Last Updated on September 27, 2022 by admin
जो काम अच्छे ढंग से शुरू किया जाता है उस काम को आधा सम्पन्न हुआ मान लिया जाता है और वह काम अच्छे ढंग से ही पूरा भी होता है इसलिए यह ज़रूरी है कि हम सिर्फ़ अच्छे ही काम करें और उनका आरम्भ भी अच्छे ढंग से ही करें। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इस सिद्धान्त को हम हमारी दिनचर्या पर लागू करें तो दिन को भी प्रतिदिन अच्छे ढंग से शुरू करके स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली दिनचर्या का पालन कर सकते हैं।
जैसा कि हम शुरू में कह चुके हैं कि Well begun is half done यानी अच्छी शुरूआत का मतलब आधा काम फ़तह होना होता है तो हमें दिनचर्या की शुरूआत सुबह बहुत अच्छे ढंग से करनी चाहिए। इस अच्छे ढंग के उपाय और उनके लाभों का विवरण इस प्रकार है –
ब्राह्म मुहूर्त में उठना :
चौंकिए मत, घबराइए भी नहीं कि बाप रे ! इतनी सुबह उठना !! पहले इसके बारे में जान लीजिए, इसके लाभ समझ लीजिए फिर जो जी में आये सो कीजिए हम कौन से आप का हाथ पकड़ कर उठाने के लिए आने वाले हैं। हम तो आपके शुभचिन्तक, आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने वाले और आपके परम स्नेही हैं सो आपके भले की बातें बता रहे हैं। आप मान लेंगे और अमल करेंगे तो वाह ! कहेंगे, नहीं तो कभी न कभी आह ! कहने के लिए मजबूर होंगे, सोच लीजिए !
तो बात थी ब्राह्म मुहूर्त में उठने की, जिसे गुरु नानकदेवजी महाराज ने ‘अमृत बेला’ कहा है। यह समय सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टे पहले से शुरू होता है। ‘ब्राह्म मुहूर्ते बुध्येत स्वस्थो रक्षाऽर्थमायुषः’ (भाव प्रकाश) अर्थात् स्वस्थ व्यक्ति अपनी आयु की रक्षा के लिए ब्राह्म मुहूर्त में उठे।
ब्राह्म मुहूर्त में क्यों उठे? यह सवाल उठा सकते हैं आप !
तो जवाब में अर्ज़ है कि सुबह सूर्योदय से पहले उठने के कई फायदे हैं और न उठने के कई नुकसान । वैसे भी, फ़ायदा न होना भी तो नुकसान होना ही होता है और अगर फ़ायदा होना तो दूर, उलटे ऊपर से नुकसान भी होने लगे तो फिर मूल पर धूल पड़ेगी ही। पहले सूर्योदय से पूर्व उठने के फ़ायदों की चर्चा करना मुनासिब होगा ताकि आप थोड़ी रुचि ले सकें यानी कि इण्टरेस्ट (Interest) ले सेकें।
सुबह जल्दी उठने के फायदे : Subah Jaldi Uthne ke Fayde in Hindi
1. सुबह जल्दी उठना बचाता है हमारा मूल्यवान समय –
पहला लाभ समय का होता है। देर तक सोये रहने वाले का उतना समय नष्ट हो जाता है जबकि जल्दी उठ जाने वाला व्यक्ति नित्य कर्मों से निवृत्त हो कर काम से लग जाता है। जो व्यक्ति 75 वर्ष तक जिया और सुबह 5 बजे न उठ कर 8 बजे तक सोता रहा तो यदि 15 वर्ष की आयु से सिर्फ़ 60 वर्ष का ही गणित लगाएं तो उसने साल के 365 दिन में 1095 घण्टे और 60 वर्ष में 65700 घण्टे यानी साढ़े सात वर्ष का समय व्यर्थ ही खो दिया। देर तक सोने वाले के नित्यकर्म भी देर से निपटते हैं और उसकी वास्तविक दिनचर्या देर से शुरू होती है जबकि जल्दी उठने वाला सब नित्यकर्मों से सूर्योदय के पहले ही निवृत्त हो जाता है और उसके पास तब काफ़ी समय होता है जिसमें वह कोई भी उपयोगी और लाभप्रद कार्य कर सकता है।
2. सुबह जल्दी उठने से नहीं घेरती ये बीमारियां –
दूसरा लाभ शरीर और स्वास्थ्य को होता है। सूर्योदय के बाद वातावरण में गर्मी फैल जाती है। रात भर सोने से शरीर में भी गर्मी बढ़ती है। सूर्योदय के पहले ही उठ कर शौच क्रिया और स्नान कर लेने से, शरीर की जो गर्मी रात में सोने से बढ़ी हुई होती है वह शान्त हो जाती है। सूर्योदय से पहले उठने पर मल विसर्जन में देर नहीं लगती और मल निकल जाने से न सिर्फ पेट ही हलका हो जाता है बल्कि शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी आ जाती है।
इसके बाद स्नान कर लेने से तो सोने पर सोहागे वाली बात हो जाती है क्योंकि शरीर की बढ़ी हुई गर्मी का शमन हो जाने से आलस्य, भारीपन और शिथिलता दूर हो कर शरीर में ताज़गी आ जाती है जिससे चेहरे की रौनक़ और आंखों की चमक बढ़ती है।
वातावरण में सूर्य की गर्मी फैले इसके पहले ही बिस्तर से उठ खड़े होने से हमारे शरीर की स्थिति आड़ी (Horizontal) से खड़ी (Vertical) हो जाती है जिससे पैरों को ज़मीन से अर्थिंग (Earthing) मिल जाता है जैसे इलेक्ट्रिकल यन्त्रों में अर्थिंग करने का नियम है। हमारा सिर ऊपर आकाश की तरफ़ हो जाता है जिससे हमारे शरीर में चेतना और ऊर्जा जाग्रत होती है।
यह स्थिति चैतन्य होती है जबकि आड़े लेटे होने की स्थिति चेतनाशून्य करने वाली होती है इसीलिए हम आकाश की तरफ़ सिर करके, बैठे या खड़े हुए, सो नहीं पाते। अगर ऐसी कोशिश करते भी हैं तो नींद का झोंका आते ही हम इधर-उधर लुढ़कने लगते हैं इसीलिए सोने यानी चेतना शून्य होने के लिए हमें आड़ी स्थिति (Horizontal) में यानी लेटने की मुद्रा में होना पड़ता है।
सूर्योदय से पहले ही ज़मीन का स्पर्श (Earthing) मिल जाने से शरीर में शीतलता आती है चेतना का संचार होता है इसीलिए जहां हम बिस्तर में लेटे हुए आलस्य का अनुभव करते हैं और एक झपकी और ले लेने के खयाल में फंसे रहते हैं वहीं उठ खड़े होते ही सारी सुस्ती ग़ायब हो जाती है क्योंकि हमारा सिर चेतना व ऊर्जा के केन्द्र सौर मण्डल की तरफ़ हो जाता है।
जल्दी उठ कर नित्य कर्मों से फारिश हो कर यदि सूर्योदय से पहले वायु सेवन के लिए सैर की जाए तो हमारे फेफड़ों को शुद्ध ताज़ी प्राण वायु मिल सकती है जो दिन भर नसीब नहीं हो सकती क्योंकि सूर्योदय के बाद आवागमन बढ़ जाने से सारा वातावरण दूषित हो जाता है। दिनोंदिन वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है, ऐसी स्थिति में सुबह की ताज़ी शुद्ध प्राणवायु प्रतिदिन फेफड़ों को मिलती रहे तो हम वातावरण के प्रदूषित प्रभाव से टक्कर ले सकेंगे और उन रोगों से बचे रह सकेंगे जो वायुप्रदूषण के प्रभाव से होते हैं।
रात को सोने से हमारे शरीर में जो उष्णता बढ़ती है उसका प्रभाव आमाशय, मलाशय, शुक्राशय, पित्ताशय, अग्न्याशय, मूत्राशय और (स्त्रियों के) गर्भाशय पर पड़ता है तथा आंखों पर पड़ता है। सूर्य की गर्मी वातावरण में व्याप्त होने से पहले शौच क्रिया व स्नान कर लेने से यह उष्णता शान्त हो जाती है और ये सभी आशय तथा नेत्र स्वस्थ बने रहते हैं जिससे शरीर दिन भर चुस्त दुरुस्त और सशक्त बना रहता है।
3. सुबह जल्दी उठने के मानसिक और आध्यात्मिक लाभ –
तीसरा लाभ मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं से सम्बन्धित है। सूर्योदय से पहले का समय शान्त, सौम्य, शुद्ध और ताज़गी से भरा होता है इसलिए यह समय ध्यान करने, प्रभु भक्ति करने, योगासन, प्राणायाम और व्यायाम आदि करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। यह बात सूर्योदय के बाद नहीं बनती।
विद्यार्थियों के लिए यह समय विद्याभ्यास करने के लिए अति उत्तम होता है जो उन्हें अतिरिक्त समय भी प्रदान करता है और रात भर विश्राम करने से तरोताज़ा दिमाग़ एवं स्वस्थ शारीरिक स्थिति भी, जिससे उन्हें पढ़ा लिखा पाठ सहज ही याद हो सकता है। प्रायः छात्र-छात्रा देर रात तक पढ़ते हैं और सुबह देर तक सोये रहते हैं यह तरीक़ा उलटा है और जल्दी सो कर सुबह जल्दी उठना सही तरीक़ा है जैसा कि अंग्रेज़ी की एक कविता में कहा गया है –
Early to bed & early to rise This is the way to be happy & wise
अर्थात् रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना, प्रसन्न और बुद्धिमान होने का उपाय है।
सूर्योदय के डेढ़ घण्टे पहले का समय नीरव और शान्त होता है जो मानसिक एकाग्रता में बहुत सहायक होता है इसलिए यह समय प्रभु आराधना, ध्यान एवं योगाभ्यास के लिए सर्वोत्तम है । अध्ययनमनन और पठन-पाठन के लिए भी यह समय इसलिए अनुकूल और उत्तम सिद्ध होता है कि इस समय मन सहजता से शान्त और एकाग्र किया जा सकता है। सूर्योदय के बाद जब सब तरफ़ जाग और चहल पहल हो जाती है, शोरगुल बढ़ जाता है तब यह सब काम करना उपयोगी और पूर्ण फलदायक नहीं होता।
महिलाओं को तो जल्दी उठना ही होता है और इसका उन्हें लाभ भी होता है। पति महाशय भले ही आठ बजे तक रजाई में दुबके पड़े रहते हों पर पत्नी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर सुबह जल्दी ही रसोईघर में व्यस्त हो जाती है क्योंकि उसे न सिर्फ़ स्वयं ही नित्यकर्मों से निवृत्त होना होता है बल्कि बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना, टिफिन तैयार करना आदि प्रातःकालीन कई कार्य करने होते हैं। महिलाओं को इसका प्रत्यक्ष लाभ यह होता है कि उनका शरीर स्वस्थ और सुडौल बना रहता है, चेहरा फूल की तरह खिला हुआ रहता है, आंखें चमकदार और सुन्दर बनी रहती हैं और वे दिन भर चुस्ती-फुर्ती से न सिर्फ घरेलू दिनचर्या में ही व्यस्त रहती हैं बल्कि आये गये का उचित स्वागत सत्कार करना पड़े तो उससे भी पीछे नहीं हटतीं।
इस हितकारी दिनचर्या के दो लाभ और भी होते हैं। पहला लाभ यह होता है कि जल्दी उठने से भूख जल्दी लगती है और खुब खुल कर लगती है। अच्छी भूख लगने पर भोजन करने से आहार हज़म भी अच्छी तरह होता है जिससे खाया पिया पूरी तरह अंग लगता है और शरीर पुष्ट, सुडौल तथा सशक्त बनता है।
ग़लत दिनचर्या के कारण अधिकांश लोगों (स्त्री-पुरुषों) की भूख और नींद उड़ गई है। नतीजा यह है कि भूख के लिए हाज़मे की और नींद के लिए गोलियां खाई जा रही हैं फिर भी न खुल कर भूख लगती है और न नींद ही आती है। सुबह सूर्योदय से पहले उठने वाले को शौच भी खुल कर आता है और भूख भी खुल कर लगती है।
4. सुबह जल्दी उठने के अन्य फायदें –
अन्य लाभ होता है समय से नींद आना और गाढ़ी नींद आना। जो सुबह 5 बजे से उठ कर दिन भर जम कर मेहनत करेगा उसे बिस्तर पर लेटते ही नींद आएगी ही और ऐसी गहरी आएगी जैसे घोड़े बेच कर सोया हो। जल्दी सोएगा तो सुबह जल्दी उठेगा भी क्योंकि नींद पूरी होने पर अपने आप खुल भी जाती है। अब यह बात जुदा है कि नींद खुलने पर हम बिस्तर से न उठे और करवट बदल कर फिर से नींद में गड़प हो जाएं।
नींद खुलते ही सबसे पहले प्रभु को स्मरण करें, दोनों हथेलियां मुख पर फेर कर जोड़ लें और पहली नज़र हथेलियों पर डाल कर फिर से हथेलियों को मुख पर फेरें । इसके बाद हथेली नाक के सामने लेकर ज़ोर से सांस छोड़ कर यह मालूम करें कि बायां या दाहिना कौन सा स्वर तीव्र चल रहा है। यदि दाहिने स्वर से तेज़ सांस निकले तो अपना बायां पैर ज़मीन पर पहले रखें फिर दाहिना पैर रख कर उठ खड़े हों। यदि बायां स्वर तेज़ चल रहा हो तो पहले दाहिना पैर ज़मीन पर रखें और फिर बायां पैर रख कर उठ खड़े हों, इसके बाद ही चप्पल पहनें।
दन्त मंजन करके, थोड़ी देर ठहर कर, ठण्डा पानी पिएं। पानी की मात्रा धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए 3-4 गिलास तक बढ़ा लें। और फिर प्रतिदिन चार गिलास पीने लगें। पानी पीने के बाद थोड़ी देर टहलें और शौच की हाजत होते ही शौचालय में चले जाएं । मल निकालने के लिए ज़ोर न लगाएं, प्रतीक्षा करें या शौचालय में ही खड़े हो कर अग्निसार क्रिया (पेट अन्दर खींचना व छोड़ना) 40-50 बार करें तो मल विसर्जित हो जाएगा। इसके बाद ठण्डे या कुनकुने गर्म पानी से स्नान कर थोड़ा व्यायाम या योगासन, जो भी करना चाहें या किया करते हों सो करें। बस प्रातः की दिनचर्या पूरी हुई इसके बाद जो भी आपकी दिनचर्या यानी कार्यक्रम हो सो शुरू कर दें।
सुबह जल्दी न उठने से हानियां : Subah Jaldi na Uthne ke Nuksan
जल्दी न उठने से हम उन सभी लाभों से वंचित हो जाएंगे जो जल्दी उठने से होते हैं और हानियां होंगी सो अलग। देर से उठने पर होने वाली हानियों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है –
1. स्वास्थ्य की हानी – देर तक सोये रहने से उतना समय तो नष्ट होता ही है, शरीर और स्वास्थ्य को भी भारी हानि होती है।
2. शरीर में गर्मी का बढ़ना – सोने से शरीर में जो उष्णता बढ़ती है, वह देर तक सोये रहने से तो बढ़ती जाती ही है, ऊपर से सूर्य की गर्मी के प्रभाव से भी इसमें वृद्धि होती है। इस बढ़ी हुई गर्मी के प्रभाव से आमाशय, मलाशय आदि सभी सात आशयों में गर्मी के प्रभाव से विकार पैदा होते हैं।
3. कब्ज की परेशानी – आमाशय में वात और पित्त का प्रकोप होता है, मलाशय में मल सूखता है जिससे मल विसर्जन में विलम्ब होता है।
4.धातु विकार – शुक्राशय पर उष्णता का प्रभाव पड़ने से वीर्य उष्ण और पतला होता है। धातु विकार, स्वप्न दोष, शीघ्रपतन आदि दोष पैदा होते हैं।
5. ग्लूकोज़ (Glucose) की कमी – पित्ताशय व अग्न्याशय के स्राव (Secretion) में विकार पैदा होते हैं, ग्लूकोज़ में कमी होती है और पित्त (Biles) की वृद्धि होती है,
6. मूत्र रोग – मूत्राशय में दाह और मूत्रकृच्छ की शिकायत होती है, गर्भाशय में उष्णता बढ़ने से मासिक ऋतु स्राव अधिक मात्रा में और अधिक समय तक होता है जिससे रक्त प्रदर रोग पैदा होता है।
7. गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव – स्त्री गर्भवती हो तो बच्चे के शरीर और स्वास्थ्य पर भी ऐसे ही दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
8. नेत्र में रूखापन और तनाव का बढ़ना – आंखों में तीखापन, रूखापन और तनाव आता है जिससे आंखें नीरस, रूपहीन और कान्तिहीन होने लगती हैं। आंखों के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं। यह सभी हानियां बहुत धीरे-धीरे होती हैं इसलिए एकदम से इनका पता नहीं चलता और ऐसा व्यक्ति इन हानियों से बेखबर रह कर मस्ती में मस्त बना रहता है।
9. सिर का भारीपन और दर्द – शरीर की गर्मी ऊपर की तरफ़ चढ़ती है जिसके प्रभाव से सिर में भारीपन, तनाव और दर्द होने की स्थिति बनती है।
10. बालों का असमय सफ़ेद होना और झड़ना – इस बढ़ी हुई गर्मी से त्वचा में स्थित भ्राजकपित्त कुपित होता है जिससे सिर की त्वचा में स्थित पित्त कुपित होकर बालों की जड़ों को सुखाता है, जलाता है और कमज़ोर करता है जिससे बाल झड़ते हैं और असमंय पक कर सफ़ेद होने लगते हैं।
11. पित्तजन्य उपद्रव – ग्न्याशय में स्थित पाचक पित्त, यकृत और प्लीहा में स्थित रंजक पित्त, हृदय में स्थित साधक पित्त और आंखों में स्थित आलोचक पित्त कुपित हो कर अपने-अपने अंगों में पित्तजन्य उपद्रव तथा विकार पैदा करते हैं।
इतनी हानियों से अपरिचित व्यक्ति मज़े से देर तक सोया है और उपद्रवों व विकारों का इलाज कराता रहता हैं।
12. प्रातः कालीन स्वच्छ प्राण वायु के सेवन से वंचित रहना – देर तक सोया रहने वाला व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) अपने बेड रूम में बन्द रहता है और प्रातः कालीन स्वच्छ प्राण वायु के सेवन से वंचित रहता है जो दिन भर उपलब्ध नहीं होती। दिन में वह प्रदूषित वातावरण में रहता है जिससे फेफड़ों में गन्दी प्रदूषित वायु पहुंचती रहती है। फेफड़े रक्त की शुद्धि करने का काम करते हैं और इनको प्राण वायु मिलना ज़रूरी होता है।
13. फेफडों की कमजोरी – देर तक सोने वाले व्यक्ति के फेफड़े शक्तिशाली नहीं रहते, रक्त की पर्याप्त शुद्धि नहीं हो पाती इससे ऐसा व्यक्ति श्वासरोग, दमा, शारीरिक कमज़ोरी, थोड़े से श्रम से सांस फूल जाना, त्वचा का मलिन व कान्तिहीन होना, रक्त व त्वचा विकार, धातुक्षीणता आदि व्याधियों का शिकार हो जाता है।
14. त्वचा का वर्ण मलिन और फीका पड़ना – ऐसे स्त्री-पुरुषों की त्वचा निखरी हुई, उज्जवल, चिकनी और चमकदार नहीं रह पाती जिससे त्वचा का वर्ण (Complexion) मलिन और रूप रंग फीका पड़ने लगता है।
बहुत संक्षेप करने पर भी विवरण लम्बा हो गया है जबकि हितकारी दिनचर्या की सिर्फ़ शुरूआत के विषय में ही चर्चा की गई है क्योंकि दिनचर्या का आरम्भ सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस मुद्दे पर कुछ गहरे, ठोस और तथ्यपूर्ण इशारे भर किये जा सके हैं पर इतना ही काफ़ी होगा बशर्ते इन इशारों पर ध्यान देकर, अपने भले बुरे का विचार करके, इन पर अमल शुरू कर दिया जाए। अमल करने पर और भी फ़ायदे होंगे और अमल न करने पर ऐसी अन्य हानियां भी होंगी जिनका उल्लेख हमने विस्तारभय से किया नहीं है। दरअसल लाभ हो या हानि, इसका दारोमदार हमारे आहार-विहार यानी आचरण पर ही रहता है। जैसा करेंगे, वैसा भरेंगे।
सुबह जल्दी उठने का सबसे आसान तरीका : Subah Jaldi Uthne ka Upay
अन्त में एक खास बात उन बहनों और भाइयों से कह देना चाहते हैं जो देर तक सोये रहने के आदी हैं। रात को सोते समय संकल्प करके सोएं कि सुबह 5 बजे उठना है। आप देखेंगे कि ठीक 5 बजे आपकी नींद खुल जाएगी। यह तो हुआ प्रकृति का करिश्मा और सहयोग कि उसने , आपकी नींद खोल दी, अब आप यह करें कि जैसे ही आंख खुले वैसे ही तुरन्त उठ कर बैठ जाएं। आप देखेंगे कि बिस्तर से उतरते ही नींद की खुमारी ग़ायब हो गई है। थोड़ी देर बाद ही आप ताज़गी का अनुभव करने लगेंगे। दरअसल सारी गड़बड़ बिस्तर में दुबके रह कर यह विचार करने से होती है कि उठ लिया जाए या एक छोटी सी झपकी और ले ली जाए। यह पशोपेश छोड़ कर उठ जाने में ही भलाई है। थोड़े दिन आपको असुविधा तो होगी पर धीरे-धीरे अभ्यास होने से आप जल्दी उठने के आदी हो जाएंगे और फिर बिस्तर में पड़े रहना आप को खुद ही नहीं सुहाएगा।