Last Updated on November 2, 2019 by admin
पुष्यानुग चूर्ण क्या है ? : Pushyanug Churna in Hindi
पुष्यानुग चूर्ण पाउडर के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इस योग का विवरण सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली नामक ग्रन्थ में पढ़ने को मिलता है।
इस चूर्ण के सेवन से योनि-रोग, योनिदाह, सब प्रकार के प्रदर रक्त, श्वेत, नीला, काला व पीला, योनिस्राव (प्रदर), योनिक्षत, बादी तथा खूनी बवासीर, अतिसार, दस्त में खून आना, कृमि और खूनी आँव जैसे रोग नष्ट होते हैं।
महिलाओं के गर्भाशय एवं योनि-प्रदेश से सम्बन्धित व्याधियों के लिए भैषज्य रत्नावली नामक ग्रन्थ का यह योग ‘पुष्यानुग चूर्ण नं. 2’ कहलाता है। यह नं. 2 वालायोग ‘नागकेसरयुक्त’ भी कहलाता है।
इस योग की विशेषता यह है कि यह एक अकेला ही सब प्रकार के प्रदर रोगों के अलावा गर्भाशयशोथ, गर्भाशय-भ्रंश (Prolaps ofUterus),योनिक्षत आदि कई रोगों को दूर करता है।
नोट – कई लोग नागकेशर के स्थान पर केशर डालकर भी बनाते हैं एवं उसे पुष्यानुग चूर्ण नं. १ कहते हैं।
पुष्यानुग चूर्ण के घटक द्रव्य : Pushyanug Churna Ingredients in Hindi
✦ पाठा – 10 ग्राम
✦ जामुन की गुठली की गिरी – 10 ग्राम
✦ आम की गुठली की गिरी – 10 ग्राम
✦ पाषाण भेद – 10 ग्राम
✦ रसौत – 10 ग्राम
✦ अम्बष्ठा – 10 ग्राम
✦ मोचरस – 10 ग्राम
✦ मजीठ – 10 ग्राम
✦ कमलकेशर – 10 ग्राम
✦ नागकेशर (केशर की जगह) – 10 ग्राम
✦ अतीस – 10 ग्राम
✦ नागरमोथा – 10 ग्राम
✦ बेल गिरी – 10 ग्राम
✦ लोध – 10 ग्राम
✦ गेरू – 10 ग्राम
✦ कायफल – 10 ग्राम
✦ काली मिर्च – 10 ग्राम
✦ सोंठ – 10 ग्राम
✦ मुनक्का – 10 ग्राम
✦ लाल चन्दन – 10 ग्राम
✦ सोना पाठा (श्योनाकया अरलू) की छाल – 10 ग्राम
✦ इन्द्र जौ – 10 ग्राम
✦ अनन्त मूल – 10 ग्राम
✦ धाय के फूल – 10 ग्राम
✦ मुलहठी – 10 ग्राम
✦ अर्जुन की छाल – 10 ग्राम
सबको मिलाकर कूट-पीस कर कपड़ छन करके महीन चूर्ण कर लें । सभी को लेकर मिला लें।
मात्रा और सेवन विधि :
आधा-आधा (छोटा) चम्मच यानी लगभग दो-तीन ग्राम मात्रा में चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाट लें और ऊपर से एक कपचावल काधोवनपीलें।
पुष्यानुग चूर्ण के उपयोग :
स्त्रियों के बहुत से रोगों की जड़ उनके गुह्य (गुप्त) स्थान के रोगों में मिल जाती है। अकाल (छोटी आयु) में अति समागम तथा गर्भधारण, गुप्तागों की सफाई न रखना, गर्भावस्था में प्रसव के समय या उसके बाद योग्य उपचार का अभाव, खट्टे या बासी आदि दोषकारक आहारविहारादि कारणों से स्त्रियों की गुप्तेन्द्रिय (योनि) में विकृति पैदा हो जाती है। फिर उसका परिणाम बुरा होता है। यथा-गर्भाशय फूल जाना या योनि से किसी प्रकार का स्त्राव शुरू हो जाना आदि ऐसी अवस्था में पुष्यानुग चूर्ण का उपयोग करना चाहिए।
पुष्यानुग चूर्ण के फायदे : Pushyanug Churna Benefits in Hindi
1- योनि में जलन और सूजन में लाभदायक –
इस योग के सेवन से योनिरोग,योनि में जलन,योनि में घाव एवं सूजन दूर होता है ।
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2- प्रदर रोग में पुष्यानुग चूर्ण के लाभ –
पुष्यानुग चूर्ण सब प्रकार के प्रदर रोगों को दूर करता है ।
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3- गर्भाशय बाहर निकल जाने में पुष्यानुग चूर्ण के फायदे –
किसी-किसी स्त्री को गर्भाशय बाहर निकल जाने की शिकायत बराबर बनी रहती है। ऐसी अवस्था में योनि में किसी भी प्रकार का स्त्राव होने पर इसका उपयोग बहुत लाभ पहुँचता है। सभी प्रकार के प्रदर रोगों में यह विशेष गुणकारी सुप्रसिद्ध औषधि है।
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4- गर्भाशय की सूजन में पुष्यानुग चूर्ण के फायदे –
गर्भाशय पर सूजन, गर्भाशय का सरक जाना, योनि मार्ग से किसी भी प्रकार का स्राव होना आदि सभी नारी रोग दूर होते हैं।
लाभ न होने तक इस योग का नियमित सेवन करना चाहिए।
यह योग घर पर बना लेना हर किसी के लिए सरल दिखाई नहीं देता, इसलिए आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान से इसे बनाबनाया खरीद लेना चाहिए। इस योग का सेवन करते हुए योनि की धुलाई-सफाई करने के लिए ‘डूश करते रहने से जल्दी लाभ होता है। यह योग परीक्षित है।
पुष्यानुग चूर्ण के नुकसान : Pushyanug Churna Side Effects in Hindi
1- पुष्यानुग चूर्ण को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
2- पुष्यानुग चूर्ण लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
3- लंबे समय तक इस दवा के उपयोग से अनियमित मासिक धर्म हो सकता है।