मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) एवं दांत – Oral Cancer And Teeth

Last Updated on April 26, 2021 by admin

आज विश्व में मृत्यु का सबसे बड़ा दूसरा कारण मुंह का कैंसर है, अगर हम कुछ सावधानियां रखें तो निश्चित रूप से, मुंह के कैंसर (ओरल) के चौंकाने वाले आंकड़ो को कम किया जा सकता है।

मुंह का कैंसर (Oral Cancer in Hindi)

ओरल कैंसर के रोगी की स्थिति बहुत ही गंभीर होती है, वे रोगी धन को बर्बाद करके मृत्यु को प्राप्त होते हैं। मुंह के कैंसर में दांतों का एवं असंयमित खान-पान का बड़ा रोल होता है। सर्वप्रथम दांतो की संरचना के बारे में समझना होगा।

प्रत्येक व्यक्ति में बतीस दांत होते है। जिनमें सोलह उपर एवं सोलह नीचे होते हैं। सामने के चार दांत जिन्हें छेदक (Incisor) कहते हैं जो खाने काटने का काम करते हैं, दोनों तरफ एक – एक नुकीला दांत होता है जिसे भेदक (Canine) कहते हैं, ये फाड़ने का काम करते हैं इसके बाद दो – दो होते हैं जिन्हें अग्र चर्वणक (Premolar) कहते हैं, जो टुकड़ों में बांटने का काम करते है, इसके बाद तीन – तीन दांत होते हैं जिन्हें चर्वणक (Molar) कहते हैं ये चबाने या पीसने का काम करते हैं।

दांत बेहद सक्रिय टिश्यू है, जिसमें हमेशा बायोकेमिकल रियेक्शन होते रहते हैं । इन रसायनिक प्रकियाओं के लिये बहुत ही सूक्ष्म तत्व और एन्जाइमस् का होना आवश्यक है, जिनमें प्रोटीन कैल्सियम, विटामिन – डी, मैग्नेशियम, मैगनीज, विटामिन के फोलिक ऐसिड बी-6, बी-12 बोरोन, सिलिकॉन, जिंक आदि प्रमुख है ।

दांत अच्छी तरह मसूड़ों से जकड़े रहते हैं, ये आहार को पाचन योग्य बनाकर शारीरिक- मानसिक पोषण प्रदान करते हैं, लेकिन अज्ञानतावश हम इन्हें कैसे अस्वस्थ बनाते हैं यह ध्यान देने की आवश्यकता है।

अगर वास्तव में ओरल कैंसर, सब म्यूकस फाइबोसिस, ल्यूकोमिया आदि से बचना चाहते हैं, दातों को सुन्दर एवं सुरक्षित देखना चाहते हैं तो प्रारम्भ से ही योग्य दंत चिकित्सक से परामर्श की आवश्यकता होनी चाहिए।

ओरल कैंसर के कारण (Oral Cancer ke Karan in Hindi)

प्रारम्भ से दंत पक्तियों की रचना विकसित करना, त्रुटि पूर्ण दांतों की रचनात्मक विकृति को दूर करना आवश्यक है क्योंकि दांतो की सफाई करते हुए भी कुछ जमा तत्व, बैक्टेरिया संक्रमण कर दांत एवं मसूडो तक पहुंचना शुरू कर देते हैं। दांतो को हानि पहुंचाने वाले प्रमुख कारकः तम्बाकू, गुटखा, धूम्रपान सुपारी, कोल्डड्रिंक्स, चॉकलेट, शराब, बिस्किट, अधिक ठण्डा एवं अधिक गर्म खाद्य एवं पेय पदार्थ, डिब्बा बंद भोज्य एवं पेय मुंह की श्लेष्माकला में Irritation करते हैं, जो मुंह में सबम्यूकस फायब्रोसिस (Submucous fibrosis) बनाते हैं ।

अन्य सहायक कारण जैसे हायपर एसिडिटी, डिप्रेसन आदि से अधिक एसिड बनता है, जो मुंह तक एसिडिक बनाकर रखता है जिससे दांतो के इनेमिल को क्षति पहुंचती है मुंह में जीर्ण छाले एवं अल्सर बन सकते हैं।

ओरल कैंसर के लक्षण (Oral Cancer ke Lakshan in Hindi)

  • मुंह की श्लेष्माकला का कठोर बनना।
  • मुंह के आकार में परिवर्तन ।
  • मुंह में सफेद थक्के बनने लगते हैं, कई बार गाल के बाहर भी दिखाई देने लगते हैं ।
  • इसके अलावा Parotid glands में संक्रमण हो जाता है जो कालांतर में गांठ के रूप में परिवर्तित हो जाती है।

ओरल कैंसर से बचने के उपाय (Oral Cancer se Bachne ke Upay in Hindi)

  • दांतो एवं मुंह की स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए।
  • प्रातःकाल एवं रात में सोने से पूर्व ब्रुश करें ।
  • नमक हल्दी के कुल्ले एवं गरारे करें।
  • सरसों के तेल की सोते समय मसूडों में मसाज करें।
  • मसूडे एवं मुंह की श्लेष्म कला संवेदनशील होती है कुछ दशक पूर्व तक भोजन में घी की मात्रा अधिक होती थी, जिससे मुंह की श्लेष्माकला क्षुब्ध नहीं होती थी लेकिन वर्तमान में बी.पी. शुगर, हृदय रोग, कॉलेस्ट्रोल, मोटापा आदि कारणों से भोजन स्नेह रहित होता है, अतः सोते समय मसूडों की मसाज आवश्यक है।
  • भोजन से नियमित एवं संतुलित रूप से दूध, पनीर छाछ, मक्खन, पालक मेथी, बथुआ,मूली, गाजर, टमाटर, गोभी, चुकन्दर, कद्दू, सेब, केला, सीताफल, बादाम काजू अखरोट, मखाने, सोयाबीन, दालें, आदि का सेवन करें ।
  • शिशु को स्तनपान करावें।
  • कुछ भी खाने के बाद ब्रुश अवश्य करें।
  • समय – समय पर दंत पैथोलॉजिस्ट से परामर्श लेते रहना चाहिए। जिससे ओरल कैंसर एवं अन्य मुंह की घातक बीमारियों से बचा जा सके।

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