Last Updated on February 15, 2023 by admin
निमोनिया रोग क्या है ? :
फेफड़ों में जब कोई रोग हो जाता है तो उसे निमोनिया रोग कहते हैं। निमोनिया रोग अधिकतर संक्रमण के कारण होता है। कई बार यह रोग अन्य किसी बीमारी के कारण भी हो जाता है लेकिन इस रोग के लक्षण देर से दिखाई देते हैं।
निमोनिया रोग के कारण :
- यह रोग कई प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया के जीवाणुओं के कारण फैलता है।
- चिकन-पॉक्स, फ्लू तथा लेजियानेयर रोग के जीवाणुओं के द्वारा निमोनिया का संक्रमण हो सकता है।
- यह रोग कई बार अनेक बीमारियों के कारण भी फैलता है जैसे- सांस लेते वक्त उल्टी या बलगम के चले जाने के वजह से या फिर क्लोरीन जैसी जहरीली गैसों में सांस लेने से भी यह रोग हो जाता है।
- इस रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले यह पता करना चाहिए कि निमोनिया रोग होने का क्या कारण है और रोग की अवस्था इलाज के समय कैसी है।
- निमोनिया रोग बच्चों, बूढ़ों तथा ऐसे लोगों को ज्यादा होता है जिन व्यक्तियों के शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है अर्थात जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घट चुकी होती है।
- यह रोग शराबी या एड्स की बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को अधिकतर होता है।
- वृद्ध व्यक्तियों को भी यह रोग अधिकतर हो जाता है।
निमोनिया रोग के प्रकार :
निमोनिया रोग 3 प्रकार का होता है-
- ब्रोंको-निमोनिया- ब्रोंको-निमोनिया रोग वायु कोष्ठों और वायु मार्ग में संक्रमण हो जाने के कारण होता है। यह निमोनिया एक या दोनों फेफड़ों के ऊतकों में संक्रमण हो जाने के कारण भी हो सकता है।
- लोबार निमोनिया– लोबार निमोनिया रोग में संक्रमण के कारण फेफड़ों का एक हिस्सा प्रभावित होता है।
- डबल निमोनिया- जब निमोनिया रोग दोनों फेफड़ों को प्रभावित करता है तो उसे डबल निमोनिया कहते हैं।
निमोनिया रोग के लक्षण :
इस रोग में रोगी को बुखार, ठंड, खांसी, सांस लेते समय कठिनाई जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। इसके साथ-साथ रोगी को पीला बलगम भी निकलने लगता है। कभी-कभी इस रोग के कारण रोगी के बलगम से खून भी निकलने लगता है। इस रोग के कारण रोगी को सांस लेते समय छाती में ज्यादा तेज दर्द होता है क्योंकि निमोनिया के साथ-साथ प्लुरिसी भी होती है। जब यह रोग फ्लू जैसे रोग के कारण होता है तो रोगी को बहुत ज्यादा परेशान करता है जबकि सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में इसका संक्रमण होने पर सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण ही दिखाई देते हैं। निमोनिया रोग के कारण कभी-कभी रोगी के फेफड़ों के इर्द-गिर्द पीब (मवाद) भी बन जाती है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा निमोनिया रोग का उपचार :
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसे अपनी छाती की जांच करानी चाहिए। रोगी के खून और थूक के नमूने की भी जांच करानी चाहिए। इस जांच के द्वारा यह पता चल जाता है कि बीमारी की अवस्था इस समय क्या है। इस बीमारी में जब रोगी को तेज बुखार होता है तो उसे अपने बुखार को काबू में करने के लिए उचित उपाय करना चाहिए। रोगी को एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा उपचार कराने के लिए सबसे पहले किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
इस चित्र में दिए गए एक्यूप्रेशर बिन्दु के अनुसार रोगी के शरीर पर दबाव देकर निमोनिया रोग का उपचार किया जा सकता है। रोगी को अपना इलाज किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की देख-रेख में कराना चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही दबाव देने का अनुभव होता है और वह सही तरीके से निमोनिया रोग का उपचार कर सकता है।