Last Updated on October 16, 2019 by admin
सर्दियों में सेहत का ख्याल :
सर्दियां खाने पीने के लिहाज से बहुत अच्छी लगती हैं। इस मौसम में खाना खाया भी जाता है और पच भी जाता है पर डायबिटीज, एलर्जी, आस्टियोपोरोसिस, दिल की बीमारी और अवसाद ग्रस्त लोगों को इस मौसम में अपना खास ध्यान रखना होता है ताकि वे भी सर्दियों का आनंद उठा सकें।
सर्दियां स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छी मानी जाती हैं पर गिरता तापमान वायरस की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है इसलिए ध्यान रखना भी जरूरी है।
डायबिटीज के रोगी रखे ध्यान :
सर्दियों में डायबिटीज के रोगियों का पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। ठीक से न पचने के कारण कब्ज, गैस की समस्या और कमजोरी बढ़ जाती है। सर्दियों में शरीर ग्लकोज को पचाने में सक्षम नहीं होता। ऐसे रोगियों को प्रोटीन का सेवन थोड़ा बढ़ा लेना चाहिए ताकि शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहे। अगर ध्यान न रखा जाए तो कमजोरी बढ़ने से रोगी बार-बार बीमार होने लगता है।
सर्दियों में डायबिटीज के रोगी को दालें व सूखे मेवे नियमित खाने में दें। प्रोटीन युक्त आहार को पचाने के लिए सैर अवश्यकरें ताकि जोड़ों के दर्दो से भी बच सकें। धूप में अवश्य बैठें ताकि विटामिन डी शरीर को मिल सके।
दिल से संबंधित रोगी भी रखें ध्यान :
सर्दियों में रक्तवाहिनियां सिकुड़ जाती हैं जिनका प्रभाव हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों पर भी पड़ता है। हृदय को रक्त की सप्लाई की रफ्तार धीमी पड़ जाती है जिससे हृदय रोगियों को हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता हैं। हृदय रोगियों को उचित गर्म कपड़े पहनने चाहिए। कानों को भी ढक कर रखना चाहिए। हाथ पैरों को भी गर्म रखना चाहिए। प्रातः और देर शाम बाहर जाने से बचना चाहिए। शरीर को गर्म रखने के लिए सब्जियों का गर्म सूप पिएं, अपने बिस्तर को गर्म पानी की बोतल रख कर गर्म रखें। बीपी की नियमित जांच करवाते रहें।
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आस्टियोपोरोसिस के रोगी भी रखें ध्यान :
ऑस्टियोपोरोसिस के रोगी की हड्डियां कमजोर होती हैं और हड्डियों के बीच घनत्व भी कम हो जाता है। ऐसे में ठंड के दिनों में जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है और झटका लगने से या चोट लगने से हड्डी टूटने का खतरा बना रहता है। ऑस्टियोपोरोसिस के रोगियों की अधिकतर कलाई,रीढ़, कूल्हे,घुटने की हड्डी टूटती हैं। सर्दियों में ऐसे रोगियों को धूप में अधिक देर बैठना चाहिए, ज्यादा झुकने वाले, भार उठाने वाले कामों से बचना चाहिए।
कैल्शियम युक्त आहार का नियमित सेवन करें। जंक फूड और कार्बोहाइड्रेट ड्रिंक्स का सेवन न करें। बादाम, पिस्ता जैसे मेवे खाकर हड्डियों को मजबूत रख सकते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए अखरोट का सेवन भी करें। विटामिन डी के लिए सूरज की धूप जरूरी है सर्दियों में धूप का लाभ उठाएं और विटामिन डी की कमी की पूर्ति करें। हड्डियों की मजबूती, निर्माण और धनत्व के लिए व्यायाम का अहम रोल है। व्यायाम नियमित करें पैदल चलकर, जागिंग कर, वेट लिफ्टिंग कर, योगा आदि से अपनी हड्डियों को दुरूस्त रखें।
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शीत ऋतु में जरूरी सावधानीयां :
☛ सर्दियों में जठराग्नि प्रबल रहती है, इसलिए इन दिनों में पौष्टिक तथा बलवर्द्धक आहार लेना चाहिए। सर्दियों में खट्टा, खारा व मीठा प्रधान आहार लेना चाहिए।
☛ गर्म प्रकृति के आहार सर्दियों में लेना बेहतर होता है। ठंडे प्रकृति के आहार नुकसान पहुंचाते हैं। कड़वे,
☛ कसैले, तीखे खाद्य पदार्थ ना लें।
☛ दूध, ताजा दही, मक्खन,गुड़, खजूर,तिल, नारियल, सूखे मेवे जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ इस ऋतु में लाभप्रद होते हैं।
☛ सर्दियों में उपवास कम करने चाहिएं।
☛ प्रतिदिन मालिश, व्यायाम और 8 बजे के बाद सैर करने से शरीर तंदुरूस्त होता है ।
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☛ इस ऋतु में स्नान गुनगुने पानी से करना बेहतर होता है।
☛ शरीर को उचित गर्म वस्त्रों से गर्म रखें। रात्रि में अपना शयनकक्ष भी गर्मं रखें।
☛ पैरों में उचित गर्म मोजे पहन कर रखें।
☛ प्रातःकाल की धूप शरीर को लाभ पहुंचाती है।
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☛ स्कूटर, ऑटो, साइकल पर अधिक दूरी तक ना जाएं। बंद वाहन का आवागमन के लिए प्रयोग करें जैसे कार, बस रेल आदि।
☛ ठंडी हवा के संपर्क से स्वयं को बचा कर रखें।
☛ अगर फर्श पर बैठना पड़े तो चटाई, कालीन, कंबल बिछा कर बैठें।
☛ सर्दी जुकाम खांसी होने पर रात्रि में चुटकी भर हल्दी वाला दूध पिएं। इसके अतिरिक्त ताजे भुने एक मुट्ठी चने हल्दी और नमक मिलाकर खाएं। इसके बाद पानी न पिएं।
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☛ खट्टी चीजों से परहेज करें। खाने के बाद हल्दी नमक वाली भुनी अजवायन को मुखवास के रूप में थोड़ी मात्रा में खाएं।
☛ अजवायन की पोटली से छाती की सिंकाई करने से भी खांसी में लाभ मिलता है। रूकी बलगम पिघल कर बाहर निकलती है।
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☛ त्वचा खुश्क होने पर माश्चराइजर का प्रयोग चेहरे, हाथों, पैरों पर करें। होंठों पर रात्रि में मलाई से हल्के मालिश करें।
☛ पैरों को सप्ताह में एक बार गर्म पानी में थोड़ी देर के लिए रखें।