Last Updated on July 27, 2022 by admin
किडनी फेल होने से क्या होता है ?
आपने यह कहावत सुनी ही होगी- Prevention is better than cure. रिनल फैल्योर के मामले में यह सौ प्रतिशत ठीक बैठती है क्योंकि एक तो किडनी(गुर्दो) की क्षति जब लगभग 90 प्रतिशत हो जाती है तब इसके लक्षण उत्पन्न होते हैं और दूसरा गुर्दो का जो भाग क्षति ग्रस्त हो गया उसका फिर जीर्णोद्धार नहीं हो पाता और रोगी को डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की ओर जाना पड़ता है। यहां हम कुछ खास बिन्दुओं पर बात कर रहे हैं जिनका ध्यान रखने से रिनल फैल्योर से बचा जा सकता है या रोग की गति को धीमा किया जा सकता है।
किडनी की सुरक्षा के उपाय (kidney ko healthy rakhne ke upay)
1. नियमित जांच – जिन लोगों के परिवार के इतिहास में मधुमेह, उच्च रक्तचाप या रिनल फैल्योर से पारिवारिक सदस्य पीड़ित रहे हों उन्हें नियमित रूप से पेशाब और रक्त की जांच कराते रहना तथा रक्तचाप मापते रहना चाहिए। रक्त में शर्करा का बढ़ा हुआ स्तर तथा उच्च रक्तचाप की स्थिति जब लम्बी समयावधि तक बनी रहती है तो किडनी(गुर्दो) की रक्तवाहिनियां क्षतिग्रस्त होकर रिनल फैल्योर की स्थिति का निर्माण करती हैं।
2. मधुमेह का उपचार – यदि मधुमेह या उच्च रक्तचाप की शिकायत हो चुकी है तो इन दोनों बीमारियों को डॉक्टर की देखरेख में उचित औषधियों एवं खानपान पर नियन्त्रण रखते हुए नियन्त्रित रखना चाहिए।
3. LDL कोलेस्टेरॉल की उचित मात्रा – रक्त में LDL कोलेस्टेरॉल 100mg/dl से नीचे, ट्राइग्लीसराइड्स 150mg/dl से नीचे तथा HDL कोलेस्टेरॉल 50mg/dl से ऊपर रहना जरूरी होता है।
4. धूम्रपान – धूम्रपान तथा अन्य प्रकार से तम्बाकू का सेवन का पूर्णतः त्याग करना चाहिए।
5. पेशाब की जांच – थकान, घबराहट या शरीर में पानी एकत्रित हो पैरों में सूजन आना आदि लक्षण उत्पन्न होते होते गुर्दे काफी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। किडनी (गुर्दो) को क्षति पहुंचना शुरू हो गई है इसका जल्दी पता लगाने के लिए पेशाब की जांच कराना चाहिए। यदि इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन जा रहा है यानी गुर्दे क्षतिग्रस्त होने लगे हैं।
6. रक्त में यूरिया की अधिक मात्रा – इसी तरह रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया जब अपने मानक स्तर से ऊपर आ जाए तो यह भी किडनी (गुर्दो) का क्षतिग्रस्त होना इंगित करता है। यह जांच भी नियमित अंतराल से कराते रहने से रोग उत्पत्ति का जल्दी पता चल जाता है और आहार-विहार में आवश्यक परिवर्तन तथा औषधियों द्वारा किडनी(गुर्दो) को और क्षति ग्रस्त होने से रोका जा सकता है।
7. फल सब्जियों का सेवन – ताजे फल व ताज़ी शाक सब्जियों, सम्पूर्ण अनाज तथा कम वसा युक्त दुग्ध उत्पाद का सेवन करना चाहिए। शराब सिगरेट तथा दर्दनाशक गोलियों के सेवन से बचना चाहिए। वज़न नियन्त्रण में रखते हुए नियमित व्यायाम का अभ्यास करना चाहिए। बाजार के संसाधित खाद्य पदार्थ, डिब्बा बन्द आहार और भोजन में अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। (और पढ़ें – किडनी रोग के कारण लक्षण और उपचार)