Last Updated on July 2, 2020 by admin
जैसे किशोरावस्था की समाप्ति और युवावस्था के आरम्भ के समय मासिक रजः स्राव की शुरूआत होती है उसी प्रकार प्रौढ़ावस्था की समाप्ति और वृद्धावस्था के आरम्भ के समय मासिक रजः स्राव (माहवारी) होना बन्द होता है जिसे रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) कहते हैं।
रजोरोध के समय महिलाओं को कुछ विचित्र स्थितियों का सामना करना पड़ता है और जो महिलाएं यह नहीं जानतीं कि ये विचित्र स्थितियां रजोनिवृत्ति के कारण हो रही हैं और ये रजोनिवृत्ति होने के लक्षण हैं वे परेशान, चिन्तित और भयभीत हो जाती हैं। इस विषय में प्रामाणिक रूप से आवश्यक जानकारी देने के लिए डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी से लिया गया इण्टरव्यु प्रस्तुत किया जा रहा है।
प्रश्न – महिलाओं के रजोनिवृत्ति के विषय में जानकारी दें कि रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) क्या है ?
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – स्त्री के जीवन में रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज होना एक बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है। इसे चेंज ऑफ वूमन लाइफ़ यानी नारी जीवन का परिवर्तन ही कहना चाहिए। स्त्री के जीवन में पबर्टी (Puberty) यानी युवावस्था शुरू होना, विवाह होना, सन्तान होना और मेनोपॉज होना- ये सब महत्वपूर्ण कार्य हैं। माहवारी का होना सदा के लिए बन्द हो जाने को रजोनिवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न – रजोनिवृत्ति के लक्षण क्या है कैसे मालूम पड़ता है कि रजोरोध होने की स्थिति बन रही है।
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – रजोनिवृत्ति के समय कुछ लक्षण प्रकट होते हैं और धीरे-धीरे कुछ शारीरिक परिवर्तन होते हैं जिन्हें मेनोपाज़ल सिंड्रोम (Menopausal Syndrome) कहा जाता है। स्त्री जीवन में एक अन्तिम मासिक रजः स्राव होता है और फिर सदा के लिए बन्द हो जाता है। उसकी प्रजनन-क्षमता समाप्त हो जाती है इसलिए फिर वह कभी भी गर्भधारण नहीं कर सकती।
कई महिलाओं को मासिक धर्म एक दम से बन्द हो जाता है यानी मेनोपॉज अचानक हो जाता है और उन्हें कोई भी परेशानी नहीं होती जबकि कई महिलाओं को परेशानियों और तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है। उन्हें धीरे-धीरे कुछ वर्षों तक माहवारी कम होना या बढ़-बढ़ कर होना या लम्बे अन्तराल के बाद होना आदि स्थितियों के बाद मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) होता है। इसके कुछ लक्षण होते हैं जो परेशानी पैदा करने वाले होते हैं जैसे –
रजोनिवृत्ति के लक्षण : rajonivrutti ke lakshan in hindi
- शरीर में अचानक गर्मी सी लगना जिन्हें हॉट फ्लशेज़ (Hot flushes) कहते हैं, या कभी अचानक ही ठण्ड लगने लगना।
- प्रायः अकारण सिर दर्द होने लगना या चक्कर आना।
- ठीक से नींद न आना।
- कमर और जोड़ों में दर्द व सूजन होना।
- अचानक हृदय की धड़कन बढ़ जाना ।
- त्वचा रूखी हो जाना, झुर्रियां पड़ जाना, चेहरे पर बाल निकल आना।
- योनि मार्ग में रूखापन और जलन होना।
- मानसिक रूप से डिप्रेशन यानी अवसाद होना, चिड़चिड़ापन और अरुचि होना।
प्रश्न – रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) की उम्र क्या है ? यह अवस्था स्त्री की किस आयु में आती है।
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – रजोनिवृत्ति औसतन 50 से 51 वर्ष की आयु में आती है। वैसे 45 वर्ष से 55 वर्ष के बीच कभी भी रजोनिवृत्ति हो सकती है। जल्दी से जल्दी 41 से 42 वर्ष और देर से देर 59 से 60 वर्ष तक की आयु में भी मेनोपॉज होता पाया गया है पर यह अपवाद ही होता है।
मासिक धर्म बन्द होने के बाद एक वर्ष तक मासिक रजः स्राव न हो तो समझ लेना चाहिए कि रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) हो गई है।
प्रश्न – क्या रजोनिवृत्ति होने का प्रभाव सामान्य स्वास्थ्य, सौन्दर्य और सामान्य दिनचर्या में कोई फ़र्क पड़ता है।
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – जी नहीं, ऐसा आमतौर पर कुछ नहीं होता। कई स्त्रियां तो
और भी अच्छी स्थिति वाली हो जाती हैं। उनकी प्रजनन क्षमता ज़रूर समाप्त हो जाती है पर स्वास्थ्य, सौन्दर्य और सामान्य जीवन में कोई खराब परिवर्तन नहीं होता। जिन कुछ स्त्रियों को ऐसा होता भी है तो इसके कुछ दूसरे कारण भी हो सकते हैं। उनका सम्बन्ध रजोनिवृत्ति से होना ज़रूरी नहीं।
प्रश्न – रजोनिवृत्ति की स्थिति में महिला को कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए ?
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – महिलाओं को कुछ विशेष बातों का खयाल रखना चाहिए-
- इसे कोई व्याधि न समझ कर, जीवन की अनिवार्य घटना मान कर सहजता से स्वीकार कर लेना चाहिए।
- बुढ़ापे की सूचक, सौन्दर्य का अन्त, स्वास्थ्य की खराबी और यौन जीवन में कमी होना जैसी शंकाएं करना ठीक नहीं।
- योगासन, व्यायाम या घरेलू काम काज करके अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखना चाहिए।
- वज़न न बढ़ने देना, भोजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक लेना आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- प्रसन्न चित्त और उत्साहपूर्ण रह कर अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहना चाहिए।
प्रश्न – क्या रजोनिवृत्ति के समय चिकित्सा की आवश्यकता भी पड़ सकती है?
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – हां, पड़ भी सकती है। यदि महिला को ज्यादा मात्रा में, ज्यादा समय तक रक्तस्राव होता हो तो इलाज के ज़रिये इसे रोकना ज़रूरी हो जाता है। महिला की स्थिति की पूरी जांच करके आवश्यक दवाएं दी जाती हैं जिनमें कैल्शियम, हार्मोन और नींद लाने वाली दवाइयां, दर्द निवारक दवाइयां होती हैं। इस तरह इलाज के ज़रिये महिला के कष्ट और रोग को नियन्त्रित करके उसे सामान्य जीवन जीने का अवसर देने की कोशिश की जाती है ताकि स्त्री कष्ट सहने से भी बच सके और उसके शरीर में कमज़ोरी भी न बढ़ने पाए।
प्रश्न – और कोई विशेष बात आप बताना चाहें ?
डॉ. (श्रीमती) शैला त्यागी – एक बात परिवार के स्त्री-परुषों से कहना चाहूंगी कि परिवार के सभी लोग रजोनिवृत्ति वाली महिला के प्रति सहयोगात्मक और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें, उसकी तकलीफ़ों को समझें और उसे हर तरह से सुख-सुविधा प्रदान करने के लिए प्रयत्नशील रहें। उसकी चिड़चिड़ाहट या असामान्य व्यवहार का बुरा न मानें। सबका सहयोग मिलेगा तो रजोनिवृत्ति वाली महिला को सुविधा रहेगी और वह धैर्य व शान्ति के साथ इन सब परेशानियों का सामना कर सकेगी।
दरअसल आमतौर पर ऐसा होता है कि जब स्त्री रजोनिवृत्ति के लक्षणों से पीड़ित होती है तब वह इन तकलीफ़ों से परेशान रहती है लेकिन घर वालों को इसका पता नहीं होता तो वे इस भ्रम के शिकार हो जाते हैं कि अच्छी खासी है, कोई रोग-दुःख भी नहीं है फिर भी बिना वजह नाटक कर रही है। वास्तव में वह कोई नाटक नहीं करती बल्कि उसे ऐसी परेशानियां होती ही हैं।