सांप काटने के लक्षण और इलाज | Saap Katne ka Upchar

Last Updated on June 25, 2020 by admin

सर्पदंश : snake bite in hindi

सांप को देखते ही अच्छे खासे आदमी के प्राण सूख जाते हैं और फुफकार दे तब तो होश ही फाख्ता हो जाते हैं। सांप की कई जातियां होती हैं पर सभी विषैली नहीं होतीं। सबसे ज्यादा विषैली जाति नाग (Cobra) होती है। सांप का काटना ही व्यक्ति को इतना आतंकित कर देता है कि वह अधमरा तो भय के कारण ही हो जाता है। यद्यपि आधुनिक विज्ञान ने सर्पदंश का उचित इलाज खोज लिया है फिर भी सांप द्वारा काट लिये जाने पर, अस्पताल तक पहुंचने के बाद भी, बावजूद सारी कोशिश के, व्यक्ति मर जाता है तो कोई बच भी जाता है।

इसका कारण यह भी हो सकता है कि जिसको जल्दी चिकित्सा-सहायता मिल जाती हो वह बचा लिया जाता हो, जिसको देर से चिकित्सा-सहायता मिलती हो उसे बचाया नहीं जा सकता हो । सर्प विष का प्रभाव दिल और दिमाग़ पर छा जाए तो दंशित व्यक्ति का बचना मुश्किल बल्कि लगभग असम्भव हो जाता है। एक मान्यता यह भी है कि सांप के काटने के बाद जब तक दंशित व्यक्ति बेहोश नहीं होता तब तक उसे बचाया जा सकता है।

सांप काटने के लक्षण : saap katne ke lakshan in hindi

सांप काटने के कुछ प्रमुख लक्षण –

  • छिद्रित घाव (सांप के दांतों से पड़ने वाले निशान) के दो निशान ,
  • काटे गए हिस्से में तेज दर्द ,
  • सांस लेने में कठिनाई का होना ,
  • मुंह से अत्यधिक लार का निकलना ,
  • शरीर में अकड़न या कंपकंपी का होना ,
  • पलकों का गिरना ,
  • घाव के चारों ओर सूजन जलन और लाल होना ,
  • त्वचा के रंग में बदलाव ,
  • बुखार ,
  • सिरदर्द ,
  • जी मिचलाना ,
  • पल्स (नब्ज) का तेज होना ,
  • थकान होना ,
  • मांसपेशियों की कमजोरी ,
  • प्यास लगना ,
  • घाव से खून बहना ,
  • बहुत पसीना आना ,
  • चेहरे और अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना ,

सांप के काटने के बाद इस प्रकार बरतें सावधानी :

saap katne par kya kare

  1. अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुये सांप की प्रजाति का पता करें।
  2. अगर मरीज ने जूते पहने हो तो उन्हें उतार दें।
  3. यथा संभव मरीज को शांत रखने की कोशिश करें जिस्से रक्तचाप की गति न बढ़े ।
  4. मरीज को सीधा ही लेटाकर रखें, अन्यथा हलचल होने से जहर पूरे शरीर में फैल सकता है।

सांप के काटने के बाद दंशित व्यक्ति को चिकित्सा-सहायता शीघ्र से शीघ्र मिलना ज़रूरी होता है क्योंकि उस वक्त 1-1 मिनिट क़ीमती होता है इसलिए दंशित व्यक्ति को शीघ्रातिशीघ्र साधनसम्पन्न अस्पताल पहुंचा देना चाहिए ताकि बेहोश होने से पहले ज़रूरी इलाज हो सके। जब तक ऐसा न हो सके तब तक कुछ हितकारी और आवश्यक उपाय करना उपयोगी रहता है ताकि रोगी की हालत ज्यादा न बिगड़ने पाये। सर्प-दंश की चिकित्सा, घरेलू इलाज के तौर पर करना बहुत बड़ा दायित्व और खतरा उठाना है पर जब तक समुचित चिकित्सा-व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक कुछ न कुछ उपाय करना और दंशित व्यक्ति को बेहोश होने या सोने से बचाना ज़रूरी होता है। सर्प-दंश के केस ज्यादातर तो गांवों और जंगलों में ही होते हैं पर शहर में नहीं होते, ऐसा नहीं है। ऐसे कुछ ज़रूरी प्राथमिक उपाय यहां प्रस्तुत हैं जो कि सांप के काटने पर डॉक्टर के न आने तक, किये जाने चाहिए।

सांप काटने पर प्राथमिक उपचार : saap ke katne par prathmik upchar

पहला उपाय – शरीर के जिस भाग में सांप ने काटा हो उसके ऊपर की तरफ़ किसी कपड़े या मोटी सुतली से 2-3 बन्धन बांध देना चाहिए। ज्यादातर सर्प-दंश की घटनाएं हाथ या पैर पर ही घटती हैं।

दूसरा उपाय – जहां सर्प के दांत लगे हों वहां से विषाक्त रक्त निकाल दें ताकी दंशित व्यक्ति की प्राणरक्षा सम्भव हो सके। यह दोनों उपाय सर्प-दंश के बाद जितनी जल्दी किये जाएंगे उतने ही ज्यादा प्रभावकारी और लाभकारी होंगे।

तीसरा उपाय – रोगी को लेटने और सोने न दिया जाए। उसे बैठा कर रखा जाए और बातें करके जाग्रत रखा जाए। बातचीत ऐसी की जाए जिससे रोगी का हौसला बना रहे, वह घबराए नहीं आतंकित और निराश न होने पाए। इस वक्त उसका मनोबल बनाये रखना बहुत ज़रूरी होता है।

सांप के काटने पर विष का प्रभाव नष्ट करने के लिए निम्नलिखित चार उपायों में से, जो भी
सम्भव हो सके, वह एक उपाय करके दंशित व्यक्ति के प्राणों की रक्षा का प्रयत्न करना चाहिए।
ये चारों उपाय प्राण रक्षा करने में सफल सिद्ध हुए हैं।

सांप के काटने का इलाज : saap katne ka ilaj in hindi

सांप के काटने का इलाज क्या है ?

(1) स्वमूत्र चिकित्सा –
सर्प-दंशित व्यक्ति को उसका स्वमूत्र पिलाना चाहिए। यदि स्थिति ऐसी हो कि दंशित व्यक्ति पेशाब न कर सके तो किसी 10-12 वर्षीय बालक का मूत्र पिलाना चाहिए। दो घण्टे के बाद एक गिलास मूत्र फिर पिला देना चाहिए। मूत्र जल की तरह स्वच्छ सफ़ेद हो यह देख लेना चाहिए। स्वमूत्र-पान सर्प विष के प्रभाव को नष्ट करने का अचूक उपाय है।

(2) फिटकरी –
लाल फिटकरी 10-12 ग्राम लेकर साफ़ पत्थर पर खूब बारीक पीस कर एक गिलास पानी में घोल लें और दंशित व्यक्ति को पिला दें। दो घण्टे बाद ऐसा ही एक गिलास और पिला दें। यह सर्प विष का प्रभाव दूर कर प्राण रक्षा करने वाला श्रेष्ठ उपाय है।

(3) अरीठा –
अरीठा के छिलके खूब महीन पीस कर चूर्ण कर लें। 8 ग्राम चर्ण एक कप पानी में घोल लें। इसको छानें नहीं और 15-15 मिनिट से तब तक पिलाते रहें जब तक दंशित व्यक्ति को इसका स्वाद कड़वा न लगने लगे। जब स्वाद कड़वा लगने लगे तब पिलाना बन्द कर दें क्योंकि स्वाद कड़वा लगना इसका सूचक है कि विष का प्रभाव दूर हो चुका है।

(4) पीपल –
इस उपाय में छः व्यक्तियों का सहयोग लेना ज़रूरी होता है। दो व्यक्ति दंशित व्यक्ति के दोनों हाथों को मज़बूती से पकड़ लें। दो व्यक्ति दोनों पैरों को दबा कर बैठ जाएं और एक व्यक्ति सिर को मज़बूती से पकड़ लें। इन पांचों व्यक्तियों को यह सावधानी रखनी होगी कि दंशित व्यक्ति ज़रा भी हिल-डुल न सके, विशेष कर उसका सिर ज़रा भी न हिलने पाए।

अब छठा व्यक्ति पीपल के ताज़े और ठण्डल सहित, गिन कर 60 पत्ते ले आये और अपने पास रख ले। दोनों हाथों में एक-एक पत्ता लेकर, पत्ते की तरफ़ से पकड़ ले और पत्ते के डण्ठल को कान के अन्दर थोड़ा सा डाल कर रखे, कान के परदे से दूर रखे। 1-2 मिनिट तक रख कर बाहर निकाल कर दोनों पत्ते पास रख ले फिर दो नये पत्ते उठा कर इसी विधि से कान में लगाए। इस तरह दोनों कानों में 30-30 पत्तों के डण्ठल लगा कर पूरे 60 पत्ते इकट्ठे करके कहीं ज़मीन में गाड़ देना चाहिए क्योंकि ये पत्ते विषाक्त हो जाते हैं।

विशेष बात यह है कि जब दंशित व्यक्ति – के कानों में डण्ठल लगाते हैं तब उसे बहुत पीड़ा होती है जिससे वह व्यक्ति चीखता है छटपटाता है और कहता है कि कान में पत्ते मत डालो, मरता हूं तो मर जाने दो। उसकी इस छटपटाहट को सम्भालने और सिर हिल न सके इसके लिए ही मज़बूत व्यक्तियों की ज़रूरत होती है जो उसे कस कर पकड़े रहें और उसकी चीख पुकार पर ध्यान न देकर उसके प्राणों की रक्षा का भरपूर प्रयत्न कर सकें। ध्यान रहे, जो व्यक्ति पत्ते को कान में डाले, वह एकाग्र चित होकर अपना ध्यान पत्ते के डण्ठल पर ही रखे और इसका पूरा खयाल रखे कि डण्ठल अन्दर परदे तक न पहुंचे। यह सावधानी बहुत ज़रूरी है।

ये चारों प्रयोग, सर्पदंशित व्यक्ति के प्राणों की रक्षा करने वाले हैं अतः शुभकामना और सेवा भावना के साथ इनका उपयोग करना चाहिए।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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