Last Updated on July 22, 2019 by admin
कोण संतुलनासन के फायदे, विधि और सावधानी : Kona santulana asana
कोण संतुलनासन से होने वाले लाभ :
★ यह आसन(Kona santulana asana) जांघों व बाहों को मजबूत व पुष्ट करता है।
★ इस आसन से आभ्यान्तरिक प्रजनन अंगों के विकार दूर होते हैं
★ यह पुरुषार्थ को बढ़ाता है।
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कोण संतुलनासन करने की विधि :
★ कोण संतुलनासन((Kona santulana asana)) के अभ्यास के लिए पहले फर्श पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं।
★ अब नितम्ब को फर्श पर टिकाकर दोनों पैरों को 2 फुट की दूरी रखते हुए सामने की तरफ फैलाएं।
★ अब हाथों की तर्जनी व मध्यम अंगुलियों से पंजों को पकड़ कर गहरी सांस लें।
★ इसके बाद सांस को छोड़ते हुए पैरों को फर्श से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे पैरों को फैलाते हुए घुटनों व कोहनियों को सीधा करने की कोशिश करें। शरीर को तानकर व संतुलन बनाकर रखें। आसन की इस स्थिति में शरीर का पूरा भार नितम्ब (हिप्स) पर होना चाहिए। इस स्थिति में 10 सैकेंड तक रहें और फिर गहरी सांस लेकर शरीर को पीछे की ओर झटका देकर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
★ इस प्रकार इस क्रिया को 5 से 7 बार करें। इस आसन को शुरूआत में करना कठिन होता है, परंतु प्रतिदिन इसका अभ्यास करने से यह आसन करना आसान हो जाता है।
सावधानी :
★ कोण संतुलासन को आरम्भ में करना कठिन होता है, इसलिए पैरों को जितना ऊपर उठाकर फैला सकते हैं, आरम्भ में उतना ही फैलाएं।
★ इस आसन के लिए संतुलन जरूरी है इसलिए इस आसन की स्थिति में पूरी तरह संतुलन बनाएं रखें।