Last Updated on January 18, 2022 by admin
स्वस्थ और निरोग रहना किसे पसंद नहीं होता ? लेकिन वर्तमान में कैल्शियम की कमी आम समस्या होती जा रही है। अपने देश में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 23 प्रतिशत महिलाओं के खानपान में कैल्शियम की कमी पाई गई है। इतना ही नहीं, 42 प्रतिशत टीनएजर लड़कियों के दैनिक भोजन में कैल्शियमयुक्त चीजों का अभाव था। विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह शरीर में होने वाली टूट-फूट की मरम्मत करता है। यदि आप पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी का सेवन करती हैं, तो हड्डियों से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।
शरीर में कैल्शियम का महत्व और कार्य क्या है ? (Calcium and its Role in Human Body in Hindi)
- हमारे शरीर के निन्यानबे प्रतिशत कैल्शियम से शरीर की हड्डियां, नाखून और दांतों का निर्माण होता हैं।
- बाकी का बचा एक प्रतिशत कैल्शियम खून में पाया जाता है साथ ही यह प्रत्येक कोशिकाओं के बीच एक्स्ट्रा सेल्यूलर में भी उपस्थित रहता है।
- हृदय की धड़कन, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली, हार्मोनल सिस्टम तथा मांसपेशियों के संचालन में कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
- नर्वस सिस्टम को सही ढंग से चलाने और एंजाइम्स को सक्रिय बनाने में भी कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है।
- रक्त के थक्के जमाने के लिए भी हमारे शरीर को कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या हैं ? (What are the Symptoms of Calcium Deficiency in Hindi?)
कुछ लक्षणों से कैल्शियम की कमी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जैसे –
- नाखून कमजोर हों, जरा-सी चोट लगने पर फट जाते हों, भूरे और रूखे हों बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ते हों और टूटकर उलटी दिशा में मुड़ जाते हों तो समझना चाहिए कि शरीर में कैल्शियम की कमी है।
- हड्डियों में टेढ़ापन,
- शरीर के विभिन्न अंगों में ऐंठन या कंपन,
- जोड़ों का दर्द,
- मांसपेशियों में निष्क्रियता,
- जरा-से टकराने पर हड्डियों का टूटना,
- चोट लगने पर रक्त का बहना बंद न होना,
- मस्तिष्क का सही ढंग से काम न करना आदि भी इसके संकेत हैं।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी क्यों होती है ? (Calcium Deficiency Causes in Hindi)
निम्नलिखित वजहों से कैल्शियम की कमी हो सकती है जैसे –
- पाचन शक्ति कमजोर होने से भोजन में से कैल्शियम का अवशोषण कम होना,
- दैनिक आहार में कैल्शियम युक्त पदार्थों की कमी,
- महिलाओं को अधिक मासिक धर्म होना,
- नवजात शिशुओं में स्तनपान का अभाव,
- धूप की कमी,
- शारीरिक श्रम व यौगिक क्रियाओं का अभाव,
- चीनीयुक्त पदार्थों का अधिक सेवन आदि इसके प्रमुख कारण हैं।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी की संभावित जटिलताएं क्या हैं? (What are the Possible Complications of Calcium Deficiency in Hindi?)
विटामिन-D की कमी से आंतों द्वारा फास्फोरस तथा कैल्शियम शोषित नहीं हो पाते हैं, फल स्वरूप दांतों तथा हड्डियों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिल पाता है। जिसके कारण अस्थियां दुर्बल होकर शरीर का वजन नहीं सह पातीं और उनमें अनेक प्रकार की व्याधियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। महिलाओं में विटामिन-डी की कमी अनेक दुष्प्रभाव उत्पन्न करती है।
1. फेफड़े संबंधी समस्या – इसकी कमी से फेफड़ों की बनावट और कामकाज में अंतर आ जाता है तथा इनकी कार्य करने की क्षमता में कमी आती है, साथ ही फेफड़े सिकुड़ भी जाते हैं।
2. अस्थि विकृति – शरीर में कैल्शियम कम हो जाने से 4 प्रकार के रोग होते हैं। इनमें रिकेट्स, पेशीय मरोड़, अस्थि विकृति या आस्टोमलेशिया शामिल हैं।
3. मल्टीपल सिरोसिस का खतरा – गर्भवती महिलाओं को तरह-तरह की समस्याएं होती हैं। गर्भवती महिलाओं को मल्टीपल सिरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है, जिसकी वजह विटामिन-डी की कमी होना है।
4. रीढ़ की हड्डी की कमजोरी – विटामिन-डी की कमी से हड्डियों की सतह कमजोर पड़ जाती है, जिससे हड्डियों से जुड़ी कई समस्याओं का जन्म होता है। शरीर के भार का केंद्र कमर होती है। रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से कमर पर टिकी होती है। यदि विटामिन-डी की कमी हो, तो रीढ़ के लिए शरीर का भार उठाना एक चुनौती बन जाती है।
5. सांस संबंधी रोग – विटामिन-डी की कमी से किशोरावस्था की लड़कियों में दिक्कत आ सकती है। इससे उन्हें सांस लेने संबंधी बीमारी भी हो सकती है।
6. हड्डियों का घिसना – अगर महिलाएं शुरू से अपने खाने में विटामिन-डी का सेवन करती रहें, तो उन्हें रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का सामना कम करना पड़ता है। हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन के अलावा कई तरह के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं।
अनियमित जीवनशैली की वजह से ये मिनरल खत्म होने लगते हैं, जिससे हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और धीरे-धीरे वे घिसने और कमजोर होने लगती हैं। कई बार यह कमजोरी इतनी अधिक होती है कि मामूली चोट से भी फ्रैक्चर हो जाता है।
7.पेजेट डिसीज – इन दिनों मेडिकल साइंस ने ऐसा ही एक रोग, जिसे पेजेट डिसीज कहते हैं, उजागर किया है। यह हड्डियों से जुड़ा एक ऐसा रोग है, जो व्यक्ति को कभी भी किसी भी उम्र में हो सकता है। शरीर की किसी भी हड्डी में अचानक किसी कारणवश दर्द पनपना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे यह दर्द शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में होना शुरू हो जाता है और फिर पूरे शरीर को चपेट में ले लेता है।
गर्भावस्था में रखें खास ख्याल :
गर्भवती महिलाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तन के कारण उनकी हड्डियां भी प्रभावित होती हैं। गर्भावस्था एवं स्तनपान के दौरान महिलाओं में 3 से 5 प्रतिशत हड्डियों का घनत्व कम होता है, इसीलिए इस समय भरपूर मात्रा में कैल्शियम लेने की सलाह दी जाती है। विटामिन-डी प्राप्त करने के लिए शरीर के 20-35 फीसदी हिस्से को ढंके बिना 15-20 मिनट धूप में बैठना चाहिए।
स्त्रियों के लिए बेहद जरूरी :
स्त्रियों में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद हड्डियों को मजबूत बनाए रखने वाले हार्मोन एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आती है। रजोनिवृत्ति के बाद शारीरिक और मानसिक बदलाव आने के साथ महिलाओं की हड्डियां धीरे-धीरे दुर्बल पड़ने लगती हैं। साथ ही नई हड्डियों के निर्माण की दर भी घटने लगती है, इसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस रोग का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इन्ही कारणों से महिलाओं को पैतीस की उम्र के पश्चात नियमित विटामिन-डी और कैल्शियम के सेवन की सलाह दी जाती है। फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड के अनुसार, मेनोपॉज के बाद स्त्रियों को रोजाना 1200mg कैल्शियम लेना चाहिए।
कैल्शियम व विटामिन-D की कमी ऑस्टियोपोरोसिस का प्रमुख कारण हैं। शुरुआत में दर्द के अलावा इसके कुछ खास लक्षण नजर नहीं आते, पर जब बार-बार फ्रैक्चर होने लगते हैं, तब मालुम चलता है कि ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति निर्मित हो चुकी है। मेनोपॉज के बाद पाँच से दस वर्षों में महिलाओं की अस्थि की सघनता (Bone density) में हर साल दो से चार प्रतिशत तक कमी आती है। यानी 55 से 60 वर्ष की आयु तक बोन डेन्सिटी 25 से 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसी कारण कुछ स्त्रियां हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी लेती हैं, लेकिन इसका असर भी मेनोपॉज के 5-6 वर्ष तक ही दिखता है।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी को कैसे रोका जा सकता है ? (How to Prevent Calcium Deficiency in Hindi)
आप हर दिन अपने आहार में कैल्शियम को शामिल करके कैल्शियम की कमी से होने वाली बीमारीयों को रोक सकते हैं।
कैल्शियम के मुख्य आहार स्रोत हैं –
- डेयरी उत्पाद, पनीर, दही
- हरी सब्जियां जैसे ब्रोकोली, शलजम
- सोया बीन्स
- फोर्टिफाइड दूध
- संतरे का रस
- मशरूम
- अंजीर
- गेहूं की रोटी