Last Updated on August 17, 2022 by admin
सर्पगंधा क्या है ?(sarpagandha in hindi)
सर्पगंधा का औषधीय रूप में कई शताब्दियों से इस्तेमाल हो रहा है. इसे वानस्पतिक भाषा में ‘राऊवाल्फिआ सपेंटिना कहते हैं. यह ‘एपोसाइनेरी’ कुल का पौधा है ।
सर्पगंधा का पौधा 1 से 3 फुट लंबा होता है. इस पर सफेद व गुलाबी फूल अप्रैल से नवंबर तक आते हैं. इस के फल जूनजुलाई तक पक जाते हैं ।
सर्पगंधा के फायदे और उपयोग (sarpagandha ke Fayde aur Upyog)
सर्पगन्धा-उच्च रक्तदाब की सबसे सफल आयुर्वेदिक औषधि है। इस औषधि या वनस्पति का नाम रौल्फिया सर्पेटाइना है। सर्पगन्धा का चूर्ण प्रकुंचन और अनुशिथिलन-दोनों प्रकार के दाबों को घटाता है। यह चूर्ण नाड़ी की तेज गति को मन्द करता है। सर्पगन्धा चूर्ण का सेवन करने से रोगी को चैन और शान्ति मिलती है। जब रक्तदाब उच्च के साथ-साथ दुर्दम और भारात्मक प्रकार का हो तो सर्पगन्धा चूर्ण में गैगिलयॉन अवरोधक द्रव्यों को मिला लिया जाता है।
1. सर्पगंधा को कूटकर रख लें । प्रात: सायं दो-दो ग्राम सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर सामान्य होता है। ( और पढ़े –हाईब्लड प्रेशर के 18 सबसे कामयाब घरेलु उपचार )
2. एक ग्राम सूखा धनिया, एक ग्राम सर्पगंधा, दो ग्राम मिश्री में पीसकर ताजा पानी से खाने पर उच्च रक्तचाप घट जाता है।
3. सर्पगंधा, आंवला, गिलोय, अर्जुन वृक्ष की छाल, पुनर्नवा और असगंध बराबर मात्रा में लेकर, चूर्ण बनाकर पानी के साथ दो बार खाने से हाई ब्लड प्रेशर सामान्य होता है ।
4. 3 ग्राम सर्पगन्धा चूर्ण में 5 छोटी इलायची का चूर्ण, पांच काली मिर्च का चूर्ण इकट्टा पीस लिया जाता है तथा 60 ग्राम गुलाब जल इसमें डाल दिया जाता है। इसे तीन घण्टे तक इसी प्रकार रखा रहने दें। इसके बाद इसमें 6 ग्राम मिश्री डालकर शीशी में रख दें। इस मिश्रण में उच्च रक्तदाब की 6 मात्रा कुछ घण्टे के अन्तर–अन्तर पर देने से सिरदर्द और बेचैनी का अंत होता है, अनिद्रा भी चली जाती है। ( और पढ़े –लो बीपी की छुट्टी करदेंगे यह 11 घरेलू उपाय )
5. 1 ग्राम सर्पगन्धा चूर्ण में 1 ग्राम शंखपुष्पी चूर्ण तथा 1 ग्राम जटामांसी चूर्ण मिलाइये। इस मिश्रण से उच्च रक्तदाब की छः मात्रा बनेंगी। एक-एक मात्रा को गुलाब जल के साथ 4-4 घण्टे के अंतर पर देना चाहिए। इसेस उच्च रक्तदाब में लाभ मिलता है।
6. सर्पगन्धा घनबटी : इसे तैयार करने के लिए निम्न चीजों को कूट पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है-
- सर्पगन्धा चूर्ण= 9.30 किलो
- खुरासनी अजवायन की पत्ती या बीज = 1.80 किलो
- जटामाँसी= 9.30 ग्राम
- भाँग= 930 ग्राम
उपरोक्त चीजों के चूर्ण को आठ गुने पानी में पकाना चाहिए। जल इतना उबालें कि आठवाँ हिस्सा द्रव्य ही शेष रहे। इसके बाद द्रव्य को उतारकर छान लें। छने हुए पानी को स्टील या ताम्रचीनी के बर्तन में डालकर अग्नि पर गर्म करें तथा लकड़ी के पलटे से चलाते रहें। जब द्रव्य गाढ़ा होने लगे तो इसे चूल्हे से नीचे उतार लें तथा इसमें 230 ग्राम पिपली मूल चूर्ण डालकर धूप में सुखावें तथा इसकी 370 मि.ग्रा. की गोलियां बना लें। यही ‘सर्पगन्धा घनबटी’ है। उच्च रक्तदाब के रोगी को 2 या तीन गोली रात्रि के सोते समय (जल या दूध के साथ) देने से लाभ प्राप्त होता है।
सर्पगंधा के नुकसान (sarpagandha ke nuksan)
- सर्पगंधा लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- सर्पगंधा को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- कभी-कभी यह मुंह के सूखने का कारण बन सकता है।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं और गर्भावस्था के दौरान भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
- पार्किंसंस रोग, पेप्टिक अल्सर और ब्रैडीकार्डिया के मामले में भी सर्पगंधा सेवन से बचा जाना चाहिए।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)