Last Updated on October 8, 2022 by admin
सामान्य रोगों के घरेलू नुस्खे :
1. सामान्य ज्वर : शरीर में तापमान बढ़ जाता है। शरीर में जकड़न व दर्द होता है। पेशाब का रंग लाल या पीला व कम होना, बैचेनी होना व प्यास लगना।
चिकित्सा –
- पान रस आधा चम्मच, शहद आधा चम्मच व अदरकका रस आधा चम्मच, दिन में दो बार लें अथवा तुलसी पत्ते 10, काली मिर्च 5 व गिलोय लगभग दो इंच एक प्याला पानी में उबालें। आधा प्याला रहने पर छानकर पिएँ।
- ‘संजीवनीवटी’ दो-दो गोली गर्म पानी से दिन में तीन बार लें या मृत्युंजय रस एक-एक गोली दिन में तीन बार लें।
2. जुकाम : नाक का रुक जाना, नाक से पतला मवाद निकलना, शरीर में दर्द, सिरदर्द, सिर में भारीपन, आँखों से पानी बहना, छीकें आना, गले में खुश्की व खराश, खाने की इच्छा न होना, हल्का-हल्का बुखार का अनुभव व शरीर में बैचेनी।
चिकित्सा –
- अदरक का रस आधा चम्मच, शहद एक चम्मच मिलाकर दिन में तीन बार लें। शुद्ध सरसों का तेल नाक में लगाएँ।
- एक-चौथाई चम्मच पिसी हल्दी सुबह-शाम गर्म पानी से लें ।
- चार काली मिर्च, एक कप पानी में उबालें। थोड़ी चीनी डालकर (चाय की तरह गर्म) दिन में दो बार पिएँ।
- लक्ष्मी विलास एक-एक गोली दिन में तीन बार गर्म पानी से लें।
- ‘त्रिभुवन कीर्ति’ रस दो-दो गोली सुबह-दोपहर-शाम तीन बार गर्म पानी से लें। ‘
- व्योशादि वटी’ दिन में चार गोली (एक-एक) मुख में डालकर चूसें।
3. खाँसी : खाँसी प्रायः दो प्रकार की होती है-सूखी व कफ़वाली। यह स्वतन्त्र रोग नहीं, दूसरे रोग का लक्षण है। यह पुरानी होने पर ही कफ़वाली होती है।
चिकित्सा –
- अदरक रस आधा चम्मच, एक चम्मच शहद दिन में तीन बार लें।
- एक-एक लौंग मुख में रखकर दिन में तीन बार चूसें । आधा-आधा चम्मच अजवायन गर्म पानी से सुबह-रात लें।
- तालीशादि चूर्ण आधा-आधा चम्मच दिन में तीन बार शहद या गर्म पानी से सुबह-दोपहर-रात लें। साथ ही ‘एलादि वटी’ दिन में चार बार चूसें अथवा ‘लवंगादिवटी’ या खदिर वटी’ या ‘व्योशादि वटी’ अथवा ‘चन्द्रामृतरस’ दिन में चार बार (कोई एक) चूसें।
- च्यवनप्राश अवलेह’ या ‘वासा अवलेह’ एक-एक चम्मच सुबह-रात दूध से लें।
4. दस्त : दस्त में बिना मरोड़ बार-बार पतला मल आता है। बिना पचे भोजन का अंश भी रहता है। भोजन का उपवास करें अथवा मूंग की दाल की खिचड़ी, अनार व दही का प्रयोग करें।
चिकित्सा –
- ‘ईसबगोल’ एक-एक चम्मच दही में मिलाकर दिन में तीन बार सुबह-दोपहर-शाम लें।
- ‘सफेद जीरा’ भूनकर आधा-आधा चम्मच दिन में तीन बार शहद से लें।
- ‘सिद्धप्राणेश्वर रस’ या ‘कर्पूररस’, ‘गंगाधररस’ एक-एक वटी सुबह-दोपहर-रात शहद या पानी से लें। साथ में ‘चित्रकादि वटी’ एक-एक गोली भोजन बाद पानी से लें।
5. पेट दर्द : पेट में शूल गड़ने-जैसा दर्द होता है।
चिकित्सा –
- ‘अजवायन’ आधा चम्मच, नमक’ एक-चौथाई चम्मच दिन में तीन बार गर्म पानी से लें।
- ‘हींग’ गर्म पानी में घोलकर नाभि के चारों ओर लेप करें।
- एक कप पानी में आधा नींबू का रस डालकर पिएँ।
- ‘हरड़’ सौ ग्राम, ‘सौंठ’ सौ ग्राम, ‘अजवायन’ सौ ग्राम, ‘सेंधा नमक’ सौ ग्राम बारीक कूटकर छानकर रखें। एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पानी से लें।
- ‘कोकायन वटी’ दो-दो गोली अथवा ‘लशुनादि वटी’ या ‘शंखवटी’ एक-एक वटी दिन में तीन बार पानी से लें।
6. अम्लपित्त (हायपर एसिडिटी) : भोजन न पचना, खट्टी उल्टी, छाती व गले में जलन, जी मिचलाना, कब्ज, शरीर में भारीपन, खाने की इच्छा न होना।
चिकित्सा – देर से पचनेवाली खट्टी दही, तली वस्तु का सेवन न कर थोड़ा-थोड़ा हल्का गर्म दूध दिन में चार बार पिएँ। ‘अविपत्तिकर चूर्ण’ एक-एक चम्मच सुबह-दोपहर-रात पानी से लें या ‘सूतशेखर रस (साधारण) दो-दो गोली सुबह-दोपहर पानी से लें। या ‘आँवला चूर्ण’ आधा-आधा चम्मच भोजन बाद पानी से लें। अथवा ‘लीलाविलास रस’ एक-एक गोली ‘स्वर्णसूतशेखर रस’ एक-एक गोली सुबह-रात दूध से लें।
7. कीड़े : पेट दर्द, दिल घबराना, चक्कर आना, भूख अधिक लगना या बिलकुल न लगाना, कभी पतले दस्त, कभी उल्टी, रात बिस्तर में पेशाब निकलना (विशेषकर बच्चों में)। रात को सोते समय दाँत किटकिटाना।
चिकित्सा –
- ‘एक टमाटर का रस एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण डालकर खाली पेट दस दिन तक नियमित लें।
- ‘प्याज़ का रस छोटा चम्मच दिन में तीन बार समभाग पानी डाल लें।
- ‘‘वायविडंग’ को बारीक चूर्ण बनाकर रखें। आधा चम्मच सुबह-रात, गर्म पानी से लें अथवा ‘कृमिमुदगर रस’ एक-एक वटी सुबह-रात गर्म पानी से लें। साथ में ‘विंडगारिष्ट’ दो-दो चम्मच समभाग पानी मिलाकर भोजन के बाद पिएँ। बच्चों के लिए आधी मात्रा प्रयोग में लाएँ।
8. मासिक धर्म के समय दर्द : यह अधिकतर किशोर अवस्था या तरुणावस्था की महिलाओं में देखा जाता है। मासिक धर्म कम आना और कमर एवं वस्ति प्रदेश व पेट-सिर और अन्य अंगों में पीड़ा होना।
चिकित्सा – ‘‘चन्द्रप्रभावटी’ एक-एक वटी सुबह-शाम गर्म पानी में ,‘कांकायन वटी’ दो-दो वटी भोजन बाद पानी से। साथ में ‘दशमूलारिष्ट’ या ‘कुमारर्यासव’ अथवा ‘अशोकारिष्ट’ दो-दो चम्मच भोजन बाद पिएँ।
9. कान दर्द : सरसों का तेल दो चम्मच, लहसुन की एक कली डालकर कुछ देर पकाएँ। ठंडा होने पर एक-एक बूंद कान में डालें अथवा अदरक का रस हल्का गर्म कर एक-एक बूंद कान में डालें या तुलसी के पत्तों को भी हल्का गर्म कर एक-एक बूंद डालें। ‘क्षार तेल’ या ‘बिल्ब तेल’ एक-एक कान में डालें।
10. खुजली :
- सरसों के तेल की प्रतिदिन मालिश करें या नारियल का तेल सौ ग्राम, आधा नींबू का रस डालकर मालिश करें।
- चमेली के सौ ग्राम तेल में कपूर दस ग्राम डालकर घुलने पर मालिश करें।
- ‘गन्धक रसायन’ या ‘आरोग्यवर्धनी वटी’ दो-दो चम्मच भोजन बाद पिएँ। साथ में ‘वृहद मरिच्यादि तेल’ या ‘वृहद सोमरागी तेल की मालिश करें।
11. गला बैठना : एक लोटा गर्म पानी, एक चम्मच नमक डालकर अथवा एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद डालकर या एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच लहसुन-रस डालकर सुबह-शाम गरारे करें। साथ में ‘व्योशादिवटी’ एक-एक दिन में चूस लें।
12. दाँतों के रोग :
- हल्दी-सरसों का तेल नमक मिलाकर नित्यप्रति मलें।
- शहद, पीपल चूर्ण व शुद्ध घी मिलाकर दाँतों में मलकर कुछ देर रखें। दाँत दर्द व हिलनेवाले दाँत को लाभ होता है।
- ‘हरड़’, ‘बहेड़ा’, ‘आँवला’, ‘सौंठ’ व सरसों समभाग लेकर उसे कूटकर रखें। प्रतिदिन दो बड़े चम्मच दो गिलास पानी में उबालें । आधा शेष रहने पर ठंडा हो जाए तो छानकर कुल्ले करने से लाभ मिलता है। ‘लौंग तेल’ या ‘इरामिद्रादि तेल अथवा चमेली के पत्तों का रस व शहद मलने से दाँतों के दर्द में आराम मिलता है।
- नींबू रस और शहद समभाग मिलाकर प्रतिदिन मलने से पायरिया रोग में लाभ मिलता है।
13. प्रदर : यह रोग दो प्रकार का होता है। श्वेत प्रदर तथा रक्त प्रदर।
चिकित्सा –
- ‘सुपारीपाक’ एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध से लें या ‘पुष्यानुग चूर्ण’ सौ ग्राम ‘मुक्ताशुक्ति भस्म’ दस ग्राम भली प्रकार मिलाकर रखें। एक-एक चम्मच सुबह-शाम पानी से लें।
- ‘अशोकारिष्ट’ दो-दो चम्मच भोजन बाद पिएँ।
14. स्वप्न दोष :
- ‘आँवला चूर्ण’ आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम पानी से लें।
- लहसुन की एक कली सुबह-शाम चबाकर पानी पिएँ।
- दो चम्मच सूखा धनिया पानी के साथ पीसकर एक गिलास पानी में घोलकर रुचिकर मीठा डालकर सुबह-शाम पिएँ।
- ‘शूड़मातका वटी’ एक-एक गोली अथवा ‘चन्द्रप्रभावटी’ एक-एक गोली सुबह-शाम पानी से लें।
- ‘चन्दनासव’ दो-दो चम्मच भोजन बाद पिएँ।
15. हिचकी :
- पोदीना मुख में डालकर चूसें ।
- मोर के पंख के चंदे जलाकर भस्म कर एक-एक चुटकी व ‘सितोपलादि चूर्ण’ आधा चम्मच मिलाकर एक-एक मात्रा सुबह-दोपहर-रात शहद से लें।
- ‘हरड़ चूर्ण आधा चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी से लें।
- एक चम्मच हरे पोदीना का रस आधा चम्मच चीनी मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें।
16. मोटापा :
- नींबू रस दो चम्मच, शहद एक चम्मच, एक गिलास पानी डालकर सुबह निराहार पिएँ।
- सौंठ, काली मिर्च, पीपल, चव्य, सफेद जीरा, काला नमक और पपीते की छाल समभाग, भुना हींग एक औषधि आधा भाग मिलाकर चूर्ण बनाएँ। एक-एक बड़ी चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी से लें या ‘आरोग्य वर्धनी’ अथवा ‘नवकगूगल’ या ‘अमृतादि गूगल’ दो-दो गोली सुबह-शाम पानी से लें।
17. सिर दर्द :
- लौंग एक-एक सुबह-शाम पानी से लें ।
- केसर शुद्ध घी में भूनकर मिसरी मिलाकर सूंघे।
- ‘गोदन्ती भस्म’ पचास ग्राम, मिसरी तीन सौ ग्राम भली प्रकार पीसकर एक-एक चम्मच सुबह-दोपहर-रात पानी से लें।
- ‘शिरशूलादिवज्र रस एक-एक वटी सुबह-शाम पानी से लें।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)