Last Updated on February 8, 2022 by admin
क्या आहार में नमक बढ़ने से बढ़ता है ब्लड प्रेशर ?
चाहे सादा नमक कहें या सोडियम क्लोराइड, लेकिन जाना-माना तथ्य है कि जब से आदमी सभ्य हुआ है तभी से नमक लोकप्रिय रहा है।
सदियों से यह व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के काम आता रहा है। किसी भी वस्तु या खाद्य पदार्थ का रंग बरकरार रखने के लिए भी नमक का इस्तेमाल किया जाता है। यदि नमक न होता, तो जैविक विकास के सामान्य नियमों के अनुसार अब तक हमारी स्वाद-ग्रंथियाँ सिकुड़ गई होतीं और फास्ट फूड, तैयार खाद्य पदार्थ, अचार, चटनी जैसी चटपटी चीजों का मजा भी आधा-अधूरा रह जाता।
लेकिन नमक का इतना अधिक इस्तेमाल हमारी सेहत के लिए ठीक नहीं। कुदरत ने हमारा शरीर इस प्रकार नहीं बनाया है कि हम अत्यधिक मात्रा में नमक का इस्तेमाल कर सकें। यदि हम कुछ हजार वर्ष पहले के इतिहास पर नजर डालें तो पता चल जाएगा कि पुरापाषाण युग में हमारे पूर्वज आज की तुलना में 1/5 भाग से भी कम नमक खाते थे।
बेशक हमारे शरीर की भीतरी प्रकृति हमारी निरंतर बदलती रुचियों के अनुसार खुद को ढालती आई है। लेकिन हममें से कई को इन रुचियों की भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है। अधिक मात्रा में सोडियम लेते रहने से हमारे शरीर में कुल द्रव पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है। हम जितना ज्यादा नमक ग्रहण करते हैं, उतना ही हमारे शरीर में पानी ज्यादा हो जाता है। इससे हमारे ‘सिस्टम पर अधिक भार पड़ता है और रक्तचाप बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है। आधुनिक सभ्य समाज में ब्लड प्रेशर बढ़ने का यह एक महत्त्वपूर्ण कारण हो सकता है। आदिवासी जातियों में हुए अध्ययनों से इस सोच को बल मिला है। उदाहरण के रूप में, यनोमेमो इंडियन जाति के 40-49 वर्ष के लोगों में पुरुषों के बीच औसत रक्तचाप 107 / 67 और स्त्रियों के बीच 98/62 पाया गया है। गौरतलब है कि इस जाति के लोग अपने खानपान में नमक बहुत कम इस्तेमाल करते हैं।
अतएव आश्चर्य नहीं कि उच्च रक्तचाप के इलाज में बहुत पहले से नमक पर पाबंदी लगती रही है। सन् 1906 से डॉक्टर ब्लड प्रेशर के रोगियों को कम नमक खाने की सलाह देते आए हैं। इधर कुछ वर्षों में नए शोधों ने अब कुछ बिलकुल चौंका देने वाले तथ्य सामने रखे हैं। इसके तहत उच्च रक्तचाप के रोगियों को दो वर्गों में बाँटा गया है –
- नमक के प्रति संवेदनशील,
- नमक के प्रति असंवेदनशील,
पाया गया है कि सिर्फ पहले वर्ग के रोगियों को ही आहार में नमक की मात्रा कम करने से आराम मिलता है। लेकिन दूसरे वर्ग के रोगियों को ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता।
इस शोध का निष्कर्ष बहुत साफ है। ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तो नमक कम करके देखें कि इसका आपके रक्तचाप पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके लिए जरूरी है कि आप कम से कम चार सप्ताह तक कम नमक खाएँ। यदि इससे लाभ पहुँचे, तो परहेज जारी रखें; कोई फर्क नहीं दिखे तो डॉक्टर से सलाह लें, पूछे कि क्या परहेज करते रहना जरूरी है!
अध्ययनों में पाया गया है कि 50 प्रतिशत रोगियों के लिए नमक कम करना लाभकारी सिद्ध होता है। यह लाभ उन्हें दो प्रकार से मिलता है-रक्तचाप पहले के मुकाबले आप-से-आप कम हो जाता है और उच्च रक्तचापरोधी दवाएँ भी पहले से अच्छा असर दिखाने लगती हैं।
अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि उच्च रक्तचाप के रोगी प्रायः नमक अधिक पसंद करते हैं। बड़ी उम्र में आकर यह मसला और गंभीर हो जाता है। ऐसा मुँह की स्वाद-ग्रंथियों के शिथिल पड़ जाने से होता है। इसीलिए इस अवस्था में आने पर लोग स्वाद बढ़ाने के लिए अतिरिक्त नमक पसंद करना शुरू कर देते हैं। पर ब्लड प्रेशर बढ़ा हो, तो बुढ़ापे की इस बेजा ललक से खुद को बचाकर ही रखना चाहिए।
आप यदि नमक कम कर दें तो कुछ महीनों में इसके प्रति आपकी ललक तथा रुचि अपने आप कम होने लगेगी। स्वाद के लिए आप नमक के स्थान पर कोई और चीज चुन सकते हैं। ( और पढ़े – नमक के फायदे और नुकसान)
अधिक नमक (सोडियम) वाले आहार :
- अचार, चटनी तथा सॉसेज।
- नमकीन, भुजिया, दालमोठ, आलू के चिप्स, वेफर्स और नमकीन बिस्कुट।
- तैयार ‘चीज’ और नमकीन मक्खन।
- कार्न फ्लेक्स ।
- चौलाई का साग, कमल के हिस्से, लीची तथा खरबूजा।
- पेस्ट्री, केक तथा आइसक्रीम।
- सॉसेज, हैम, सुअर का मांस, मछली ।
- सुरक्षित, डिब्बेबंद तथा बोतलबंद खाद्य पदार्थ।
- फास्ट फूड तथा फ्रीज खाद्य पदार्थ।
- कुछ दवाएँ, जैसे ऐंट एसिड।