Last Updated on March 23, 2023 by admin
लोध्र क्या है ? :
लोध्र को लोध भी कहते हैं। यह एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष होता है जिसकी छाल लोध्र के नाम से बाज़ार में मिलती है और छाल ही उपयोग में ली जाती है। लोध्र श्वेतप्रदर, रक्त प्रदर, गर्भाशय शिथिलता, त्वचाविकार, रक्त विकार की चिकित्सा में बहुत लाभप्रद सिद्ध होता है। इसके वृक्ष बंगाल, आसाम, हिमालय तथा खासिया पहाड़ियों से छोटा नागपुर तक पाये जाते हैं। मोटी छाल वाला होने से इसे स्थूल वल्कल भी कहते हैं। भाव प्रकाश निघण्टु में लिखा है –
लोध्रो ग्राही लघुः शीतः चक्षुष्यः कफपित्तनुत्।
कषायो रक्तपित्तासग्ज्वरातीसार शोथ हत्।।
लोध्र का एक प्रकार और होता है जिसे पठानी लोध या पटिया लोध कहते हैं। दोनों के गुण व उपयोग एक समान हैं। आयुर्वेदिक योग लोधासव और लोधादि क्वाथ इसी से बनाये जाते हैं। इसकी छाल में लाटुरिन (Loturine) कोलोरिन (Colloturine) तथा लाटुरिडिन (Loturidine) नामक क्षाराभ पाये जाते हैं। यह रक्त स्तम्भक (रोकने वाला) और शोथहर होने से रक्तप्रदर और गर्भाशय-शिथिलता के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होता है इसलिए नारी-रोगों में इसका उपयोग गुणकारी सिद्ध होता है।
लोध्र का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Lodhra in Different Languages
Lodhra in –
- संस्कृत (Sanskrit) – लोध्र
- हिन्दी (Hindi) – लोध
- मलयालम (Malayalam) – लोध
- गुजराती (Gujarati) – लोदर
- बंगला (Bengali) – लोधकाष्ठ
- तेलगु (Telugu) – लोधुग
- कन्नड़ (Kannada) – पचेटू
- तामिल (Tamil) – बेल्लिलेठि
- मलयालम (Malayalam) – पचोट्टि
- इंगलिश (English) – लोध ट्री (Lodh tree)
- लैटिन (Latin) – सिम्पलोकस रेसिमोसा (Symplocos racemosa)
लोध्र के औषधीय गुण : Medicinal Properties of Lodhra in Hindi
इसकी छाल ग्राही, कफ पित्त शामक, हलकी, शीतल, नेत्रों को हितकारी,कषाय रस युक्त तथा रक्त पित्त, रक्त विकार, ज्वर, अतिसार और शोथनाशक होती है। यह रक्त रोकने वाली, घाव भरने वाली और बल्य है। मूत्र विकारों पर भी यह गुणकारी है।
लोध्र के उपयोग : Lodhra Uses in Hindi
- लोध्र का विशेष उपयोग महिलाओं के रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर तथा गर्भाशय के शोथ और रक्तस्राव की चिकित्सा करने में किया जाता है।
- लोध्र त्वचा विकार दूर करने, विशेषतः मुख की त्वचा के लिए लेप बनाने वाले नुस्खे में इसका प्रयोग किया जाता है।
- आयुर्वेदिक योग लोध्रासव और लोध्रादि क्वाथ का यह मुख्य घटक – द्रव्य है।
- लोध्र का उपयोग रक्तविकार, रक्तपित्त तथा रक्त स्राव की चिकित्सा में भी किया जाता है क्योंकि यह छोटी रक्तवाहिनियों को संकुचित करता है जिससे रक्त स्राव होना बन्द होता है और शोथ का शमन होता है।
- यह कान का बहना बन्द करता है और मसूढ़ों का पिलपिलापन दूर करता है।
रोग उपचार में लोध्र के फायदे : Lodhra Benefits in Hindi
1. रक्त प्रदर में लोध्र का उपयोग फायदेमंद (Lodhra Uses to Cure Metrorrhagia Disease in Hindi) :
- मासिक ऋतु स्राव के दिनों में अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक रक्तस्राव होना ‘रक्त प्रदर’ रोग होता है। इस रोग में लोध्र का बारिक पिसा हुआ चूर्ण एक ग्राम और पिसी हुई मिश्री एक ग्राम- दोनों को मिला कर ठण्डे पानी के साथ 3-3 घण्टे से लेना चाहिए। 4-5 दिन लेने से रक्तस्राव होना बन्द हो जाता है।
- मासिक-धर्म में ज्यादा खून बहने पर लोध्र की छाल और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लें। 1 चम्मच की मात्रा में यह पाउडर दिन में 3 बार कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
- रक्तप्रदर में लोध्र चूर्ण 1.20 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 3-4 बार लगातार 4 दिनों तक सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय संकोचन बढ़ता है जिससे शिथिलता दूर हो जाती है। यह श्वेतप्रदर में भी बहुत उपयोगी होता है।
- लोध्र छाल का चूर्ण 1-2 ग्राम, 50 मिलीलीटर चावल धोये पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।( और पढ़े – लिकोरिया का इलाज )
2. मसूढों का रोग मिटाए लोध्र का उपयोग (Lodhra Cures Gum Disease in Hindi) : लोध्र चूर्ण 5 ग्राम दो गिलास पानी में डाल कर उबालें। आधा गिलास पानी बचे तब उतार कर छान लें । इस पानी से कुल्ले करने से कुछ दिनों में मसूढ़ों का ढीलापन और रक्त निकलना बन्द हो जाता है तथा मसूढ़े मज़बूत हो जाते हैं। ( और पढ़े – दांतों को बनाये मजबूत बनाने के उपाय )
3. स्तनों की पीडा मिटाता है लोध्र : लोध्र को पानी में पीस कर गाढ़ा लेप तैयार कर स्तनों पर लगाने से स्तनों की पीड़ा, शिथिलता व ढीलापन आदि दूर होते हैं। ( और पढ़े – स्तनों की देखभाल के उपाय )
4. गर्भपात से रक्षा करे लोध्र का उपयोग : गर्भवती के सातवें और आठवें माह में गर्भपात की आशंका हो या लक्षण दिखाई दें तो लोध्र और पीपल का महीन पिसा चूर्ण 1-1 ग्राम मिला कर शहद के साथ चाटने से लाभ होता है। ( और पढ़े – गर्भपात से बचने के उपाय )
5. लोध्र के इस्तेमाल से कील मुंहासे में लाभ : धनिया का पाउडर ,बच और लोध की छाल तीनों को बराबर की मात्रा में मिलाकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। अब यह लेप सुबह नहाने से पहले और रात को सोने से पहले चेहरें पर लगा लें इससे कील-मुंहासे नष्ट हो जाएंगें। इसके साथ ही आपके चेहरे की चमक भी बढ़ेगी। ( और पढ़े – कील-मुंहासे ठीक करने के आयुर्वेदिक नुस्खे )
6. श्वेतप्रदर दूर करने में लोध्र फायदेमंद : बरगद के पेड़ की छाल और लोध्र मिलाकर काढ़ा बना लें। रोजाना सुबह-शाम 2 चम्मच की मात्रा में यह काढ़ा कुछ दिनों तक पीने से रोग में लाभ होता है।
7. योनिक्षत में फायदेमंद लोध्र का औषधीय गुण : प्रसव के समय योनि में क्षत (घाव या छिलन) होने पर लोध्र का महीन पिसा । हुआ चूर्ण शहद में मिला कर योनि के अन्दर लगाने से क्षत ठीक होते हैं।
8. फोडे़-फुंसी में लोध्र के इस्तेमाल से फायदा : लोध्र की छाल को पानी में घिसकर लेप बनाकर 2 से 3 बार रोजाना घाव पर लगाने से फोड़े-फुंसी ,घाव आदि ठीक हो जाते हैं।
9. सूजन और घाव में लाभकारी है लोध्र का प्रयोग : लोध्र के चूर्ण को शहद में मिला कर सूजन और घाव पर लेप करने से सूजन व घाव ठीक होते हैं।
10. कान का बहना रोके लोध्र का उपयोग : कान बहता हो तो लोध्र का महीन चूर्ण करके कान में बुरबुराने से कान का बहना बन्द हो जाता है।
11. त्वचा को उजली और चमकदार बनाये लोध्र : लोध्र, धनिया, और वच – इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पानी में कूट पीस कर लेप तैयार करें और मुख पर प्रतिदिन रात को लेप कर सूखने दें। सूख जाए तब मसल कर मुख धो डालें। लगातार कुछ दिनों तक यह प्रयोग करने से चेहरे की त्वचा उजली, चमकदार और साफ़ हो जाती है।
12. सौन्दर्य उबटन : लोध्र, चन्दन बुरादा, केसर, अगर, खस और सुगन्धवाला – इन्हें थोड़ी देर पानी में भिगोने के बाद पानी के साथ सिल पर महीन पीस लें। इस उबटन का शरीर पर लेप करने के थोड़ी देर बाद स्नान कर लें । शरीर की त्वचा उजली, सुगन्धित और कान्तिपूर्ण रहती है । यह नुस्खा किसी भी टेलकम पाउडर से अधिक श्रेष्ठ व गुणकारी है।
13. कौआ गिरना : लोध्र के काढ़े से कुल्ले करने से गलशुण्डिका (कौआ बढ़ना) बंद हो जाता है।
14. प्रदर रोग :
- 20 ग्राम लोध पठानी को कूट-पीस छानकर 2 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।
- पठानी लोध्र का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। ऊपर से चौथाई लीटर दूध पीयें। इससे प्रदर में लाभ होता है।
- 1200 मिलीग्राम लोध्र चूर्ण में मिश्री मिलाकर रोजाना 3-4 ग्राम की मात्रा में सेवन करें तो 3-4 दिनों तक लाभ होता है। यह रक्तप्रदर और सफेद प्रदर दोनों में फायदेमंद होता है।
15. स्तन रोग: लोध की छाल को पानी में पीसकर लेप बनाकर स्तनों पर सुबह-शाम मालिश करने से स्तनों का दर्द, ढीलापन और शिथिलता दूर होकर स्तन कठोर होते हैं।
16. प्रसव सम्बंधी पीड़ा : लोध्र का लेप करने से प्रसूता को प्रसव के समय हुए योनिक्षत (योनि का चिर जाना) में लाभ होता है।
17. पेट का बढ़ा होना (आमाशय की प्रसारण) : लोध्र चूर्ण को 600 मिलीग्राम से लेकर 1200 मिलीग्राम में 3 से 4 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर खाने से पेट की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और पेट सामान्य हो जाता है।
18. आमाशय का जख्म : लोध्र का चूर्ण 600 मिलीग्राम से लेकर 1200 मिलीग्राम सुबह और शाम सेवन करने से आमाशय का जख्म ठीक हो जाता है।
19. टीके से होने वाले दोष :
- 600 से 1200 मिलीग्राम लोध्र का सेवन करने से पके हुए टीके के कारण हुए घाव दूर हो जाते हैं।
- 600 से 1200 मिलीग्राम लोध्र के काढ़े से टीके के घाव को धोने से घाव मिट जाता है।
20. खून में पीव आना (प्याएमिया) : 720 से 1200 मिलीग्राम लोध्र का चूर्ण मिश्री के साथ प्रतिदिन दो से तीन बार सेवन करने से खून में पीव का बनना बंद हो जाता है।
21. मासिक-धर्म का अधिक आना : दस ग्राम की मात्रा में लोध को पीस लें। इसमें खाण्ड 10 ग्राम की मात्रा में मिला लें। इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी से सेवन करने से माहवारी के अधिक आने की समस्या समाप्त हो जाती है।
22. मासिक-धर्म की रुकावट: लोध्र की छाल का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोजाना कुछ दिनों तक पानी के साथ खायें। इससे रुका हुआ मासिक-धर्म शुरू हो जायेगा।
23. कील-मुंहासे: लोध की छाल, धनिया का पाउडर और बच तीनों बराबर मात्रा में मिलाकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। यह लेप सुबह नहाने से पहले और रात को सोने से पहले मुंह पर लगा लें इससे कील-मुंहासे नष्ट हो जाएंगें। इसके साथ ही चेहरे की चमक भी बढ़ेगी।
24. मसूढ़ों के कष्ट:
- लोध्र की छाल का काढ़ा बनाकर गरारे करने से कुछ दिनों में ही मसूढ़ों का ढीलापन व मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है और दान्त का हिलना भी बंद होता है।
- मसूढ़ों की सूजन व मसूढ़ों से खून के निकलने पर लोध, पतंग, मुलहठी और लाख इन सबको बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस छानकर शहद मिला लें और मसूढ़ों के घाव पर मलें। इससे सूजन व खून का निकलना बंद हो जाता है।
- लोध्र के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मसूढ़ों से खून, पीव का निकलना तथा दर्द आदि खत्म होता है।
25. गर्भपात: लोध और पिप्पली बराबर मात्रा में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। 1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ रोज सुबह-शाम खाने से गर्भपात होने की संभावना दूर होती है।
26. आंखों के रोग: लोध का लेप बनाकर आंखे बंद करके ऊपर से लगायें और एक घंटा बाद उसे साफ कर लें। इससे आंखों का रोग दूर होता है।
27. श्वेतप्रदर: लोध्र और वट पेड़ की छाल मिलाकर काढ़ा बना लें। 2 चम्मच की मात्रा में यह काढ़ा रोजाना सुबह-शाम कुछ दिनों तक पीने से लाभ होता है।
28. अतिसार (दस्त): लोध्र की छाल का चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार शहद के साथ 2 से 4 दिन तक खाने से अतिसार रोग ठीक होता है।
29. कान बहना: कान में लोध की छाल का बारीक चूर्ण बनाकर छिड़कने से कान का दर्द दूर होता है।
30. विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल): लोध्र और चन्दन के साथ मजीठ को पीसकर विसर्प पर लगाने से लाभ होता है।
31. पायरिया: लोध्र, लालचन्दन, यिश्टमधु़ और लाक्षा बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर दांतों व मसूढ़ों पर मलें। इससे पायरिया का रोग नष्ट हो जाता है।
32. घाव, फोडे़-फुंसी:
- किसी भी तरह के घाव में लोध्र 1.20 ग्राम रोज मिश्री मिलाकर दो तीन मात्रायें खाने से और लोध्र के काढ़े से घाव को धोने से जल्दी फायदा होता है।
- लोध्र की छाल का चूर्ण या पानी में घिसकर लेप बनाकर 2 से 3 बार रोजाना घाव पर लगाने से घाव, फोड़े-फुंसी आदि ठीक हो जाते हैं।
लोध्र के नुकसान : Lodhra Side Effects in Hindi
- लोध्र के सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- लोध्र को डॉक्टर की सलाह अनुसार सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)