Last Updated on August 7, 2022 by admin
मूत्राशय में सूजन के कारण व लक्षण (Cystitis in Hindi)
मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता है) में संक्रमण या खून के ज्यादा होने से सूजन आ जाती है जिससे रोगी को पेशाब करने में कष्ट, दर्द और जलन होती है। इसके साथ ही रोगी में पेशाब बूंद-बूंद करके आना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
मूत्राशय में सूजन के सरल घरेलू आयुर्वेदिक उपचार (Cystitis ka Ayurvedic Ilaj in Hindi)
1. तुलसी : तुलसी के पत्ते को मिश्री मिले शर्बत में घोंटकर बार-बार पीने से मूत्राशय की जलन के रोग में अच्छा लाभ होता है।
2. जंगली अजवायन : जंगली अजवायन का काढ़ा सिरका और शहद के साथ मिलाकर पीने से नाभि के नीचे की सूजन और दर्द ठीक होता है।
3. चन्दन : चन्दन के तेल की 5 से 15 बूंदे बताशे पर डालकर रोजाना 3 बार खाने मूत्राशय की जलन ठीक हो जाती है।
4. गुग्गुल : लगभग आधे से एक ग्राम की मात्रा में गुग्गुल को गुड़ के साथ लेने से सेवन करने से मूत्राशय की सूजन दूर हो जाती है।
5. लोबान : लगभग आधे से एक ग्राम लोबान को बादाम और गोंद के साथ सुबह-शाम लेने से पेशाब के रोग में लाभ होता है।
6. शिलारस : आधे से एक ग्राम शिलारस को गुलेठी के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन और पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
7. गठिबन (बनतुलसी) : मूत्राशय की सूजन में गठिबन (बनतुलसी) के पत्तों को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
8. शीतलचीनी : मूत्राशय में सूजन होने पर आधे ग्राम शीतलचीनी के चूर्ण को दूध के साथ या आधा ग्राम फिटकिरी के साथ रोजाना 3 बार खाने से मूत्राशय की सूजन मिटती है। इसका लेप नाभि के नीचे करने से लाभ होता है।
9. छोटी गोखरू : छोटी गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन में लाभ होता है।
10. अपराजिता : मूत्राशय की सूजन में अपराजिता की फांट या घोल को सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
11. अतिबला : अतिबला के बीज को 4 से 8 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से नाभि के सभी रोग और सूजन दूर होते हैं।
12. कुश : 3 से 6 ग्राम कुश की जड़ को पीसकर और घोटकर सुबह-शाम पीने से मूत्राशय से सम्बन्धी सभी रोग दूर होते हैं।
13. डाभी : 3 से 6 ग्राम डाभी की जड़ को पीसकर और घोटकर सुबह शाम पिलाने से मूत्राशय के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
14. हरीदूब : 40 ग्राम हरीदूब की जड़ का काढ़ा सुबह और शाम पीने से पेशाब की जलन और सूजन दूर होती है।
15. ग्वारपाठा की जड़ : ग्वारपाठा की जड़ की फांट या घोल को 40 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने मूत्राशय की सूजन दूर होती है।
16. अपामार्ग : 5 ग्राम से 10 ग्राम अपामार्ग की जड़ या 15 ग्राम से 50 ग्राम काढ़े को मुलेठी और गोखरू के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की जलन और सूजन दूर होती है।
17. तालमखाना : तालमखाना की जड़ का काढ़ा 40 ग्राम या बीज 2 से 4 ग्राम को दूध के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
18. पाताल गरूड़ी : पाताल गरूड़ी की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह शाम देने से मूत्राशय की सूजन समाप्त हो जाती है।
19. बरना की छाल : बरना की छाल, अपामार्ग, पुनर्नवा, यवाक्षार, गोखरू, मुलेठी के मिश्रण से तैयार काढ़े को 20 ग्राम से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से नाभि के दर्द पथरी, मधुमेह, मूत्रकृच्छता (पेशाब करने से में जलन या कष्ट होना) आदि रोगों में लाभ होता है।
20. खीरे : आधा से 10 ग्राम खीरे के बीजों को पीसकर और घोटकर शर्बत की तरह रोजाना 2 और 3 बार पीने से मूत्राशय की पीड़ा ठीक हो जाती है।
21. हीराबोल : लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से लेकर आधा ग्राम हीराबोल को सुबह-शाम खाने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
22. बड़ी लोणा (बड़ी नोनी साग) : बड़ी लोणा (बड़ी नोनी साग) के 1 से 2 ग्राम बीजों का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम खाने से मूत्राशय की सूजन में लाभ होता है। इसे साग के रूप में या साग के फांट या घोल की 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम करने से भी पूरा लाभ होता है।
23. कतीरा : 10 से 20 ग्राम कतीरा को सुबह-शाम फुलाकर मिश्री के साथ घोंटकर शर्बत की तरह सुबह-शाम पीने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)