बच्चों के सोने के यह आठ ढंग प्रकट करते है उनकी मानसिक स्थिति के कई राज
(१). कुछ बच्चे पीठ के बल सीधे सोते हैं । अपने दोनों हाथ ढीले छोडकर चेहरे या पेट पर रख लेते हैं । यह सोने का सबसे अच्छा और आदर्श तरीका है । प्रायः इस प्रकार सोनेवाले बच्चे अच्छे स्वास्थ्य के स्वामी होते हैं । न कोई रोग और न कोई मानसिक चिन्ता । इन बच्चों का विकास अधिकतर रात्रि में ही होता है ।
(२). कुछ बच्चे सोते वक्त अपने दोनों हाथ उठाकर सिर पर रख लेते हैं । इस प्रकार शांति और आराम प्रदर्शित करनेवाला बच्चा अपने वातावरण से संतोष और शांति चाहता है । अतः बडा होने पर उसे किसी जिम्मेदारी का काम एकदम न सौंप दें क्योंकि ऐसे बच्चे प्रायः कमजोर संकल्पशक्ति वाले होते हैं । उन्हें बचपन से ही अपना काम स्वयं करने का अभ्यस्त बनायें ताकि धीरे-धीरे उनके अन्दर संकल्पशक्ति और आत्म-विश्वास पैदा हो जाय ।
(३). कुछ बच्चे पेट के बल लेटकर अपना मुँह तकिये पर इस प्रकार रख लेते हैं मानो तकिये को चुम्बन कर रहे हों । यह स्नेह का प्रतीक है । उनकी यह चेष्टा बताती है कि बच्चा स्नेह का भूखा है । वह प्यार चाहता है । उससे खूब प्यार करें, प्यार भरी बातों से उसका जी बहलाएँ । उसको प्यार की दौलत मिल गयी तो उसकी इस प्रकार सोने की आदत अपने आप दूर हो जायेगी ।
(४). कुछ बच्चे तकिये से लिपटकर या तकिये को सिर के ऊपर रखकर सोते हैं । यह बताता है कि बच्चे के मस्तिष्क में कोई गहरा भय बैठा हुआ है । बडे प्यार से यह छुपा हुआ भय जानने और उसे दूर करने का शीघ्रातिशीघ्र प्रयत्न करें ताकि बच्चे का उचित विकास हो । किसी सद्गुरु से प्रणव का मंत्र दिलाकर जाप करावें ताकि उसका भावि जीवन किसी भय से प्रभावित न हो ।
(५). कुछ बच्चे करवट हो दोनों पाँव मोडकर सोते हैं । ऐसे बच्चे अपने बडों से सहानुभूति और सुरक्षा के अभिलाषी होते हैं । स्वस्थ और शक्तिशाली बच्चे भी इस प्रकार सोते हैं । उन बच्चों को बडों से अधिक स्नेह और प्यार मिलना चाहिए ।
(६). कुछ बच्चे तकिये या बिस्तर की चादर में छुपकर सोते हैं । यह इस बात का संकेत है कि वे लज्जित हैं । अपने वातावरण से प्रसन्न नहीं है । घर में या बाहर उनके मित्रों के साथ कुछ ऐसी बातें हो रही हैं जिनसे वे संतुष्ट या प्रसन्न नहीं है । उनसे ऐसा कोई शारीरिक दोष, कुकर्म या कोई ऐसी छोटी-मोटी गलती हो गयी है जिसके कारण वे मुँह दिखाने के काबिल नहीं हैं । उनको उस ग्लानि से मुक्त कीजिए । उनको चारित्र्यवान और साहसी बनाइये ।
इसे भी पढ़े : गहरी नींद के लिए 17 आसान घरेलु उपाय | Gahari nind aane ke upay
(७). कुछ बच्चे तकिया, चादर और बिस्तर तक रौंद डालते हैं । कैसी भी ठंडी या गर्मी हो, वे बडी कठिनाई से रजाई या चादर आदि ओढना सहन करते हैं । वे एक जगह जमकर नहीं सोते, पूरे बिस्तर पर लोट-पोट होते हैं पूरे विस्तर को अखाडा बना देते हैं, मानो बिस्तर से कुस्तीबाजी करते हैं ।
ऐसे बच्चों को किसी भी प्रकार की चिन्ता नहीं होती । उनमें संकल्पशक्ति अधिक होती है । वे कुछ जिद्दी भी होते हैं । माता-पिता और अन्य लोगों पर अपना हुकुम चलाने का प्रयत्न करते हैं । ऐसे बच्चे दबाव से या जबरदस्ती कोई काम नहीं करेंगे । बहुत ही स्नेह से युक्ति से उनका सुधार होना चाहिए ।
(८). कुछ बच्चे तकिये या चादर से अपना पूरा शरीर ढककर सोते हैं । केवल एक हाथ बाहर निकालते हैं । यह इस बात का प्रतीक है कि बच्चा घर के ही किसी व्यक्ति या मित्र आदि से सख्त नाराज रहता है । वह किसी भीतरी दुविधा का शिकार है । ऐसे बच्चों का गहरा मन चाहता है कि कोई उनकी बातें और शिकायतें बैठकर सहानुभूति से सुने, उनकी चिन्ताओं का निराकरण करे ।
ऐसे बच्चों के गुस्से का भेद प्यार से मालूम कर लेना चाहिए, उनको समझा-बुझाकर उनकी रुष्टता दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए । अन्यथा ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत भावुक और क्रोधी हो जाते हैं, जरा-जरा-सी बात पर भडक उठते हैं । वे बच्चे चबा-चबाकर भोजन करें ऐसा ध्यान रखना चाहिए । गुस्सा आवे तब हाथ की मुट्ठियाँ इस प्रकार भींच देना चाहिए ताकि नाखूनों का बल हाथ की गद्दी पर पडे… ऐसा अभ्यास बच्चों में डालना चाहिए । ‘ॐ शांतिः शांतिः… का पावन जप करके पानी में दृष्टि डालें और वह पानी उन्हें पिलायें । बच्चे स्वयं यह करें तो अच्छा है, नहीं तो आप ही करें ।
संसार के सभी बच्चे इन आठ तरीकों से सोते हैं । हर तरीका उनकी मानसिक स्थिति और आन्तरिक अवस्था प्रकट करता है । माता-पिता उनकी अवस्था को पहचानकर यथोचित उनका समाधान कर दें तो आगे चलकर ये ही बच्चे सफल जीवन बिता सकते हैं ।