Last Updated on January 12, 2022 by admin
अपने देश में मस्तिष्क ज्वर जैसी खतरनाक बीमारी अकसर फैलती रहती है। यह रोग संक्रामक होने से कहीं-कहीं सामूहिक रूप से भी फैल जाता है, जिससे लोगों में भय व्याप्त हो जाता है, क्योंकि मस्तिष्क ज्वर की बीमारी का इलाज घर पर संभव नहीं होता और रोगी की जान जाने का खतरा भी बना रहता है, इसलिए इस बीमारी से बचाव के लिए रोग की सम्यक् और सही जानकारी होना आवश्यक है।
मस्तिष्क ज्वर क्या है ? (What is Meningitis Disease in Hindi)
मनुष्य का मस्तिष्क दुहरी झिल्लियों के ढका रहता है। इन झिल्लियों के बीच द्रव पदार्थ भरा होता है, जिसे प्रमस्तिष्क प्रमेरु द्रव कहते हैं। मस्तिष्क ज्वर की दशा में उक्त झिल्लियों में सूजन आ जाती है और बहुधा संक्रमण भी हो जाता है। रोग की यह खतरनाक स्थिति होती है, लेकिन यदि समय से उचित इलाज मिल जाए तो रोगी को बचाया जा सकता है। संक्रमण की स्थिति में प्रमस्तिष्क प्रमेरु द्रव में मवाद तक बन सकती है।
मस्तिष्क ज्वर के कारण (Mastik Jwar ke Karan)
दिमागी बुखार क्यों होता है ?
मस्तिष्क ज्वर कई तरह के होते हैं। अधिकतर मामलों में रोग नाइजीरिया मेनिनजाइटिस नामक जीवाणु से होता है। क्षय रोग के जीवाणु मायकोबेक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस द्वारा होनेवाले मस्तिष्क ज्वर को ट्यूबरकुलर मेनिनजाइटिस कहते हैं, जबकि पहले प्रकार के जीवाणु से फैलनेवाले मस्तिष्क ज्वर को मेनिगोकॉकल मेनिनजाइटिस कहते हैं । पहले प्रकार के जीवाणु से फैकनेवाला मस्तिष्क बुखार अपने यहाँ अकसर फैलता है और आगे इसी रोग के बारे में विस्तार से बतलाया जा रहा है।
मस्तिष्क ज्वर रोग कैसे फैलता है ? :
मस्तिष्क ज्वर मच्छरों से भी हो सकता है, लेकिन यहाँ जिस रोग के बारे में बतलाया जा रहा है, यह मच्छरों से नहीं होता, लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि मच्छरों से बचने की आवश्यक्ता नहीं है। मच्छरों की रोकथाम तो जरूरी है ही, क्योंकि इनसे अन्य तरह के मस्तिष्क ज्वरों का खतरा होता है। मस्तिष्क ज्वर के जीवाणु वास्तव में नाक या मुँह के रास्ते से शरीर में प्रवेश करते हैं, इसलिए ऐसा व्यक्ति, जिसके शरीर में ये जीवाणु होते है, जब खाँसता या थूकता है तो वे आसपास की हवा में बिखर जाते हैं और नजदीक के स्वस्थ व्यक्तियों में भी साँस द्वारा प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा रोगाणु खाने-पीने के साथ भी शरीर के अंदर पहुँच सकते हैं।
मस्तिष्क ज्वर के प्रमुख लक्षण :
दिमागी बुखार के क्या लक्षण होते हैं ?
मस्तिष्क ज्वर में जोरों का सिरदर्द होता है, यहाँ तक कि सिर हिलाने में भी तकलीफ होती है।
गर्दन में कड़ापन या अकड़न आ जाती है। बुखार के साथ उल्टियाँ भी होती हैं। रोगी अर्धबेहोशी अथवा बेहोशी की दशा में भी आ सक्ता है। छोटे बच्चों को झटके (कनवलसंस) आते हैं। अधिकतर मामलों में शरीर की त्वचा पर फुसियाँ या चकत्ते भी उभरते हैं।
मस्तिष्क ज्वर के मुख्य लक्षण इस प्रकार है –
- बुखार
- तेज सिरदर्द।
- अकड़ी हुई गर्दन।
- बच्चा बहुत बीमार दिखाई देता है और जब लेटता है तो उसकी गर्दन इस तरह पीछे मुड़ी रहती है।
- कमर भी इतनी ज्यादा अकड़ी होती है कि सिर को घुटनों को बीच नहीं रखा जा सकता।
- एक वर्ष से कम आयुवाले शिशुओं के सिर का कोमल भाग (तालू) ऊपर की ओर उभर आता है। प्रायः उल्टियाँ भी होती हैं।
- बच्चा उनींदा (ज्यादा नींद आना) रहता है या चिड़चिड़ा हो जाता है।
- वह कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहता।
- कभी-कभी दौरे भी पड़ते हैं। शरीर में अजीब सी हरकतें भी होती हैं।
- बच्चे की हालत काफी खराब होती जाती है और अंत में वह बेहोश हो जाता है।
- तपेदिक-तानिका-शोथ रोग धीरे-धीरे शुरू होता है, कई दिनों या हफ्तों में, लेकिन तानिका-शोथ के दूसरे प्रकार एकाएक यानी कुछ घंटों या दिनों में हो सकते हैं।
कम समय में ही मस्तिष्क ज्वर गंभीर अवस्था में पहुँच जाता है। इसलिए इसका तुरंत इलाज आवश्यक होता है।
मस्तिष्क ज्वर रोग का इलाज :
दिमागी बुखार का उपचार कैसे किया जाता हैं ?
मेनिनजियोकॉकल मेनिनजाइटिस का इलाज घर पर सफलतापूर्वक संभव नहीं हो पाता। इसलिए बेहतर यह होता है कि उपरोक्त लक्षणों वाले मरीज को शीघ्र ही नजदीक के अस्पताल में भरती करवा दिया जाए।
रोग के लिए सल्फा या पेनिसिलीन या सिप्रेफ्लाक्सेसिव जैसी प्रभावी दवाइयाँ हैं। इसके अलावा आजकल सेफेक्सिन और रिफॉम्पिसीन दवाइयाँ भी दी जाती हैं। रोगी के मस्तिष्क के अंदर बढ़े हुए दबाव और सूजन को कम करने के लिए रक्तवाहिकाओं द्वारा मेनीटाल भी पहुँचाया जाता है।
रोग की निश्चित पहचान के लिए कुछ विशेष जाँचें, जैसे रीढ़ की हड्डी के पानी की जाँच इत्यादि भी जरूरी होती है, इसलिए इन बातों को दृष्टिगत रखते हुए मरीज को अस्पताल में ही भरती करना उचित और सुविधाजनक रहता है।
चूँकि मस्तिष्क ज्वर कई तरह का होता है अतएव विशेष जाँचें भी की जाती हैं, जैसे रीढ़ की हड्डी से प्रमस्तिष्क द्रव निकाले जाते हैं। सी.बी.सी. करते हैं। सी.टी. स्कैन भी हो सकता है। रोगी अर्ध बेहोश या बेहोश भी होता है अतएव अस्पतालों में ही देखरेख संभव है।
मस्तिष्क ज्वर होने से रोकने के उपाय :
दिमागी बुखार को होने से कैसे रोकें ?
- यद्यपि मस्तिष्क ज्वर कहीं भी, किसी को भी हो सकता है, लेकिन जैसा कि बतलाया गया है कि कभी-कभी यह सामूहिक रूप से भी किन्हीं-किन्हीं क्षेत्रों में फैल जाता है। ऐसे समय इसकी रोकथाम अत्यंत आवश्यक है।
- चूँकि इस रोग के जीवाणु ग्रासनली अथवा नाक के द्वारा प्रवेश करते हैं, इसलिए रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों को एवं उसके परिवार के सदस्यों को विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। ऐसे व्यक्तियों को डॉक्टर की सलाह से कम-से-कम पाँच दिनों तक शल्का या सिप्रोक्लाक्सेसिन की उचित मात्रा ले लेनी चाहिए और रोग का टीका भी लगवाना चाहिए। टीके का रोग से बचाव में विशेष महत्त्व है।
- इसके अलावा जिस क्षेत्र में मस्तिष्क ज्वर का प्रकोप ज्यादा हो, वहाँ पूरे गाँव या मुहल्ले के लोगों को सल्फा दवाई देनी चाहिए।
- रोगी को शीघ्र ही अस्पताल में भरती करने से भी एक सीमा तक बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। अस्पताल में रोगी के मस्तिष्क ज्वर के प्रकार की भी सही पहचान हो जाती है।
- रोगी के खाने-पीने के बरतन अलग रखें एवं संभव हो तो रोगी खाँसते अथवा बात करते समय मुँह के सामने रूमाल रखे।
- स्वास्थ्य विभाग के अलावा जनसामान्य भी रोग को फैलने से रोकने में मदद कर सकता है। जब भी कहीं किसी को उपरोक्त लक्षणों से युक्त रोगी दिखे तो तुरंत शासकीय अस्पताल में इसकी सूचना दें ताकि प्रभावी कारवाई की जा सके।
रोग के अनावश्यक रूप से भयाक्रांत होने की भी आवश्यकता नहीं है।