मोगरा क्या है ? : What is Jasmine (Jasminum sambac) in Hindi
भारत में प्रायः सर्वत्र मोगरा के क्षुप (छोटी तथा घनी डालियों वाला पौधा) उगाये जाते हैं। इस इनके श्वेत सुगन्धित पुष्प बड़े सुहाने लगते हैं। जो मन को आल्हादित करते हैं। इसकी महक से मन भी महक जाते हैं। पारिजात कुल (ओलिएसी) की इस सुरमय वनौषधि के कई भेद पाये जाते हैं। ये सभी प्रकार के भेद या जातियां उद्यानों में, मन्दिरों की फुलवारियों में एवं गृह उद्यानों में लगाये हुये पाये जाते हैं।
मोगरा का पौधा कैसा होता है ?
इसका पौधा 2-4 फुट ऊंचा होता है। शाखायें रोमश और लचीली होती हैं।
मोगरा के पत्ते (पत्र) – अभिमुख क्रम से, सीधे, अखण्ड प्रायः लट्वाकार या अण्डाकार लगते हैं।
मोगरा के फूल (पुष्प) – श्वेतवर्ण, सुगन्धित एकल या तीन-तीन एक साथ निकलते हैं।
मोगरा के फल – आध इंच लम्बा होता है। जिसमें 1-2 कृष्ण बीज होते हैं।
उपयोगी अंग – पुष्प, पंत्र एवं मूल।
मोगरा के प्रकार :
मोगरा जाति के तीन भेद होते हैं। इनमें प्रथम बेलाका फूल सफेद और सुगन्धित होता हैं यह बसन्त से वर्षा तक खिलता है। इसका पुष्प थोड़ा लम्बोतरा और दोहरा होता है। द्वितीय मोतिया का पुष्प गोल, बड़ा और दोहरा होता है और मोती के समान होता है। इसमें कई पंखुड़ियां होती हैं। कई तरह नीचे ऊपर बराबर होती हैं। तृतीय मोगरे का फूल दोनों से बड़ा होता है। इसमें पंखुड़ियां भी दोनों से अधिक होती हैं। इनमें केवल भूमि, ऋतु आदि के अनुसार से अन्तर आ जाते हैं।
आयुर्वेदीय निघण्टुओं में वर्णन मिलता है कि जिस जाति में वर्षा ऋतु में पुष्प आते हैं उसे वार्षिकी जिसमें जिसमें ग्रीष्म में फूल आते हैं उसे ग्रैष्मी और जिसमें छोटे सुमन आते हैं उसको अतिमुक्त कहा जाना चाहिये।उक्त भेदों में जो बन-बगीचों में अधिकता से होता है, उसका यहां वर्णन किया जा रहा है
मोगरा का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Jasmine (Jasminum sambac) in Different Languages
Mogra (Jasmine) in–
- संस्कृत (Sanskrit) – मल्लिका (माला के रूप में धारण किया जाने से अथवा हंस के समान श्वेत होने से),शीतभीरु (शीतकाल में नष्ट हो जाने से।
- हिन्दी (Hindi) – बेला, रायबेला, मोतिया, मोगरा।
- गुजराती (Gujarati) – मोगरो
- मराठी (Marathi) – मोगरा
- अंग्रेजी (English) – अरेबियन जेसमाईन (Arabian Jasmine)
- लैटिन (Latin) – जेस्मिनम सैम्बक (Jasminum Sambac Linn).
मोगरा का रासायनिक विश्लेषण : Mogra (Jasmine) Chemical Constituents
पुष्पों में उत्पत् तैल (Essential Oil) होता है जिसके कारण इसमें सुगन्ध आती है।
मोगरा के औषधीय गुण : Mogra ke Gun in Hindi
रस – तिक्त, कटु
गुण – लघु, रुक्ष
वीर्य – उष्ण
विपाक – कटु
दोषकर्म – त्रिदोष शामक
मोगरा के फायदे और उपयोग : Mogra ke Fayde in Hindi
स्तन की सूजन दूर करने में फायदेमंद मोगरा फूल का लेप
पुष्प शोथहर होने से पुष्प का कल्क बांधने से शोथ (सूजन) कम होता है।
प्रसूतावस्था में जब स्तन की दुग्ध वाहिनियों में शोथ होकर स्तन पकने लगता है तो पुष्पकल्क से शोथ कम होकर लाभ होता है। ये पुष्प स्तन्य संग्रहणीय भी है। पुष्प 10-12 ग्राम लेकर उन्हें पीसकर बांधते हैं। चार-चार घंटों के अन्तराल से नवीन पुष्पकल्क बांधा जाता है। इस प्रयोग से दूध कम होता है। यदि स्तन में पूय (पस) की क्रिया होने लगती हैं तो वह भी बन्द हो जाती है।
इस प्रकार 3-4 बार पुल्टिस बांधने से लाभ हो जाता है। पुष्पों का रस निचोड़ कर उस रस का लेप करने से भी दूध कम होने लगता हैं और शोथ उतर जाता है।
घाव ठीक करने में मोगरा का उपयोग फायदेमंद
मोगरा के पत्र व्रणरोपण (फोड़ा ठीक करने वाला) एवं कुष्ठघ्न हैं। इसके पत्तों को, पीसकर पुल्टिस बनाकर बांधने से व्रण की वेदना दूर होकर रोपण शीघ्र हो जाता हैं। इन पत्तों का गाढ़ा लेप करने से वेदना शान्त होती है।
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चर्म रोग में मोगरा से फायदा
चर्म रोगों में मोगरा के पत्तों का लेप लाभप्रद हैं। इन पत्तों का गाढ़ा लेप करने से शरीर की रुक्षता तथा कण्डू (खुजली) दूर होती हैं ।
मुँह के छाले मिटाए मोगरा का उपयोग
मुखपाक में पत्तों को मुख में रख कर चबाना चाहिये या पत्तों का क्वाथ बनाबर उस क्वाथ से कुल्ले करने चाहिये।
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नेत्र रोग दूर करने में मोगरा फायदेमंद
नेत्र रोगों में भी मोगरा के पत्तों को पीसकर लेप करने से शूल, शोथ मिटता हैं ।
मस्तिष्क को बल प्रदान करे मोगरा फूल
इसके पुष्पों को सूंघने से हृदय और मस्तिष्क को शक्ति एवं उल्लास प्राप्त होता है।
नपुंसकता दूर करने में मोगरा का उपयोग लाभदायक
पुष्पों की मनमोहक सुगन्ध से काम जागृत होता है। अतः इन पुष्पों की माला धारण की जाती है। नपुंसकता में पुष्प कल्क का बस्ति प्रदेश पर लेप किया जाता है। साथ में इसके मूल को पीस-छानकर पिलाना भी श्रेयस्कर हैं। मूल का क्वाथ भी पिलाया जा सकता है।
मासिक धर्म संबंधी रोग में मोगरा का उपयोग फायदेमंद
मोगरा मूल का क्वाथ कष्टार्तव एवं रजोरोध में भी उपयोगी है । अनियमित ऋतुस्राव में पत्रस्वरस में मधु मिलाकर पिलाना चाहिये।
रक्तपित्त रोग मिटाए मोगरा का उपयोग
मोगरा का मूल रक्तशोधक होने से रक्तविकारों में भी उपयोगी है। रक्तपित्त (मुँह, नाक, गुदा, योनि आदि इंद्रियों से रक्त बहने का रोग) में जड़ का क्वाथ तैयार कर ठण्डा हो जाने के बाद शहद मिलाकर सेवन कराना चाहिये।
पत्र ग्राही है अतः रक्तप्रवाहिका में 3 – 4 कोमल पत्तियों को पीसकर जल के संयोग से पीसकर
छानकर उसमें मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिये।
नाभि खिसकने में मोगरा का उपयोग लाभदायक
नाभि के टल जाने पर उदरशूल होता है और बार-बार दस्त लगते हैं ऐसी स्थिति में मोगरा के पत्तों के स्वरस में गोदुग्ध मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। इससे वमन होकर भी नाभि यथा स्थान आ जाती है। वमन होने पर दूध दलिया या दूध भात देना चाहिये।
प्रदर रोग में लाभकारी है मोगरा का प्रयोग
श्वेत प्रदर एवं रक्तप्रदर में मोगरा पत्र चूर्ण, धाय पुष्प, लज्जालूबीज और स्वर्णगैरिक मिलाकर समभाग चूर्ण तैयार कर 3 से 4 ग्राम चूर्ण सेवन कराना चाहिये।
नाक के रोग मिटाए मोगरा का उपयोग
मोगरा के फूलों के साथ तिलों को कोल्हू में पेरवाकर तैल निकाल लेवें। इस तैल की 2 3 बूंद नाक में डालने से नाक का दुर्गन्धित स्राव बन्द होता है।
सर दर्द दूर करने में मोगरा फायदेमंद
मोगरा पुष्पों के इत्र से मन की उद्विग्नता तथा सिर का दर्द मिटता है।
मोगरा के दुष्प्रभाव : Mogra (Jasmine) ke Nuksan in Hindi
मोगरा उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करते हैं।
मोगरा का मूल्य : Mogra (Jasmine) Price
Goodwyn Jasmine Green Tea, 100 Tea Bags – Rs 405
कहां से खरीदें :
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
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