बढ़ी हुई अवस्था में जब ब्लड शुगर फास्टिग 300 या इसके ऊपर हो और पाँव में व्रण बन गये हों अथवा पिडिकाओं (फोड़िया) की उत्पत्ती हो कामधेनु 500 मि.ग्रा., सर्वेश्वररस 100 मि.ग्रा. प्रातः सायं निशामलकी क्वाथ के साथ दें। न्यग्रोधादि चूर्ण 3 ग्राम, वसन्त कुसुमकर रस एक गोली, चन्द्र प्रभावटी एक गोली दोपहर को और रात के भोजन के एक घण्टे बाद दें। इस चिकित्सा से निचित रूप से ब्लड शूगर का स्तर नीचे आ जाता है। चालीस दिन तक सेवन कराने उपरान्त रोगी और रोग की समीक्षा करके औषधि में परिवर्तन किया जा सकता है।
श्वेत प्रदर मिटाए कामधेनु रस का उपयोग
कामधेनु 250-500 मि.ग्रा. प्रातः सायं एक पके हुये केले में चीरा लगा कर उसके बीच बुरक दे। रोगिनी को यह केला प्रात: सायं भोजन से पूर्व खिला दें। अनुपान में दूध दें, इस चिकित्सा से एक सप्ताह में रुग्णा को लाभ होगा चालीस दिन तक सेवन करने से श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है।
( और पढ़े – श्वेत प्रदर के 28 घरेलू इलाज )
मासिकधर्म का अनियमित में कामधेनु रस के इस्तेमाल से फायदा
कामधेनु असृग्दर (मासिकधर्म का अनियमित या अधिक होना) में एक महत्त्वपूर्ण औषधि है । गर्भाशय ग्रंथि (गाँठ या ट्यूमर) अथवा गर्भाशयाबुर्द जन्य असृग्दर के अतिरिक्त सभी योनिगत रक्त स्रावों पर इसका तुरन्त प्रभाव होता है। 500 मि.ग्रा. की दो से तीन मात्रा में शीतल जल से प्रथम पाँच दिवस उसके उपरान्त प्रातः सायं दें. एक मण्डल तक प्रयोग करवाने से रोग से मुक्ति मिल जाती है।
सहायक औषधियों में कामदुधा रस, बोल पर्पटी, तृण कान्त मणि पिष्टी, अशोकारिष्ट, लोघ्रासव, पत्रांगासव का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
जीर्ण ज्वर में कामधेनु रस से फायदा
ज्वरों की उचित चिकित्सा न होने के फलस्वरूप तीन सप्ताह के उपरान्त भी बने रहने वाला ज्वर जीर्ण ज्वर कहलाता है वास्तव में ऐसे ज्वर राज यक्ष्मा की प्रारम्भिक अवस्था होते हैं। यदि उचित चिकित्सा मिल जाये तो यह ठीक हो जाते हैं वरन् राजयक्ष्मा में परिवर्तित हो जाते हैं। मन्द ज्वर जो सायं काल एक डिग्री बढ़ जाता है, कास(खाँसी), अरुचि, हस्त पाद दाह, कार्य इत्यादि लक्षणों के होने पर कामधेनु 500 मि.ग्रा. प्रातः सायं देने से ज्वर शान्त हो जाता है जाठराग्नि की वृद्धि से अन्य धात्वाग्नियां भी बढ़ती है।
सहायक औषधियों में च्यवन प्राश अवलेह, द्राक्षारिष्ट, श्री जय मंगल रस, स्वर्ण वसन्त मालती रस, विन्धवासी योग, सितोपलादिचूर्ण का प्रयोग भी करवाना चाहिये।
कामधेनु रस के दुष्प्रभाव : Kamdhenu Ras Side Effects in Hindi
कामधेनु रस पूर्ण रूपेन निरापद औषधि है, किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया की सम्भावना नहीं, फिर भी इसे आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले ।
कामधेनु रस का मूल्य : Kamdhenu Ras Price
- Baidyanath Kamdhenu Ras (40Tablet) (PACK OF 2) – Rs 193
- Sri Sri Tattva Kamadudha Rasa – 25 Tablets – Rs 150
कहां से खरीदें :
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)