पचास की उम्र में फिट और तंदुरुस्त रहने के उपाय

50 की उम्र यानी ‘हाफ सेंचुरी’ बड़ी महत्वपूर्ण होती है। आधी बीत चुकी उम्र के अनुभव आगे के लिए मार्गदर्शक होते हैं। इस उम्र में फिट रहना ही, आगे की उम्र में आनंदमय जीवन जीने का मंत्र है।
व्यायाम से वृद्धत्व को आगे धकेला जा सकता है। कार्यक्षम जीवन जीया जा सकता है। वृद्धावस्था में अच्छा आरोग्य सँभालना हमारे हाथ में होता है। वृद्धावस्था में, अनेक शारीरिक व्याधियों से दूर रहने के लिए नियमित व्यायाम करना ज़रूरी होता है।

वृद्धावस्था आपकी शारीरिक एवं मानसिक अवस्था पर निर्भर होती है। वृद्धावस्था में तंदुरुस्त रहने के लिए यौवनावस्था में ही जड़ों को मज़बूत करना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं कि वृद्धावस्था में व्यायाम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। ‘जब जागो वहीं सवेरा’। वृद्धावस्था में व्यायाम शुरू करने से पहले, डॉक्टर, फिजिओथेरपिस्ट या विशेषज्ञों का मार्गदर्शन लेकर ही व्यायाम का नियोजन करें।

वृद्धावस्था एक नैसर्गिक शारीरिक बदलाव की क्रिया है। प्रकृति के नियमानुसार इसमें बदलाव आते रहते हैं व इसमें शारीरिक क्षमता कम होने लगती है। शरीर की त्वचा पर झुर्रियाँ आना, बालों में सफेदी आना , नज़र कमज़ोर होना, कानों से कम सुनाई देना इत्यादि बातें 50 की उम्र के बाद अधिक दिखाई देती हैं। ये सभी वृद्धावस्था के बाहरी लक्षण हैं किंतु शरीर में होनेवाले बदलाव ज़्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।

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वृद्धावस्था की सामान्य परेशानी और व्याधियाँ :

  • रक्तवाहिनियों का लचीलापन कम होने लगता है। वे अंदर से खुरदुरी होने लगती हैं जिस वजह से उस पर कोलेस्ट्रोल की परत जमने लगती है और वे सिकुड़ने लगती हैं।
  • इंद्रियों को खून मिलना कम हो जाता है, जिस वजह से वे अकार्यक्षम होने लगती हैं।
  • हृदय और मस्तिष्क को खून कम मिलने के कारण, चलने या सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते समय साँस फूलना, याददाश्त कम होना इत्यादि तकलीफें होती हैं।
  • उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि व्याधियाँ होती हैं।
  • हड्डियों में कैल्शियम कम होने की वजह से हड्डियाँ कमज़ोर पड़ जाती हैं या खोखली हो जाती हैं।

घुटनों में दर्द होना, चलने-फिरने में तकलीफ होना। इन सभी शारीरिक समस्याओं की वजह से वृद्धावस्था बोझ लगने लगता है।

इन बातों को हम पूरी रह रोक नहीं सकते लेकिन व्यायाम से काफी हद तक इन्हें कम ज़रूर कर सकते हैं। हम ऐसे कई वृद्धों को देखते हैं जो आखिरी साँस तक चलते-फिरते हैं और स्वस्थ रहते हैं। इसका कारण है उनकी नियमित दिनचर्या ।

वृद्धावस्था में व्यायाम शुरु करने से पहले इन बातों का रखे ख्याल :

वृद्धावस्था में व्यायाम की शुरुआत करने से पहले कुछ बातों का जायज़ा लेना ज़रूरी है। ये बातें कुछ इस प्रकार हैं –

1) वज़न : सबसे पहले अपने वज़न का जायज़ा लें। यदि वज़न ज़्यादा हो तो उसे कम करने की योजना बनाएँ। शरीर पर कहाँ चरबी का प्रमाण अधिक है, यह जाँचें। अपने पेट का आकार देखें।

2) नाड़ी की गति को गिनना : आराम के समय नाड़ी की गति गिनें । सामान्यतः नाड़ी की गति 1 मिनट में 60 से 85 होती है।

3) दमखास (Stamina) गिनना : समतल ज़मीन पर तेज़ गति से चलें और देखें कि आप बिना थके कितने समय चल सकते हैं। यह घड़ी लगाकर जाँचें। यदि आप 10 मिनट तक तेज़ गति से चल पाते हैं और आपको थकान महसूस नहीं होती तो समझ जाएँ कि आपके हृदय और फेफड़ों की क्षमता सही है।

4) संधियों का लचीलापन : शरीर के हर संधि को नीचे ऊपर, दोनों तरफ गोलाकार घुमाकर जाँचें। पालथी मारकर बैठकर देखें कि क्या आप इस अवस्था में बिना तकलीफ कम से कम 10 मिनट बैठ पाते हैं। वज्रासन में भी बैठकर देखें।

5) ताकत : एक बाल्टी पानी की भरकर, हाथ से उठाकर देखें कि आप यह कर पाते हैं या नहीं। 5 पौंड का वज़न उठाकर देखें कि आप उसे नीचे ऊपर, दाएँबाएँ घुमा पाते हैं या नहीं।

इन सारी बातों को जाँचकर देखें। यदि कहीं दर्द होता है तो उसे नोट करें, फिर उसके तहत व्यायाम का नियोजन करें।

वैद्यकीय जाँच करवाते रहें। उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, नाड़ी की गति, वज़न, हृदय की क्षमता, रक्त में शर्करा, हिमोग्लोबीन की जाँच अवश्य करवाएँ। वृद्धों के लिए आदर्श व्यायाम दिन में 45 मिनट व्यायाम काफी है। सप्ताह में एक दिन व्यायाम को आराम दें। आराम भी व्यायाम के जितना ही आवश्यक है।

कौनसे व्यायाम करें ? :

  • एरोबिक्स व्यायाम, चलना, पहाड़ चढ़ना, तैराकी, साइकलिंग इत्यादि क्षमतानुसार करें।
  • ताकत बढ़ानेवाले व्यायाम जैसे डंबल्स उठाना, रेत की थैली उठाना आदि करें।
  • योगासन एवं सूर्यनमस्कार करें।

व्यायाम करते समय ध्यान देने योग्य सावधानियाँ :

  • व्यायाम सुबह या धूप जाने के बाद करें।
  • व्यायाम को शुरुआत में कम समय तक करें, धीरे-धीरे बढ़ाते जाएँ।
  • बीमारी, सर्दी, खाँसी इत्यादि हो तो व्यायाम न करें।
  • यदि कोई जोड़ दर्द करे तो उस पर तनाव आनेवाले व्यायाम बंद करें।
  • मधुमेह के रोगियों को खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • घूमने जाते समय ‘स्पोर्ट्स शूज़’ का इस्तेमाल करें।
  • स्थूल लोगों को घुटनों पर तनाव आनेवाले, खड़े रहकर करनेवाले व्यायाम कम प्रमाण में करने चाहिए।
  • पहाड़ पर चढ़ना और सीढ़ियाँ चढ़ना कम करें।
  • जॉगिंग, स्किपिंग तथा दौड़नेवाले व्यायाम टालें।
  • व्यायाम का फायदा लेकर अपने आपको फिट रखें।

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