पीड पराई जाने रे…(बोध कथा) | Motivational Story in Hindi

Last Updated on July 22, 2019 by admin

प्रेरक हिंदी कहानी : Hindi Storie with Moral

★ ज्ञानी किसी से प्यार करने के लिए बँधे हुये नहीं हैं और किसी को डाँटने में भी राजी नहीं हैं । हमारी जैसी योग्यता होती है, ऐसा उनका व्यवहार हमारे प्रति होता है ।

★ लीलाशाह बापू के श्रीचरणों में बहुत लोग गये थे । एक लडका भी गया था । वह मणिनगर में रहता था । शिवजी को जल चढाने के पश्चात् ही वह जल पीता । वह लडका खूब निष्ठा से ध्यान-भजन करता और सेवा पूजा करता ।

★ एक दिन कोई व्यक्ति रास्ते में बेहोश पडा हुआ था । शिवजी को जल चढाने जाते समय उस बालक ने उसे देखा और अपनी पूजा-वूजा छोडकर उस गरीब की सेवा में लग गया । बिहार का कोई युवक था । नौकरी की खोज में आया था । कालुपुर (अमदावाद) स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक-दो दिन रहा । कुलियों ने मारपीट कर भगा दिया इसलिए चलते-चलते मणिनगर में पुनीत आश्रम की ओर जा रहा था । वहाँ रोटी मिलेगी इस आशा में जा रहा था । रोटी तो वहाँ नहीं मिलती थी इसलिए भूख के कारण चलते-चलते रास्ते में गिर गया और बेहोश हो गया ।

★ उस लडके का घर पुनीत आश्रम के पास ही था । सुबह के दस-साढे दस बजे थे । वह लडका घर से ध्यान-भजन से निपटकर मंदिर में शिवजी को जल चढाने के लिए जल का लोटा और पूजा की सामग्री लेकर जा रहा था । उसने देखा कि रास्ते में कोई युवक पडा है । रास्ते चलते लोग बोलते थे कि : ‘शराब पी होगी, यह होगा, वह होगा…. हमें क्या ?

★ लडके को दया आयी पुण्य किये हुये हों तो प्रेरणा भी अच्छी मिलती है । शुभ कर्मों से शुभ प्रेरणा मिलती है । अपने पास की पूजा की सामग्री एक ओर रखकर उसने उस व्यक्ति को हिलाया । बहुत मुश्किल से उसकी आँखें खुलीं, कोई उसे जूते सूँघाता, कोई कुछ करता कोई कुछ बोलता था । आँखें खोलते ही वह व्यक्ति धीरे से बोला : पानी… पानी…

★ लडके ने महादेवजी के लिए लाया हुआ जल का लोटा उसे पिला दिया । फिर दौडकर घर गया और अपने हिस्से का दूध लाकर उसे दिया । युवक के जी में जी आया ।

★ उस युवक ने अपनी व्यथा बताते हुये कहा : ‘‘बाबूजी ! मैं बिहार से आया हूँ । मेरे बाप गुजर गये । काका दिन-रात टोकते रहते थे कि कमाओ नहीं तो खाओगे क्या ? नौकरी-धंधा मिलता नहीं है । भटकते-भटकते अमदावाद के स्टेशन पर कुली का काम करने का प्रयत्न किया । हमारी रोटी-रोजी छिन जायेगी ऐसा समझकर कुलियों ने खूब मारा । पैदल चलते-चलते मणिनगर स्टेशन की ओर आते-आते यहाँ तीन दिन की भूख और मार के कारण चक्कर आये और गिर गया ।

★ लडके ने उसे खिलाया । अपना इकट्ठा किया हुआ जेबखर्च का पैसा दिया । उस युवक को जहाँ जाना था वहाँ भेजने की व्यवस्था की । इस लडके के हृदय में आनंद की वृद्धि हुई । अंतर में आवाज आयी :
‘‘बेटा ! अब मैं तुझे जल्दी मिलूँगा… बहुत जल्दी मिलूँगा ।
लडके ने प्रश्न किया : ‘‘अंदर कौन बोलता है ?
तब उत्तर आया : ‘‘जिस शिव की तू पूजा करता है वह तेरा आत्मशिव । अब मैं तेरे हृदय में प्रकट होऊँगा । सेवा के अधिकारी की सेवा मुझ शिव की ही सेवा है ।

★ उस दिन उस अंतर्यामी ने अनोखी प्रेरणा और प्रोत्साहन दिया और वह लडका तो निकल पडा घर छोडकर… । ईश्वर का साक्षात्कार करने के लिए केदारनाथ, वृन्दावन होते हुये नैनिताल के अरण्य में पहुँचा ।

★ केदारनाथ के दर्शन पाये, लक्षाधिपति आशिष पाये ।
इस आशीर्वाद को वापस कर ईश्वरप्राप्ति के लिए फिर पूजा की । उसके पास जो कुछ रूपये-पैसे थे, उन्हों वृंदावन में साधु-संतों एवं गरीबों में भण्डारा करके खर्च कर दिया था । थोडे से पैसे लेकर नैनिताल के अरण्यों में पहुँचा । लोकलाडीले, लाखों हृदयों को हरिरस पिलाते पूज्यपाद सद्गुरु लीलाशाह बापू की राह देखते हुये चालीस दिन बिताये । गुरुवर लीलाशाह बापू को अब पूर्ण समर्पित शिष्य मिला… पूर्ण खजाना प्राप्त करने वाला पवित्रात्मा मिला । पूर्ण गुरु को पूर्ण शिष्य मिला ।

★ जिस लडके के विषय में यह कथा पढ रहे हैं वह लडका कौन होगा, जानते हो ?
पूर्ण गुरु कृपा मिली, पूर्ण गुरु का ज्ञान ।
आसुमल से हो गये, सांई आसाराम ।।

★ अब तो समझ ही गये होंगे । उस लडके के वेश में छुपे हुये थे पूर्व जन्म के योगी और वर्तमान में विश्वविख्यात हमारे पूज्यपाद सद्गुरुदेव श्री आसारामजी महाराज ।

श्रोत – ऋषि प्रसाद मासिक पत्रिका (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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