Kanak Sundar Ras ke Fayde | कनक सुंदर रस के फायदे ,उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on May 1, 2020 by admin

कनक सुंदर रस क्या है ? : What is Kanak Sundar Ras in Hindi

कनक सुंदर रस टेबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इस आयुर्वेदिक औषधि का विशेष उपयोग दस्त, अपच ,अग्निमांद्य के साथ बुखार के उपचार में किया जाता है।

घटक एवं उनकी मात्रा :

  • शुद्ध पारद – 10 ग्राम,
  • शुद्ध गन्धक – 10 ग्राम,
  • काली मिर्च – 10 ग्राम,
  • शुद्ध टंकण – 10 ग्राम,
  • धतूरे के बीज – 10 ग्राम,
  • अभ्रक भस्म – 10 ग्राम,
  • भावनार्थ भारंगी – 25 ग्राम,

प्रमुख घटकों के विशेष गुण:

  1. कजली : जन्तुघ्न, योगवाही, रसायन।
  2. काली मिर्च : तीक्ष्ण, उष्ण, पाचक, रोचक, दीपक।
  3. टंकण : सारक, लेखन, कफन, विषघ्न ।
  4. धतूरे के बीज : रुक्ष, मादक, स्तम्भक, कफवात नाशक।
  5. अभ्रक भस्म : धात्वाग्नि बर्धक, मज्जाप्रसादक, बल्य, रसायन।
  6. भारंगी : वातकफ नाशक, कासघ्न।

कनक सुंदर रस बनाने की विधि :

सर्व प्रथम पारद गंधक की निश्चन्द्र कजली करवाएँ और काली मिर्च, टंकण तथा धतूरे के बीज मिलाकर भारंगी के क्वाथ में 12 घण्टे खरल करवाएँ जब गाढ़ा हो जाए तो अभ्रक भस्म मिला कर 100 मि.ग्रा. की गोलियाँ बनवा लें।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

कनक सुंदर रस की खुराक : Dosage of Kanak Sundar Ras

एक से दो गोली दिन में तीन बार

अनुपान :

शीतल या उष्णोदक (गरम पानी) ।

कनक सुंदर रस के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Kanak Sundar Ras in Hindi

दस्त में कनक सुंदर रस का उपयोग फायदेमंद (Kanak Sundar Ras Uses to Cure Diarrhoea in Hindi)

वातातिसार, श्लेष्मातिसार, भयज एवं शोकज अतिसार, वृद्धों के अतिसार एवं प्रवाहिका में कणक सुन्दर रस लाभदायक है।

सहायक औषधियों में अग्नि कुमार रस, कर्पूर रस, चित्रकादि वटी, लशुनादि वटी, कुटजघन वटी तथा कुटजारिष्ट का प्रयोग लाभप्रद है।

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श्वास रोग में आराम दिलाए कनक सुंदर रस का सेवन (Benefits of Kanak Sundar Ras in Asthma in Hindi)

तमक श्वास के वेग काल में ‘कणक सुन्दर रस’ उष्णोदक (गरम पानी) या मधु अदरक रस के साथ देने से शिघ्र लाभ होता है। श्वास कष्ट में कमी आती है। कफ ढीला होकर निकलने लगता है।

सहायक औषधियों में सोमयोग, श्वास कास चिन्तामणि रस, का प्रयोग करवाएँ।
विराम काल में समीर पन्नग रस, तालीसादि चूर्ण, मल्ल सिन्दूर, ताल सिन्दूर, अग्नि कुमार रस का प्रयोग करवाने से धीरे-धीरे विराम काल लम्बा हो जाता है। और अन्त में श्वास रोग से मुक्ति मिल जाती है।

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खाँसी दूर करने में मदद करता है कनक सुंदर रस का सेवन (Kanak Sundar Ras Benefits in Cough Treatment in Hindi)

कफज खाँसी में ‘कनक सुंदर रस’ का प्रयोग सफलता से होता है, दो दो गोली दिन में दो बार मधु अदरक स्वरस में देने से दो दिन में ही खाँसी शान्त हो जाती है, कफ तरल होकर निकलने लगता है और नवीन कफ की उत्पत्ती नहीं होती।

सहायक औषधियों में तालीसादि चूर्ण, ताल सिन्दूर, समीर पन्नग रस, शिला सिन्दूर इत्यादि कल्पों का प्रयोग होता है। तम्बाकू सेवन करने वालों की कास (खाँसी) और वृद्धों की कास एवं जीर्ण कास में ‘कनक सुंदर रस’ के अच्छे परिणाम मिलते हैं। परन्तु अधिक रूक्षता से वायु की वृद्धि न हो जाए इस बात का ध्यान अवश्य रखें।

सोम रोग मिटाए कनक सुंदर रस का उपयोग (Constant Urination in Women – Som Rog)

सोम रोग होने पर महिला की योनि से शीतल, गंध रहित, सांफ और सफेद तथा पीड़ा रहित जल अत्यधिक मात्रा में निकलता है ।
महिलाओं के सोम रोग में ‘कनक सुंदर रस’ के सेवन से अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसकी एक गोली प्रातः सायं दूध से दें ।

सहायक औषधियों में चन्द्राशुं रस, प्रदरान्तक लोह, प्रदरारि लोह, सोमनाथ रस, अशोकारिष्ट इत्यादि का प्रयोग करवायें।

बदन दर्द दूर करे कनक सुंदर रस का प्रयोग (Kanak Sundar Ras Benefits to Cure Body Pain in Hindi)

वायु की वृद्धि से प्रायशः प्रौढ़ महिलाओं में सर्वाङ्ग वेदना होती है। कभी शरीर के एक अंग में कभी दूसरे अंग में कभी समस्त शरीर में कुछ कोमल प्रकृति के पुरुषों में ऐसी वेदनाएँ होती है। कनक सुंदर रस की दो गोलियां, प्रात: सायं दूध से देने से दूसरे दिन से ही लाभ होने लगता है। अनुपान के दूध में यदि एक दो चम्मच शुद्ध घृत मिला दिया जाए तो और अधिक लाभ मिलता है।

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सर्दी जुकाम मिटाए कनक सुंदर रस का उपयोग

शर्दी जुकाम, इन्फल्यूजा, निमोनिया, ब्रोंकायटिस, उर्ध्वजत्रु के रोग जो वात कफज प्रकृति के होते हैं । उन सभी रोगों में ‘ कणक सुन्दर रस ‘ एक सफल औषधि है। यह नासा स्राव, अक्षिस्राव (आँखों से पानी बहना) , लालास्राव (मुँह से लार बहना) तथा कफ का शोषण करके, श्वास प्रणाली के स्रोतो रोध को समाप्त करके लाभ पहुंचाता है । वेदनाओं को शान्त करता है और अपने मादक प्रभाव के कारण मनः प्रसादन (मन को प्रसन्न करनेवाला) भी करता है।

सहायक औषधियों में समीर पन्नग रस, कल्पतरु रस, त्रिभुवन कीर्ती रस, कण्टकार्यावलेह, चित्रक हरीतकी का प्रयोग करवाना चाहिए।

ग्रहणी रोग में कनक सुंदर रस से फायदा

आयुर्वेद में IBS (पेट खराब) को ग्रहणी रोग कहा गया है। ग्रहणी का मतलब होता है भोजन को ग्रहण करके पाचन प्रक्रिया के सभी चरणों को पूरा करना एवं खाने को नीचे जाने से रोकना।
कफज ग्रहणी के रोगियों के लिये कणक सुन्दर रस एक उपयोगी औषधि है। इसकी एक गोली प्रातः सायं छाछ के अनुपान से दें। यह कल्प अग्निबर्धक, ग्राही, मनःप्रसादक और रुक्ष है, अत: यह मल की तरलता एवं मल त्याग की शीघ्रता कम होने लगती है।

सहायक औषधियों में नृपतिवल्लभ रस, चित्रकादि वटी, चिंचाभल्लातकवटी कर्पूर रस इत्यादि का भी प्रयोग करवाना चाहिए। स्वर्ण वसन्त मालती रस अग्निबर्धक और रसायन होने से ग्रहणी रोग में एक प्रभावशाली कल्प है अत: ग्रहणी रोगियों को स्वर्ण वसन्त मालती रस का प्रयोग अवश्य करवाना चाहिये।

कनक सुंदर रस के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ : Kanak Sundar Ras Side Effects in Hindi

  • कनक सुंदर रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • कनक सुंदर रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
  • कणक सुन्दर रस एक आशुकारी परन्तु उग्रयोग है । मात्रा से अधिक सेवन से नासिका, जिह्वा, तालु, कण्ठ में शुष्कता प्रतीत होती है। अतः इसका प्रयोग सदैव लघु मात्रा से प्रारम्भ करके धीरे-धीरे रोगी की सहन शक्ति के अनुसार मात्रा बढ़ानी चाहिए। उपरोक्त लक्षण अधिक हो तो एक दो दिन के लिए औषधि बन्द कर देनी चाहिए।
  • कणक सुन्दर रस रसौषधि है अतः रस सेवन काल में लिए जाने वाले पूर्वोपाय इसमें भी लेने चाहिये।

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