Last Updated on February 4, 2023 by admin
पेशाब का रंग काला या हरा होने के कारण :
जिस प्रकार गुर्दे की खराबी की वजह से पेशाब में खून आता है उसी प्रकार गुर्दे की खराबी से पेशाब का रंग काला या हरा हो जाता है। गुर्दे के ठीक होने से पेशाब का रंग फिर साफ हो जाता है। अगर पेशाब का रंग काला हो तो उसका कारण गुर्दे में सूजन हो सकती है।
किडनी (गुर्दे) की खराबी के लक्षण :
गुर्दे की बीमारी जब प्रारम्भ होती है तो नेत्र, नेत्र, मुख, और पैरों में सूजन, अग्निमांद्य, निद्रानाश, चमड़ी रूखी, नाड़ी रुक-रुककर या तेज चलने लगती है। जब यह रोग पूर्ण रूप धारण कर लेता है तो निम्न लक्षण पैदा हो जाते हैं :
मुख पीला पड़ जाना, पसीना कम आना, त्वचा रुखी, अग्निमांद्य, कमर और पेट में दर्द, मूत्र में जलन, पीड़ायुक्त और बार-बार होना ।
रोग के बढ़ जाने पर अनेक उपद्रव पैदा हो सकते हैं, जैसे जिगर और तिल्ली में सूजन, हृदय रोग, कानों में आवाज आना, चक्कर आना, हाथ-पैरों में भारीपन या फूटन की शिकायत, बेहोशी, सिरदर्द, कंधों और गर्दन में दर्द ।
जब रोग अत्यधिक बढ़ जाता है तो रोगी गंभीर संकट में फंस जाता है। ऐसी स्थिति में आधुनिक चिकित्सक रक्तशुद्धि हेतु डायलिसिस द्वारा शुद्ध रक्त चढ़ाने की सलाह देते हैं। गंभीर स्थिति में गुर्दा – प्रत्यारोपण भी कराते हैं। बहरहाल इस प्रकार की चिकित्सा बहुत खर्चीली होती है।
पेशाब का रंग काला या हरा होने पर इलाज :
1. तुलसी: थोड़े से तुलसी के पत्तों को पीसकर मिश्री के शर्बत में मिलाकर रोजाना 3 से 4 बार पीने से पेशाब साफ और खुलकर आता है।
2. अनन्तमूल: अगर पेशाब का रंग बदलने के साथ-साथ गुर्दे में भी सूजन आ रही हो तो 50 से 100 मिलीलीटर अनन्तमूल की फांट या घोल को गुरुच और जीरे के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
3. चन्दन: 5 से 10 बूंद चन्दन के तेल की बताशे पर डालकर रोजाना 2 से 3 बार रोगी को देने से गुर्दे की सूजन मे आराम आता है और पेशाब का रंग साफ होता है।
4. सिनुआर: 10 से 20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्तों का रस सुबह और शाम रोगी को पिलाने से गुर्दे की सूजन दूर हो जाती है। इसके साथ ही सिनुआर, करंज, धतूरा और नीम के पत्तों को पीसकर गुर्दे के ऊपर (नाभि से उल्टी ओर) लगाना भी लाभकारी होता है।
5. त्रिफला: 3 से 5 ग्राम त्रिफला का चूर्ण सुबह और शाम गर्म पानी के साथ रोगी को खिलाने से या 6 ग्राम जवाखार के साथ ताजे पानी में मिलाकर पिलाने से आराम आता है।
किडनी (गुर्दे) की खराबी में क्या खाएं क्या न खाएं :
क्या खाएं –
गुर्दों में खून की शुद्धि ठीक प्रकार से न होने पर पानी का अंश मूत्र द्वारा बाहर कम निकलता है। इससे मूत्रवाहक संस्थान की शुद्धि ठीक प्रकार से न होने के कारण मूत्र के साथ विभिन्न प्रकार के पदार्थ निकलने लगते हैं। परिणामस्वरूप आंतरिक सूजन पैदा होकर बुखार आने लगता है। ऐसी स्थिति में मूत्र-संस्थान की शुद्धि नितांत आवश्यक है। सर्वप्रथम रोग पर नियंत्रण करना चाहिए। इस हेतु आहार में जौ, कुलथी, शाकों में सहिजन की फली, परवल, करेला, फलों में जामुन तरबूज, साथ ही गन्ने का रस और नारियल का पानी विशेष लाभकारी हैं।
रोगों के लक्षण मालूम पड़ते ही अपने चिकित्सक की सलाह से उपाय करने चाहिएं। पेशाब लानेवाले आहार – पदार्थों का विशेष रूप से सेवन करना चाहिए। नारियल का पानी, जौ का पानी, गन्ने का रस विशेष उपयोगी होते हैं। फलों में खरबूजा, तरबूज, अंगूर भी लाभदायक हैं। सब्जियों में मूली, ककड़ी, चौलाई, तोरई, लौकी सहिजन की फली का साग हितकर होता है। अन्य पदार्थों में कुलथी, मूंग के सत्तू का प्रयोग भी लाभकारी होता है।
ओषधियों में त्रिफला चूर्ण एक चम्मच प्रतिदिन रात को सोते समय गरम पानी के साथ लें। गोक्षुरादि गुग्गुल की एक-एक गोली मिलाकर दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करें। सुदर्शन वटी व आरोग्यवर्धिनी की एक-एक गोली मिलाकर दिन में दो या तीन बार पानी के साथ लें। पुनर्नवा एक तोले को दो कप पानी में काढ़ा बनायें जब आधा कप रह जाये तो छानकर सुबह तथा रात को पीना चाहिए। इससे शीघ्र ही लाभ की सम्भावना है।
क्या न खाएं –
नमक का सेवन यथासंभव बन्द कर देना चाहिए। खटाई, टमाटर, नीबू आदि खट्टी चीजें तथा मांस, मछली, अण्डा मदिरा तथा धूम्रपान भी छोड़ देना चाहिए।
गुर्दे की बीमारी में दही, लस्सी, सिरका और शराब को त्याग देना चाहिए। फलों में केला, खट्टा संतरा नहीं लेना चाहिए। खट्टे पदार्थों से पूरी तरह परहेज करें।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)