Last Updated on June 11, 2020 by admin
तंत्रिका शोथ (न्यूराइटिस) रोग क्या है ? : Neuritis in Hindi
तंत्रिका शोथ (न्यूराइटिस) शरीर के उस स्थान पर होता है जहां नाड़ियों का घना जाल बिछा होता है जैसे- पृथस्नायु ,चेहरा, दांत, आदि। इस रोग में प्रभावित नाड़ियों के द्वारा असहनीय दर्द होता है तथा दर्द वाला भाग को जरा सा छूने या उस स्थान को साफ करने मात्र से दर्द और अधिक तेज हो जाता है। तंत्रिका शोथ (न्यूराइटिस) रोग के कारण प्रभावित भाग सुन्न भी पड़ जाता है तथा प्रभावित नाड़ी द्वारा नियन्त्रित होने वाले अंगों को दर्द और कमजोरी घेर लेती है, जिसके कारण वह अंग सुन्न पड़ जाता है।
तंत्रिका शोथ अथवा न्यूराइटिस, तंत्रिकाओं के सब से अधिक गंभीर विकारों में से एक है। इस बीमारी का संबंध तंत्रिकाओं के शोथ (सूजन) से है। जिसमें एक तंत्रिका अथवा तंत्रिकाओं की श्रेणी प्रभावित होती है। कभी कभी शरीर के विभिन्न हिस्सों में तंत्रिकाओं के कई अलग अलग समूह इससे प्रभावित होते हैं।
तंत्रिका शोथ रोग की प्रारिम्भक अवस्थाएं शुरू होते ही प्रभावित अंगों को सेंकना चाहिए तथा रोगी को विश्राम करना चाहिए।
तंत्रिका शोथ (न्यूराइटिस) के लक्षण : Neuritis ke Lakshan in Hindi
तंत्रिकाशोथ के प्रमुख लक्षण हैं –
- प्रभावित तंत्रिकाओं में झुनझुनी, जलन और अचानक तीखा दर्द।
- गंभीर मामलों में, सुन्नता, संवेदन में कमी और आसपास के स्नायुओं में पक्षाघात भी हो सकता है।
- इस प्रकार शरीर के प्रभावित पाश्र्व की ओढ़ चेहरे की तंत्रिकाओं में परिवर्तन के कारण चेहरे का अस्थायी पक्षाघात भी हो सकता है।
- इस बीमारी की उग्र अवस्था में, मरीज़ अपने चेहरे के प्रभावित हिस्से की ओर के स्नायुओं की सामान्य शक्ति और तान या तनाव की कमी की वज़ह से आँखों को बंद नहीं कर सकता।
- तंत्रिकाशोध प्रणाली अल्परक्तता (परनिशस अनेमिया) के कारण भी हो सकता है, जिसमें मेरुदंड या रीढ़ की तंत्रिकाएँ प्रभावित होती हैं।
- इस बीमारी के मरीज़ के लिये अंधेरे में चलना काफ़ी मुश्किल होता है।
तंत्रिका शोथ (न्यूराइटिस) के कारण : Naso me Dard ke Karan in Hindi
- तंत्रिकाशोथ का प्रमुख कारण रक्त और शरीर के अन्य प्रवाही द्रव्य की अत्यधिक एसिडिक स्थिति है।
- शरीर के सभी प्रवाही द्रव्यों की प्रतिक्रिया आल्कलाइन होती है परंतु जब लंबे समय तक गलत आहार के कारण एसिड अवशेष पदार्थ लगातार पेशियों में पैदा होते हैं, तब अम्लपित्त होता है।
- गलत जीवनशैली और अत्यधिक कार्यभार आदि तंत्रिका तंत्र की शक्ति को कम करते है और तंत्रिकाशोध की बीमारी पैदा करते में सहयोग देते हैं।
- यह बीमारी पोषण की कई प्रकार की कमियों और चयापचय की गड़बड़ियों, जैसे केल्शियम का गलत चयापचय, पेन्टोथेनिक एसिड और B2 जैसे विभिन्न B विटामिन्स और सामान्य रक्त विषाक्तता के कारण होती है।
- तंत्रिकाशोथ के अन्य कारणों में हैं – तंत्रिका पर प्रहार, गहरी चोट, खरोंच या भारी दबाव और हड्डियों की टूटन अथवा विस्थापन।
- किसी भी तीव्र, स्नायुगत प्रवृत्ति या मोच के कारण जोड़ या संधि में विस्तार से भी तंत्रिकाओं को चोट पहुँचती है और तंत्रिकाशोध होता है।
- कुछ खास संक्रमणो, जैसे क्षय, डिप्थेरिया, टिटेनस, कुष्ठरोग और डायाबीटीज मेलिटस और कीटनाशक दवाइयों, पारा, सीसा, आर्सेनिक और शराब के कारण विष के फैलने से भी तंत्रिकाशोध की बीमारी होती है।
आहार द्वारा तंत्रिका शोथ (न्यूराइटिस) का इलाज : Naso ke Dard ka Gharelu ilaj
तंत्रिकाशोथ की बीमारी में दर्दनाशक दवाइयों द्वारा इलाज से मात्र अस्थायी आराम मिल सकता है, उनसे ये लक्षण असरकारक रूप से दूर नहीं होते। कुछ समय के लिये दर्द से मुक्ति मिलती है, लेकिन वह भी शरीर के अन्य हिस्सों, विशेष रूप से हृदय और गुर्दो के स्वास्थ्य के बदले मिलती है और तंत्रिकाशोथ तो बना ही रहता है।
1). तंत्रिकाशोथ का सर्वश्रेष्ठ उपचार यह है कि मरीज़ को आदर्श पोषण मिले, जिसमें सभी विटामिन और अन्य पोषक तत्त्व शामिल हों। आहार में तीन मूलभूत खाद्यपदार्थों के समूह शामिल होने चाहिए, जैसे बीज़, सूखे मेवे और अनाज़, साग सब्जियाँ और फल।
2). इस आहार में साबूत अनाज़, विशेष रूप के साबूत गेहूँ, उकड़े चावल, कच्चे और अंकुरित बीज़, कच्चा दूध, विशेष रूप से घर का बना हुआ पनीर।
3). पथ्यापथ्य के इस दौर में, नाश्ते में ताजे फल, एक मुट्ठीभर कच्चे, सूखे मेवे अथवा एक-दो टीस्पून सूर्यमुखी और कद्दू के बीज़ शामिल करने चाहिए।
4). दोपहर में भोजन के लिये भाप से पकाई हुईं सब्जियाँ, गेहूँ की रोटियाँ और एक ग्लास छाछ ली जा सकती है।
5). रात के भोजन में, एक बड़ा कटोराभर ताज़ी हरी सब्ज़ियों का सलाद, ताज़ा, घर का बना हुआ पनीर, ताज़ा मक्खन और एक ग्लास छाछ शामिल होनी चाहिए।
6). गंभीर मामलों में, आदर्श आहार लेने से पहले मरीज़ को चार या पाँच दिनों के लिये रस के साथ अल्पकालिक उपवास करना चाहिए। गाजर, बीट, खट्टे फल, सेब और अनन्नास का रस लिया जा सकता है।
7). B समूह के सभी विटामिन तंत्रिकाशोध के निवारण और उपचार के लिये बहुत लाभदायक सिद्ध हुए हैं। जब विटामिन B1, B2, B6, B12 और पेन्टोथेमिक एसिड़ साथ में दिये जायें, तो रोग में सुधार होता है और कुछ मामलों में अत्यंत दर्द, कमज़ोरी और सुन्नता से एक घंटे के भीतर आराम मिलता है।
8). रोगी को सफ़ेद ब्रेड, चीनी, रिफ़ाइन्ड सिरिअल्स, मांस, मछली, डिब्बेबंद खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफ़ी और मसालों से परहेज़ करना चाहिए क्यों कि ये सभी खाद्य पदार्थ पेशियों में लगातार एसिड अशुद्धियों को बड़ी मात्रा में भरकर बीमारी की जड़ पैदा करते हैं।
9). मरीज़ को सप्ताह में दो या तीन बार गर्म एप्सम सोल्ट बाथ लेना चाहिए। यह 25 से 30 मिनट तक हो। प्रभावित हिस्सों को दिन में कई बार एप्सम सोल्टयुक्त गर्म पानी में रखना चाहिए। इसके लिये एक कप गर्म पानी में एक टेबलस्पून एप्सम सोल्ट डालना चाहिए। मरीज़ को हल्की कसरतें, जैसे चलना आदि, करनी चाहिए।
तंत्रिकाशोथ (न्यूराइटिस) में खान-पान और परहेज :
पथ्य (रोगी के लिए हितकर वस्तु) –
I) चार या पाँच दिनों तक फल या सब्ज़ी का कच्चा रस। प्रत्येक दो या तीन घंटों बाद रस के साथ साधारण गर्म पानी मिलाकर एक ग्लास पीयें।
II) इसके बाद, निम्नानुसार नियंत्रित दुग्ध शाकाहारी पथ्य को अपनाये:
- प्रात:काल उठने पर : एक ग्लास ताज़ा फल अथवा सब्ज़ी का रस।
- सुबह का नाश्ता : ताजे फल और शहद मिलाकर दूध लें। एक मुट्ठीभर कच्चे बीज़ या
- सूखे मेवे।
- दोपहर का भोजन : एक कटोरा भाप से पकाई गईं सब्ज़ियाँ एक या दो गेहूँ की रोटियाँ, बिना नमक का ताज़ा मक्खन और एक ग्लास छाछ।
- शाम का नाश्ता : एक ग्लास फल अथवा सब्ज़ी का रस।
- रात का भोजन : नींबू का रस निचोड़कर ताज़ी, हरी सब्ज़ियों का सलाद और घर का बना पनीर।
अपथ्य (अहितकर) –
चाय, कॉफ़ी, नमक, चोकलेट, मसाले (राई, काली मिर्च, और विनेगार), चीनी तथा मेदा और उनसे बने खाद्यपदार्थ और रिफाइन्ड खाद्यपदार्थ।
विशेष रूप से लाभदायक :
सभी फल और बेरीज़, सब्ज़ियाँ जैसे गाज़र, पत्तागोभी, मूली, ककड़ी, लाल बीट और टमाटर।
अन्य उपाय :
- सप्ताह में दो बार गर्म एप्सम सोल्ट बाथ।
- सप्ताह में एक बार मसाज़।
- चलना और हल्का व्यायाम, जिसमें एकपादथासन, वज्रासन और शवासन शामिल