Last Updated on August 31, 2019 by admin
क्यों जरुरी है नित्य स्नान / नहाने के फायदे :
हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है “त्वचा।” त्वचा हमारे शरीर का बाहरी आवरण है, जिसमें एक इंच के क्षेत्रफल में औसतन 650 स्वेदग्रंथियाँ, 20 ब्लड वैसल्स, और 1000 तंत्रिकाएँ होती हैं। नहाने का जो हमारे ध्येय है वह है त्वचा की सफ़ाई। त्वचा की सफ़ाई से उस पर पाए जाने वाले छिद्र, बाल एवं उसकी सतह की साफ़-सफ़ाई हो जाती है, उसका रक्तप्रवाह बढ़ता है, त्वचा द्वारा उत्सर्जित पदार्थ हट जाते हैं।
त्वचा पर पाए जाने वाले छिद्र एक केनाल से जुड़े होते हैं। यदि इन सभी केनाल को आपस में जोड़ दिया जाए तो यह लगभग 30 मील लंबी केनाल बन जाएगी। यह केनाल हमारे शरीर से कई ज़हरीले अपशिष्टों को बाहर निकालती है। यदि सभी केनाल के छिद्र एक साथ बंद हो जाते हैं, तो कुछ ही समय में इन छिद्रों को खोलने के लिए हमारा शरीर अपना तापमान बढ़ा कर उन छिद्रों को खोलने का प्रयास करता है, जिसके फलस्वरूप हमें बुख़ार आ जाता है। जब हम ऐसी कोई औषधि या खाद्य वस्तु ले लेते हैं, जो कि इन छिद्रों को खोलकर भरपूर पसीना ले आती है तो हमारा बुखार उतर जाता है और हम फिर से स्वस्थ महसूस करने लगते हैं। यही कारण है कि बुख़ार के रोगी को आयुर्वेद के ग्रंथों में तेल मालिश के लिए मना किया है क्योंकि तेल की मालिश इन छिद्रों को और कुछ समय के लिए बंद कर सकती है तथा स्थिति को और बिगाड़ सकती है। इन छिद्रों का अधिक समय तक बंद रहना घातक हो सकता है तथा यह कई प्रकार के चर्म रोग एवं फेफड़ों के रोगों को उत्पन्न कर सकता है। यदि त्वचा से ज़हरीले तत्वों का निस्तारण नहीं होगा तो वे फिर से रक्त में मिलकर कई रोगों को उत्पन्न करेंगे।
यदि हम लगातार भारी, अतिवसायुक्त भोजन करेंगे तथा हमारी पाचन शक्ति कमज़ोर होगी तो यह अधपचा भोजन रक्त को दूषित करेगा। यह दूषित रक्त अपने को साफ़ करने के लिए अपशिष्टों को त्वचा के छिद्रों को पास या हस्तांतरित करेगा जिससे कि छिद्र बंद होने लगते हैं। जब ये छिद्र बंद होंगे तो पसीना नहीं निकलेगा और यह अतिरिक्त जल हमारे नरम अंगों में जमा होगा और इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे – हमारे मुलायम फेफड़े। यही वजह है कि आयुर्वेद ने अस्थमा, खाँसी एवं नज़ले का आधार हमारे आमाशय को बताया है। यदि हमारी पाचन शक्ति शक्तिशाली है तो हमें सर्दी-खाँसी एवं अस्थमा नहीं हो सकता। यदि हमें सर्दी से छुटकारा पाना है तो हमें अपनी पाचनशक्ति को ठीक करना एवं त्वचा के छिद्रों को खोलना तथा साफ़ करना होता है। इसलिए इसका सर्वश्रेष्ठ उपचार है – गर्म पानी पीना एवं गर्म पानी से स्नान करना। गर्म पानी से अच्छा एवं तीव्र लाभकारी इस स्थिति में कुछ भी नहीं है।
त्वचा से निकलने वाले अपशिष्टों की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि आपने क्या खाया है और क्या पिया है। यदि आपने अच्छा भोजन लिया है तथा अच्छा पेय या साफ़ पानी पिया है तो अपशिष्ट कम निकलेंगे। इसमें छिद्रों तथा केनाल को कम कार्य करना पड़ता है तथा वे साफ़ एवं स्वस्थ रहती हैं।
यदि छिद्रों की सफ़ाई ठीक से नहीं होगी तथा वे अपना कार्य भली प्रकार से नहीं करेंगे तो हमारा स्वस्थ रहना या जीवित रहना नामुमकिन है। इसलिए स्नान को किसी भी प्रकार से हल्के में नहीं लिया जा सकता।
स्नान (नहाने) करने के नियम / सही विधि :
1- रोज करें स्नान –
स्नान हमारे शरीर को नया कर देता है, स्वस्थ रखता है, रोगों से रक्षा करता है और लंबा जीवन देता है।
जब हम स्नान करते हैं, तो हम शरीर की मदद कर रहे होते हैं – उसे स्वस्थ, सुंदर एवं दीर्घायु बनाने में।
2- कैसे करें स्नान –
हम सभी इंसानों को सुबह उठकर, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करके, कुनकुने पानी से स्नान करना चाहिए।
3- स्नान करने का सही समय –
प्रातः काल के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।
१ – मुनि स्नान – वह स्नान जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है। मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
२ – देव स्नान – वह स्नान जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है। देव स्नान उत्तम है।
३ – मानव स्नान – वह स्नान जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है। मानव स्नान समान्य है।
४ – राक्षसी स्नान – वह स्नान जो सुबह 8 के बाद किया जाता है। राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
4- स्नान के लिए स्थान चयन –
आप स्नान के लिए ऐसा स्थान चुने जहाँ पर स्वच्छ हवा हो लेकिन सीधे तेज़ हवा नहीं आती हो। पानी को गुनगुना गर्म करें तथा उसमें थोड़ा-सा नमक मिला लें। अब एक टॉवेल को उस पानी में भिगोकर अपने पूरे शरीर पर मलते हुए रगड़ें। इससे आपके शरीर के छिद्र खुल जाएँगे तथा अपशिष्टों की सफ़ाई हो जाएगी।
5- गर्म जल से सिर का बचाव –
सिर पर गर्म पानी नहीं डालें, केवल 40 डिग्री तक गर्म पानी डाला जा सकता है।
5- नहाने की विधि –
सबसे पहले, हाथ-पैर पानी से साफ़ करें, फिर पेट एवं पीठ को साफ़ करें, फिर छाती को पानी से साफ़ करें तथा अंत में सिर को साफ़ करें। फिर सिर पर पानी को डालकर पूरे शरीर को धो लें। जब आप नहा लें तो नर्म तौलिए से शरीर को साफ़ करके तुरंत कपड़े पहन लें। ऐसा करकेआप पाएंगे कि आपका शरीर बिलकुल नया हो गया है… बिलकुल नया तन, नया एहसास, नई उमंग।
6- यह जल में मिलाकर नहाने से होंगे स्वास्थ्य लाभ –
हमें पानी में नमक के साथ कभी-कभी नींबू या नीम के पत्तों का रस भी मिला लेना चाहिए। इससे त्वचा की शानदार सफ़ाई हो जाती है।
7- स्नान का महत्त्वपूर्ण भाग-
याद रखें कि त्वचा को रगड़ना या मलना स्नान का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। इसके बिना स्नान का लाभ हमें नहीं मिलेगा।
8- हानिकारक साबुनों एवं शैम्पूओं से बचे –
यह भी याद रखें सस्ते एवं रसायनों से युक्त साबुनों एवं शैम्पूओं को अपने शरीर को छूने भी नहीं दें।स्नान के लिये उबटन या मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग सर्वोत्तम है ।
9- भूलकर भी न करें यह कार्य –
भोजन के बाद कभी भी स्नान नहीं करें। ऐसा करने से रक्त का प्रवाह त्वचा की तरफ बढ़ जाएगा एवं इसके परिणामस्वरूप पाचन ठीक से नहीं हो पाएगा।
10- तलवों की सफाई –
हमारे शरीर की सर्वाधिक गंदगी पैरों के तलवों के छिद्रों से निकलती है। अतः इन्हें नहाते वक़्त सबसे अच्छे से साफ़ करें ताकि इसके छिद्र बंद न हों तथा हमारे शरीर के अपशिष्ट सुचारू रूप से बाहर निकलते रहें।
11- अंगों की कोमलता से सफाई –
बग़ल (आर्म पिट्स), यौनांग तथा उसके आसपास के हिस्सों को भी कोमलता से रगड़कर साफ़ अवश्य करें। इन हिस्सों के बाल लगभग प्रति पंद्रह दिनों में साफ़ कर लें जिससे उनकी सफ़ाई अच्छे से हो तथा वहाँ के छिद्र भली प्रकार से अपशिष्टों को बाहर निकालते रहें।
12- स्नान और मानसिक शांति-
गंदे शरीर में स्वास्थ्य निवास ही नहीं कर सकता। यदि शरीर गंदा है, तो न तो हम शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं और न ही मानसिक रूप से। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए स्नान एक प्रमुख अंग है।
दाँतों की सफ़ाई :
☛सफ़ाई या स्नान में हमारे दाँतों की सफ़ाई भी प्रमुख है क्योंकि दाँत हमारे स्वास्थ्य का आधार हैं।
जब हम भोजन को अच्छी प्रकार से चबाते हैं, तो उसका पाचन ठीक होता है। जब पाचन ठीक होता है तो शरीर का पोषण ठीक होता है। इससे हम स्वस्थ और दीर्घायु बनते हैं। अर्थात दाँतों का संबंध हमारे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु से है। यदि हमारे दाँत नहीं होंगे तो हम बहुत से खाद्य पदार्थों को खा ही नहीं पाएंगे। ऐसे में हमारा शरीर कई पोषक तत्वों की कमी से जूझने लगेगा और कमज़ोर होकर रोगी बन जाएगा। इसलिए दाँतों की सफ़ाई को कोई भी स्वास्थ्य का रक्षक हल्के में नहीं ले सकता।
☛दाँतों की सफाई के लिए किसी अच्छे मंजन का चुनाव करें और अच्छे क़िस्म का कोमल ब्रश लें। सबसे पहले मंजन से मसूढ़ों की मसाज़ करें लगभग 3 से 5 मिनट तक उसके पश्चात ब्रश की सहायता से दाँतों को मंजन से साफ़ करें। यह सुबह एवं रात को सोते वक़्त करें।
☛दाँतों के लिए किसी भी केमिकल्स युक्त मंजन या टूथपेस्ट का प्रयोग न करें चाहे उसके विज्ञापन उसकी कितनी ही अच्छाइयाँ गिनाएँ।
☛एक कम धार वाले टंग क्लीनर से जीभ की भी सफ़ाई करें। जीभ की सफ़ाई सुबह, रात में सोते समय तथा हर भोजन के बाद करें। इससे जीभ की स्वाद कलिकाएँ (टेस्ट बड्स) साफ़ रहती हैं तथा हमें भोजन का पूरे-पूरे स्वाद का आनंद दिलाती है तथा इससे हमारे मुँह की बदबू भी नष्ट होती है।
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