नक्तान्ध्य एवं नकुलान्ध्य नेत्र रोग के लक्षण और उपचार

नक्तान्ध्य एवं नकुलान्ध्य रोग के लक्षण :

  • नक्तान्ध्य : यह रोग कफ दोष के दूषित होने से होता है जिसमें रोगी को रात में दिखाई नहीं देता है लेकिन दिन के प्रकाश में वह आसानी से सभी वस्तुओं को देख सकता है।
  • नकुलान्द्य : नकुलान्द्य भी नक्तान्ध्य के समान ही एक रोग है जिसमें रोगी दिन में विचित्र रूपों को देखता है और उसकी आंखें नेवले की आंखों के समान चमकती है।

नक्तान्ध्य एवं नकुलान्ध्य नेत्र रोग का इलाज (Naktandhya aur Nakulandhya ka ilaj)

1. घी : लगभग 6 से 12 ग्राम जीवन्ती के पत्तों को देशी घी में भूनकर दिन में 3 बार लेने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य में आराम मिलता है।

2. अगस्त : लगभग 15 मिलीलीटर अगस्त के पत्तों का रस या अगस्त का चूर्ण 15 से 25 ग्राम को 10 ग्राम देशी घी में भूनकर दिन में 2 बार लेने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य में लाभ होता है।

3. कपित्थ : कपित्थ के फूल वृन्त के बारीक चूर्ण से बने अंजन (काजल) या इसकी राख में जरूरी मात्रा के अनुसार शहद को मिलाकर लेप बनाकर आंखों में लगाने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य का रोग ठीक होता है।

4. श्वेत (सफेद) कमल : श्वेत कमल (सफेद कमल) और नील कमल पुंकेसर थोड़ी-सी मात्रा में लेकर गाय के ताजे गोबर के रस से धोकर गोली बनाकर रख लें। फिर इस गोली को गुलाबजल में मिलाकर आंखों में काजल की तरह प्रयोग करने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य में आराम मिलता है।

5. शहद :

  • 10 मिलीलीटर शल्लकी स्वरस (रस) और 1 ग्राम शहद को मिलाकर दिन में 2 बार इस्तेमाल करने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य की बीमारी में आराम मिलता है।
  • एक ग्राम समुद्रफेन, 5 ग्राम औरत का दूध और शहद को आंखों में अंजन (काजल) रोजाना 2 बार प्रयोग करने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य में लाभ होगा।

6. करंजबीज : जातीपुष्प (फूल), करंजबीज और शिग्रुबीज या पुष्प (फूल) को बराबर मात्रा में लेकर पानी से बनी वर्ति का अंजन (काजल) के रूप में प्रयोग करें।

7. दारूहरिद्रा : दारूहरिद्रा के बारीक पाउडर और औरत के दूध को गर्मकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसका प्रयोग अंजन (काजल) के रूप में नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य की बीमारी में करना चाहिए।

8. उदुम्बर : उदुम्बर के पत्तों के चूर्ण को पानी में गर्म कर गाढ़ा पेस्ट तैयार करके इसका अंजन (काजल) के रूप में आंखों में लगाना चाहिए।

9. गंभारी : बराबर मात्रा में लिए गये गंभारी चूर्ण, हरीतकी फल का बारीक पिसा हुआ चूर्ण और आमलकी की पोटली बनाकर साफ पानी में डुबो दें। इसकी कुछ बूंदें पोटली से आंखों में डालने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य में लाभ होता है।

10. यष्टीमधु : यष्टीमधु के बारीक चूर्ण की पोटटलिका (पोटली) बना लें इसे कुब्जक (सफेद गुलाब) के फूलों के रस में डूबोकर पोटटलिका (पोटली) से कुछ बूंदें आंखों में डालने से नक्तान्ध्य और नकुलान्ध्य में आराम मिलता है।

11. रसांजना : लगभग आधा ग्राम रसांजना को 10 मिलीलीटर औरत के दूध में मिला लें और इसकी 2 से 4 बूंदें आंखों में डाले या लगभग 1 ग्राम शुद्ध रसांजन को 10 मिलीलीटर साफ पानी में घोलकर इसमें 10 मिलीलीटर शहद मिला लें। इसकी 2 से 4 बूंदें रोज आंखों में डालें।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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