Last Updated on May 17, 2021 by admin
सारस्वतारिष्ट क्या है ? (What is Saraswatarishta in Hindi)
सारस्वतारिष्ट एक आयुर्वेदिक दवा है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति ,बुद्धि, बल ,और कांति में वृद्धि होती है। यह आसव हृदय को पुष्ट करने वाला चित्त को प्रसन्न रखने वाला एवं पित्त का शमन करता है।
घटक और उनकी मात्रा :
- ब्राह्मी – 800 ग्राम,
- शतावरी – 200 ग्राम,
- विदारीकन्द – 200 ग्राम,
- हरड़ – 200 ग्राम,
- नेत्रवाला – 200 ग्राम,
- अदरक – 200 ग्राम,
- सोंफ – 200 ग्राम,
- धाय के फूल – 200 ग्राम
- रेणुक बीज – 100 ग्राम,
- पीपल – 100 ग्राम,
- बच – 100 ग्राम,
- असगन्ध – 100 ग्राम,
- गिलोय – 100 ग्राम,
- वायविडंग – 100 ग्राम,
- निसोत – 100 ग्राम,
- लौंग – 100 ग्राम,
- कूट – 100 ग्राम,
- बहेड़ा – 100 ग्राम,
- इलायची – 100 ग्राम,
- दालचीनी – 100 ग्राम,
- स्वर्णलवण – 100 ग्राम,
सारस्वतारिष्ट बनाने की विधि :
ब्राह्मी से सोंफ तक के घटक द्रव्यों को मोटा मोटा जौकुट कर दस लिटर पानी में डालकर काढ़ा करें। जब ढाई लिटर जल शेष बचे तब उतार कर छान लें। बिल्कुल ठण्डा हो जाए तो 400 ग्राम शहद और एक किलो शक्कर डालकर मिला लें। अब धाय के फूल 200 ग्राम, रेणुक बीज, पीपल, बच, असगन्ध, गिलोय, वायविडंग, निसोत, लौंग, कूट, बहेड़ा, इलायची, दालचीनी और स्वर्णलवण 100-100 ग्राम डालकर मुखमुद्रा करके बन्द कर दें और एक माह तक रखा रहने दें। एक माह बाद छानकर बोतलों में भर लें।
यह इसका नुस्खा और निर्माण विधि है। वैसे यह सील बन्द पेकिंग में बाज़ार में भी मिलता है लिहाज़ा बाज़ार से खरीद लेना ही मुनासिब होगा।
सारस्वतारिष्ट की खुराक (Dosage of Saraswatarishta)
सारस्वतारिष्ट की मात्रा बच्चों के लिए पाव चम्मच (चायवाली) और बड़ों के लिए 1 से 2 चम्मच लेना उचित है। इसे सुबह शाम के भोजन के बाद समान मात्रा में जल मिला कर सेवन करना चाहिए। औषधि अधिक मात्रा में न लें।
सूचना – बच्चों को पाव चम्मच मात्रा से अधिक और बड़ों को एक चम्मच (चाय वाला) से 2 चम्मच, से अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। ज़रूरत से ज्यादा मात्रा बढ़ाने से स्वर्णलवण की मात्रा बढ़ जाएगी जिससे मुंह में छाले और उदर में प्रदाह हो सकता है अतः इसे कम मात्रा से ही शुरू करें और धीरे धीरे उचित और निर्देशित मात्रा में लेने लगे।
सारस्वतारिष्ट के उपयोग और फायदे (Saraswatarishta Benefits in Hindi)
1). सारस्वतारिष्ट उत्तम बलदायक, हृदय को शक्ति देने वाली, रसायन के गुण वाली, वातवाहिनी और वात को शान्ति देने वाली, चित्त को प्रसन्न रखने वाली, बुद्धि और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली तथा वात प्रकोप (गैस ट्रबल) से उत्पन्न क्षोभ तथा अन्य विकारों पर काम करने वाली श्रेष्ठ औषधि है।
2). सारस्वतारिष्ट स्वर की कर्कशता को दूर कर आवाज़ को मधुर बनाती है तथा अति गायन से खराब हुई व थकी हुई आवाज़ को ठीक करती है।
3). दिमागी परिश्रम से उत्पन्न दिमागी थकावट को सारस्वतारिष्ट दूर कर ताजगी और शक्ति देती है। स्मरण शक्ति बढ़ाती है। ( और पढ़े – थकावट दूर करने के असरकारक घरेलू उपाय )
4). हृदय विकार को दूर कर सारस्वतारिष्ट हृदय को ताक़त देती है और एक वर्ष तक सेवन करने पर दिल – दिमाग और शरीर को भरपूर बल और चुस्ती फुर्ती प्रदान करती है। ( और पढ़े – हृदय को मजबूत करने के घरेलू उपाय और नुस्खे )
5). आयु के बढ़ने से उत्पन्न होने वाली थकावट और कमजोरी को यह दूर करती है।
6). जिन पुरुषों को वीर्य और पौरुष – शक्ति में कमी मालूम देती हो उन्हें 2 रत्ती भर बंग भस्म मलाई के साथ चाट कर फिर सारस्वतारिष्ट लेना चाहिए। यह शुक्र दोष नष्ट करने वाला श्रेष्ठ योग है। ( और पढ़े – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )
7). स्त्रियों के लिए सारस्वतारिष्ट योग अति उत्तम है यह उनके मासिक धर्म की अनियमितता एवं दोष दूर करके उन्हें स्वस्थ और प्रसन्न रखता है और वे सभी लाभ भी करता है जिनका वर्णन उपर किया गया है।
8). जिन प्रौढ़ा स्त्रियों को रजो रोध (Menopause) याने मासिक धर्म बन्द हो जाने पर घबराहट, चक्कर, हाथ पैरों में कमज़ोरी व शून्यता, बेचैनी, चित्त में उच्चाटन निद्रानाश आदि शिकायते होती हैं उनके लिए सारस्वतारिष्ट अत्यन्त लाभकारी योग है। ऐसी स्त्रियों को सिर घूमता हुआ मालूम देना, कान में सीटी या गूंज सनाई देना, कमजोरी, सिर में भारीपन या सिर दर्द की शिकायत होती है। स्वर्णमाक्षिक भस्म 2 रत्ती मात्रा में मलाई के साथ चाट कर सारस्वतारिष्ट सेवन करने से यह सभी उपद्रव दूर हो जाते हैं। ( और पढ़े – रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के कारण, लक्षण और उपचार )
9). सारस्वतारिष्ट सेवन करने से स्त्रियां चुस्त – दुरुस्त और सशक्त बनी रहती हैं। छोटे बच्चों के लिए भी यह योग बहुत गुणकारी है। बच्चों का तुतलाना, मन्दबुद्धि होना, स्मरणशक्ति कमज़ोर होना, ठीक से न बोल पाना आदि विकार दूर करने के लिए यह योग अति उत्तम है।
10). सारस्वतारिष्ट दिमाग़ की कमज़ोरी दूर करने वाली विश्वसनीय सफल औषधि है। अधिक पढ़ने अथवा और भी किसी कारण से स्मरणशक्ति का ह्रास हो गया हो, तो उसे भी ठीक करता है। ( और पढ़े – दिमाग तेज करने के 15 सबसे शक्तिशाली उपाय )
11). इसके सेवन से आयु, वीर्य,धृति, मेधा (बुद्धि), बल, स्मरणशक्ति और कान्ति की वृद्धि होती है।
12). सारस्वतारिष्ट बालक, युवा (जवान), वृद्ध, स्त्री, पुरुषों के लिए हितकारी है। यह ओजवर्द्धक है।
13). रजोदोष और शुक्रदोष नष्ट करने के लिए इस आसव का उपयोग किया जाता है।
14). इसका प्रभाव वातवाहिनी नाड़ियों पर विशेष होता है, यह पित्त शामक भी है।
15). छोटे-छोटे बच्चों को लगातार दूध के साथ कुछ दिन तक सारस्वतारिष्ट नियमित रूप से सेवन कराने से उनकी बुद्धि तीव्र हो जाती, स्मरण-शक्ति बढ़ती, बोली अच्छी और स्पष्ट निकलने लगती तथा आँख की रोशनी तेज हो जाती है। अर्थात् गले से उपर जितने अंग हैं, उन अंगों को इससे काफी सहायता मिलती है। इसलिए उन्माद और अपस्मार आदि मानसिक विकारों को दूर करने के लिए सबसे पहले इसी का प्रयोग किया जाता है।
16). जिस स्त्री को यौवनवय आने पर भी रजोधर्म न होता हो, शरीर दुबला हो, अंग प्रत्यंग पुष्ट न हों, शरीर में रक्त की कमी हो, उसे सारस्वतारिष्ट के सेवन से बहुत शीघ्र लाभ होता है। यह गर्भाशय और बीजाशय दोनों को बलवान बनता है ।
सारस्वतारिष्ट के नुकसान (Saraswatarishta Side Effects in Hindi)
- गर्भावस्था के दौरान सारस्वतारिष्ट के सेवन से बचना चाहिये ।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार सारस्वतारिष्ट की सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें ।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
दोनों को अलग-अलग समय पर लीजिये .. कम से कम 1 से 2 घंटे का अंतराल रखिये ~ हरिओम
Kya mai antidepression medicine ke sath aswagandharist or sarasawatarist le sakta hu.
अच्छी नींद आने के आयुर्वेद में उपाय >>> https://bit.ly/35hajYd
नींद नही आती
रात्रि में सोते समय गाय के घी की 2-2 बूंद नाक के दोनों नथुनों में डालें …, यादशक्ति बढ़ाने हेतु शंखपुष्पी सिरप का सेवन करें ~ हरिओम
पढाई करतें समय शिर दर्द होना सवाल इयाद ना रहना