मिश्री खाने के 33 सेहतमंद फायदे – Mishri Khane ke Fayde in Hindi

Last Updated on March 30, 2023 by admin

मिश्री का विभिन्न भाषाओं में नाम:

हिन्दीमिश्री
संस्कृतसिता
बंगालीमिचरी
मराठीखड़ी साखर
गुराजतीखड़ी साकर
फारसीनवात
अंग्रेजीपुरीफाइडी शूगरकेन्डी

मिश्री का गुण : 

  • रंग: मिश्री का रंग सफेद होता है।
  • स्वभाव: इसकी तासीर शीतल और हल्की होती है।
  • मिश्री धातु को बढ़ाने वाली (वीर्यवर्द्धक), खून पित्तनाशक, दस्तावर, वात तथा पित्तनाशक है।

मिश्री के फायदे और उपयोग (Mishri Ke Fayde aur Upyog)

1. आंख आना: 6 ग्राम से 10 ग्राम महात्रिफला घृत में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से पित्तज चक्षु प्रदाह (गर्मी के कारण आंखों में जलन), आंखें ज्यादा लाल सुर्ख हो जाना, आंखों की पलकों का सूज जाना, रोशनी के ओर देखने से आंखों में जलन होना आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से भी आराम आता है।

2. आंख का फड़कना: 1 भाग गोघृत (गाय का घी) और 4 भाग दूध लेकर अच्छी तरह उबाल लें। फिर शुष्म-शुष्म (गर्म-गर्म) दूध के साथ मिश्री और 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी का चूर्ण सुबह-शाम सेवन किया जाए तो पूरी तरह से पलकों का फड़कना बंद हो जाता है।

3. आंखों के रोहे फूले:

  • तूतिया (नीला थोथा, कॉपर सल्फेट) और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर गुलाब जल में घोल बनाकर रखें। इसकी 2-3 बूंदे रोजाना 3 से 4 बार आंखों मे डालने से फूले, रोहे, कुकरे आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
  • 6 से 10 ग्राम महात्रिफलादि घृत इतनी ही मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों का लाल होना, आंखों की सूजन, दर्द और रोहे आदि दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफले के पानी से आंखों को बीच-बीच में धोना चाहिए।

4. दमा या श्वास का रोग: समीन पन्नग रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, मिश्री या मिश्री के शर्बत के साथ सुबह-शाम देने से श्वास नलिका या गले के अन्दर जमी कफ निकल जाती है जिससे खराश कम हो जाती है। श्वास नली (सांस की नली) साफ हो जाने से दमा का वेग भी कम हो जाता है।

5. कनीनिका शोथ: 6 से 10 ग्राम महात्रिफला घृत में उतनी ही मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के सारे रोग दूर होते हैं। खासकर पित्तज दोष से हुए आंखों में जलन, आंखों के किसी भी भाग में सूजन आदि रोग दूर होते हैं। इसको खाने के साथ-साथ त्रिफला के पानी से आंखों को रोजाना 2-3 बार धोना भी चाहिए।

6. डकार के आने पर: मिश्री की चासनी में बेर की मींगी (गूदा) और लौंग को मिलाकर खाने से जी के मिचलाने में लाभ होता है।

7. रोशनी से डरना: 6 ग्राम से 10 ग्राम महात्रिफलादि घृत को मिश्री मिले हुए ठण्डे दूध में मिलाकर सुबह-शाम पीने से रोशनी से डरना, आंखों में जलन, आंखों का लाल होना और आंखों में दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं। त्रिफला के पानी से रोजाना आंखों को धोने से भी लाभ होता है।

8. उपतारा शोथ: 6 से 10 ग्राम महात्रिफला घृत को उतनी ही मिश्री में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे आंखों की सूजन, दर्द, आंखों का लाल होना, उपतारा शोथ (आंखों के अन्दर की सूजन) आदि रोग दूर होते हैं।

9. मुंह के छाले: 3 ग्राम बड़ी इलायची, 10 ग्राम बबूल का गोंद, 10 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम नीम की पत्तियों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसे रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक होते हैं।

10. गर्भवती स्त्री का जी मिचलाना: मिश्री की चासनी में लौंग का चूर्ण डालकर पीने से गर्भवती स्त्री का जी मिचलाना बंद हो जाता है।

11. बहरापन: मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3-4 बंदे रोजाना सुबह-शाम कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।

12. संग्रहणी (दस्त, पेचिश): 80 ग्राम मिश्री, 80 ग्राम कैथ, 30 ग्राम पीपल, 30 ग्राम अजमोद, 30 ग्राम बेल की गिरी, 30 ग्राम धाय के फूल, 30 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम कालानमक, 10 ग्राम नागकेसर, 10 ग्राम पीपलामूल, 10 ग्राम नेत्रवाला, 10 ग्राम इलायची इन सभी को एक साथ लेकर बारीक पीस लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण मट्ठा (लस्सी) के साथ खाने से संग्रहणी अतिसार (दस्त) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

13. खूनी अतिसार: 12 ग्राम सूखे धनिये और 12 ग्राम मिश्री को लेकर पीस लें। इस चूर्ण को आधे कप पानी में घोलकर पीने से खूनी अतिसार (दस्त) का रोग दूर हो जाता है।

14. गला बैठना: सौंठ और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण में शहद मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसकी गोलियों को चूसने से बैठा हुआ गला खुल जाता है तथा गले की खुश्की खत्म हो जाती है।

15. गर्मी अधिक लगना: गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए 5 से 10 ग्राम रतनपुरूष की जड़ और मिश्री को मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से मन में शांति और शरीर में ठंडक का अनुभव होता है।

16. मोटापा दूर करना: मिश्री, मोटी सौंफ, सूखा धनिया को बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से मोटापा दूर होता है।

17. नकसीर: 50 ग्राम सूखे हुए कमल के फूल और 50 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच गर्म दूध के साथ फंकी लेने से सिर्फ 1 ही हफ्ते में ही नकसीर (नाक से खून बहना) का रोग दूर हो जाता है।

18. भ्रम रोग (मानसिक भ्रम): लगभग 10 ग्राम मिश्री के साथ लगभग 6 ग्राम बरियारे के बीज को मिलाकर खाने से भ्रम रोग खत्म हो जाता है।

19. दिमाग के कीड़े: 50 ग्राम मिश्री और इतनी ही मात्रा में शंखपुष्पी को लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में सुबह गाय के दूध के साथ खाने से दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।

20. गुल्यवायु हिस्टीरिया:

  • 10 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम घृतकुमारी (ग्वारपाठा) के गूदा को मिलाकर त्रिफला के पानी से खाने से हिस्टीरिया रोग दूर हो जाता है।
  • लगभग 120 ग्राम मिश्री, 25 ग्राम कूठ, 25 मीठी बच, 25 ग्राम शंखपुष्पी, 25 ग्राम ब्राह्मी और 10 ग्राम सनाय को पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद 3 ग्राम चूर्ण को पानी या गाय के दूध से लेने से हिस्टीरिया रोग में बहुत लाभ होता है।

21. क्रोध: मिश्री और कालीमिर्च के साथ 10 ग्राम सन (पटुआ) के फूलों का रस पीने से पित्त द्वारा उत्पन्न चिड़चिड़ापन और क्रोध दूर होने के साथ ही साथ शौच साफ आता है और कब्ज भी दूर हो जाती है।

22. फीलपांव (गजचर्म): 1.20 ग्राम लोध्र का चूर्ण मिश्री के साथ रोजाना 3 से 4 बार लेने से 1 सप्ताह के अन्दर फीलवांव के रोगी का रोग मिट जाता है।

23. खसरा: बोदरी माता से शरीर मे गर्मी हो तो मक्खन और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच रोजाना सुबह बच्चे को चटाने से खसरा दूर हो जाता है।

24. जलने पर: कमल का पानी, चीनी का शर्बत, मिश्री मिला हुआ दूध और ईख का रस पीने से पित्त (शरीर की गर्मी) शांत होकर जलन मिट जाती है।

25. सिर का दर्द: लगभग 10 ग्राम मिश्री को 10 ग्राम सांप की केंचुली में अच्छी तरह से घोंटें और इसे घोंटकर शीशी में भर लें। लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की मात्रा में इस मिश्रण को बताशे में भरकर रोगी को खिला दें और ऊपर से 3-4 घूंट पानी पिला दें। ऐसा करने से पुराने से पुराना सिर का दर्द भी ठीक हो जाता है।

26. हाथ-पैरों में जलन: मक्खन और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाने से हाथ-पैरों की जलन दूर हो जाती है।

27. लिंग वृद्धि: मिश्री, सेंधानमक, पीपल और दूध सभी को एक साथ पीसकर, शहद के साथ मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग की वृद्धि हो जाती है।

28. बालरोग हितकर (बच्चों के विभिन्न रोग):

  • बेल की जड़ का काढ़ा बनाकर उसमें खीलों का चूर्ण और मिश्री डालकर सेवन करने से बच्चों के वमन (उल्टी) और अतिसार (दस्त) में आराम आता है।
  • सुगन्धबाला, मिश्री और शहद को मिलाकर चावलों के पानी के साथ पिलाने से बच्चों के हर तरह के अतिसार (दस्त), प्यास, वमन (उल्टी) और बुखार समाप्त हो जाते हैं।
  • अगर बड़े बच्चे के मुंह में घाव (जख्म) हो तो सफेद चिरमिटी के पत्ते, शीतलचीनी और मिश्री को मुंह में रखकर चूसना चाहिए अथवा चिरमिटी की जड़ चबानी चाहिए या शहद और ताजा पानी को मिलाकर गरारे करने चाहिए।
  • मिश्री और कुटकी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों के ज्वर (बुखार) में आराम आ जाता है। सिर्फ शहद में मिलाकर चटाने से (उल्टी) और हिचकी जरूर बंद हो जाती है। यह कटुक रोहिणी अवलेह वास्तव में इन तीनों रोगों में बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
  • धनिया और मिश्री को पीसकर, चावलों के पानी में मिलाकर पीने से बच्चों की खांसी और दमा दूर हो जाते हैं।

29. शरीर को शक्तिशाली बनाना: लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सालममिश्री, शतावर और सफेदी मूसली को लेकर बारीक पीस लें और इसको छान लें। अब इस चूर्ण को 400 मिलीलीटर दूध में डालकर पकायें और 300 मिलीलीटर दूध रह जाने पर इसको उतारकर इस दूध में शक्कर मिलाकर सुबह-शाम इसका सेवन करें। इससे आलस्य दूर हो जाता है और पर्याप्त मात्रा में ताकत भी मिलती है। इसका सेवन लगातार 20 दिनों तक करना चाहिए।

30. प्यास और जलन: मुचकन्द के फूल और मिश्री को पानी में मिलाकर पीने से दाह (जलन), तृषा (प्यास) तथा रक्तपित्त (खून में गर्मी) में लाभ मिलता है।

31. गले की सूजन:

  • सफेद चिरमिटी के पत्ते, शीतलचीनी और मिश्री को मिलाकर मुंह में रखकर इनका रस चूसने से कंठ (गला) के घाव और बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
  • तिल, नील कमल, घी, मिश्री, दूध और शहद को बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। फिर इनको मुंह में रखकर चूसने से गले की सूजन दूर हो जाती है।

32. गर्दन में दर्द: 10-10 ग्राम मिश्री और खसखस को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से 5 ग्राम चूर्ण को रात में सोने से पहले दूध के साथ सेवन करने से गर्दन का दर्द दूर हो जाता है।

33. आवाज का बैठ जाना: 1 चम्मच घी, 1 चम्मच मिश्री और 15 दाने पिसी हुई कालीमिर्च को मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। इसे चाटने के कुछ घंटे तक पानी न पियें।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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