Last Updated on July 22, 2019 by admin
शवासन : Savasana in Hindi
शवासन ( Shava Asana ) को आसनों का सम्राट भी कहते हैं। शवासन क्रिया से शरीर और मन दोनों ही थकावट व चिंता से मुक्त हो जाता है। शवासन का अभ्यास सभी आसनों तथा सभी यौगिक क्रियाओं को खत्म करने के बाद किया जाता है तथा किसी अन्य आसनों को करते समय आराम के लिए भी इस शवासन को किया जाता है।
शवासन ( Shavasana ) से लाभ :-
★ शवासन (Shava Asana)से शरीर की सभी अंगों को आराम मिलता है तथा इससे मन शांत व चिंता मुक्त होता हैं। यह अन्य आसनो को करने से होने वाली थकावट तथा यात्रा, खेल-कूद, अधिक काम के करने से होने वाली थकावट आदि को दूर करता है।
★ यह आसन अनिद्रा (नींद का न आना) को भी दूर करता है। इससे चिंता, भय, शोक आदि खत्म होकर मन को शांति मिलती है।
★ जिन औरतों को घर का काम करने से थकावट अधिक होती है, उन्हें यह आसन करना चाहिए। वे इसे रात को सोने से पहले भी कर सकती हैं।
★ शवासन क्रिया को करने से शारीरिक थकावट दूर होती है तथा मन शांत व प्रसन्न रहता है।
★ स्नायुओं से पीड़ित रोगी, रक्तचाप के रोगी तथा न्यूरस्थीनिया के रोगी के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है।
★ यह आसन किसी अन्य आसनों को करने से तथा अधिक कामों से होने वाले थकावट को दूर करता है। इससे शरीर में ताजगी व स्फूर्ति आती है तथा मानसिक तनाव दूर होता है।
★ यह आसन हृदय रोग, दमा और मधुमेह रोग में लाभकारी रहता है।
★ इस आसन के दौरान लयबद्ध रूप में श्वसन क्रिया करने से तंत्रिका तंत्र पर बहुत ही शांत प्रभाव पड़ता है। इस तंत्र के तनाव-ग्रस्त होने पर ही शरीर की क्रियाएं खराब होने लगती है। इस आसन से पूरे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
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शवासन(Shava Asana)करने की विधि-
★ शवासन (Shavasana) को करने के लिए अपने मन को तनाव व चिंता मुक्त रखना चाहिए। इस आसन को जहां शांत स्थान तथा स्वच्छ हवा का बहाव हो, वहां करें।
★ इसके लिए फर्श पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद पूरे शरीर को सीधा रखते हुए पूरे शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें। शरीर के किसी भी भाग में कोई हलचल न हो ऐसी स्थिति बनाएं।
★ दोनों पैरों के बीच 45 से 60 सेंटीमीटर तक की दूरी रखें। अब दोनों हाथों को दोनों बगल में सीधा रखें व हथेलियों को ऊपर की ओर रखें।
★ इस स्थिति में आने के बाद अपनी आंखों को बंद कर लें। 10 मिनट तक आंखों को बंद रखें। 10 मिनट के बाद आंखों को खोलकर कुछ सैकेंड तक रुके और पुन: आंखों को बंद कर लें। इस तरह से इस क्रिया को 3 से 4 बार करें।
★ इस क्रिया में सांस लेने व छोड़ने की गति को सामान्य रखें। इसको करते समय अपने मन व मस्तिष्क को बिल्कुल खाली रखें और मन में अच्छे स्थानों के बारे में कल्पना करके तथा आनन्द मय होकर इस आसन को करें।
★ जब आपका शरीर व मन आराम कर लें तब अपने दायें हाथ को उठाकर हथेली को पेट के ऊपर रखें तथा नाक के दोनों छिद्रों से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। फिर सांस को धीरे-धीरे ही छोड़े। सांस लेते समय पेट बाहर की ओर तथा अंगुलियों को मिलाकर रखें और सांस छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर लें तथा अंगुलियों को अलग करके रखें। यह क्रिया लगातार 3 से 5 मिनट तक करें।
★ इसके बाद अपने हाथ को पेट से हटाकर नीचे रख दें। इस आसन को करने के बाद नींद पर काबू पाते हुए 10 से 15 मिनट तक आराम करें तथा शरीर में कोई प्रतिक्रिया किये बिना ही लेटे रहें। यह आसन शरीर तथा मन को पूर्ण आराम देता है।
★ मन को आराम देते समय मन पर नियंत्रण रखें तथा मन में भी बाहरी विचार जैसे- शोक, भय, लोभ, क्रोध, चिंता आदि को न आने दें।
ध्यान :
श्वास एवं गिनती पर एकाग्रता आवश्यक है। शवासन की अवस्था में मस्तिष्क के विचारों को शांत करने की कोशिश करें। इस आसन में ध्यान लगाने से शरीर हल्का तथा आंतरिक चेतना जाग्रत होती है।
सावधानी :
★ शवासन क्रिया को खाली पेट करें तथा भोजन करने के 2-3 घंटे बाद इस आसन को करें।
★ हल्के पेट इस आसन को 1 घंटे बाद कर सकते हैं। शवासन को करने के लिए शांत तथा एकांत वातावरण का होना आवश्यक है। पूरी नींद लेने के लिए इस आसन को बिस्तर पर भी कर सकते हैं।
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