Last Updated on November 20, 2019 by admin
शीतकाल में सेवन योग्य पुष्टिदायी व्यंजन : Sharir ko Balwaan Majboot Banaane wale Vyanjan
१) गाजर का हलवा (gajar ka halwa): गाजर में लौह तत्व व विटामिन ‘ए’ काफी मात्र में पाये जाते है | यह वायुशामक,ह्रदय व मस्तिष्क की नस- के लिए बलप्रद, रक्तवर्धक व नेत्रों के लिए लाभदायी है |
विधि : गाजर के भीतर का पीला भाग हटा के उसे कद्दूकस कर घी में सेंक लें | आधी मात्र में मिश्री मिलाकर धीमी आँच पर पकाये | तैयार होने पर इलायची, मगजकरी के बीज व थोड़ी-सी खसखस डाल दें | (दूध का उपयोग न करे |)
२) कद्दू के बीज की बर्फी (kaddu ke beejo ki barfi): काजू में जैसे मौलिक व पुष्टिदायी तत्व पाए जाते है, वैसे ही कद्दू के बीजों में भी होते है |
विधि :बीज की गिरी को घी में सेंक के समभाग चीनी मिला के बर्फी या छोटे-छोटे लड्डू बना लें | एक – दो लड्डू सुबह चबा-चबाकर खाए |
विशेस रूप से बालकों के लिए यह स्वादिष्ट, बल व बुद्धिवर्धक खुराक है |
३) खजूर की पुष्टिदायी गोलियाँ :
विधि :सिघांड़े के आते को घी में सेंक ले | आते के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है | गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी गोलियाँ खिलायें |
४) वीर्यवर्धक योग (Virya Vardhak Yog):
विधि :४-५ खजूर रात को पानी में भिगो के रखे | सुबह १ चम्मच मक्खन, १ इलायची व थोडा – सा जायफल पानी में घिसकर उसमें मिला के खली पेट लें | यह वीर्यवर्धक प्रयोग हो |
५) मेथी की सुखडी(methi ki barfi) : मेथीदाना हड्डियों व जोड़ों को मजबूत बनाता है |
विधि :मेथी का आटा, पुराना गुड व घी समान भाग लें | आटा घी में सेंक के पुराना गुड व थोड़ी सोंठ मिलाकर सुखडी (बर्फी) बना लें | यह उत्तम वायुशामक योग हाथ-पैर, कमर व जोड़ों के दर्द, सायटिका तथा दुग्धपान करनेवाली माताओं व प्रौढ़ व्यक्तिओं के लिए विशेष लाभदायी है |
६) चन्द्रशूर की खीर(chandrasur ki kheer) : चन्द्रशुर (हालों) में प्रचंड मात्रा में लौह, फॅास्फोरस व कैल्शियम पाया जाता है | १२ वर्ष से ऊपर के बालकों को इसकी खीर बनाकर सुबह खली पेट ४० दिन तक खिलाने से कद बढ़ता है | माताओं को दूध बढ़ाने के लिए यह खीर खिलाने का परम्परागत रिवाज है | इससे कमर का दर्द, सायटिका व पुराने गठिया में भी फायदा होता है |
सूचना : पौष्टिक पदार्थों का सेवन सुबह खली पेट अपनी पाचनशक्ति के अनुसार करने से पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से होता है |उनका सम्यक पाचन होने पर ही भोजन करना चाहिए |
विशेष : अच्युताअच्युताय हरिओम अश्वगंधा पाक (Achyutaya Hariom Ashwagandha Pak)पाक शक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक, स्नायु व मांसपेशियों को ताकत देने वाला एवं कद बढ़ाने वाला एक पौष्टिक रसायन है। यह धातु की कमजोरी, शारीरिक-मानसिक कमजोरी आदि के लिए उत्तम औषधि है। इसके सेवन से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है एवं वीर्यदोष दूर होते हैं।
धातु की कमजोरी, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु जाना आदि विकारों में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायी है। यह राज्यक्ष्मा(क्षयरोग) में भी लाभदायी है। इसके सेवन से नींद भी अच्छी आती है। यह वातशामक तथा रसायन होने के कारण विस्मृति, यादशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है।
दूध के साथ सेवन करने से शरीर में लाल रक्तकणों की वृद्धि होती है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, शरीर में शक्ति आती है व कांति बढ़ती है। सर्दियों में इसका लाभ अवश्य उठायें।
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |
श्रोत – ऋषि प्रसाद मासिक पत्रिका (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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