यदि ताउम्र स्वस्थ रहना है तो कुछ स्वास्थ्यवर्धक आदतों को अपनाएँ। निरोगी रहने के कुछ सरल उपाय अपनाएँ।
भोजन से पहले फल खाएँ –
सामान्यतः इंसान भोजन के बाद फल खाते हैं, जो सर्वथा गलत, अयोग्य और रोग बढ़ानेवाली आदत है। फलों को पचाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता नहीं रहती। हम जिस आहार का सेवन करते हैं उसे पचने में कम से कम ३ घंटे के अवधि की आवश्यकता होती है, यदि हम भोजन के पश्चात फलों का सेवन करते हैं तो उन्हें अन्न का पाचन होने तक पचने के लिए इंतजार करना होता है। इस पचन के पूर्व के समय (3 घंटे के इंतजार का समय) फल पेट में सड़कर गैस उत्पन्न करते हैं। साथ ही इससे जिस अन्न का पचन होनेवाला है वह भी खराब होता है। भोजन से पहले फलों का सेवन ही स्वास्थ्यपूर्ण होता है।
भोजन के समय पानी न पीना स्वास्थ्यवर्धक –
जब हम मुँह में भोजन का निवाला लेते हैं तब हमारा शरीर पेट में पाचक ऐसिड उत्पन्न करता है। यदि हम भोजन के दौरान पानी पीते हैं तो वह पाचक ऐसिड को पतला करता हैं, जिससे पाचक ऐसिड का प्रभाव कम होता है और भोजन का पाचन ठीक से नहीं होता। जब अन्न – बिना पचे आँतों में पहुँचता है तब वह हानिकारक गैस तैयार करता है, जो रोग को आमंत्रण देता है। भोजन से आधा घंटा पहले और भोजन के आधा घंटा बाद पानी पीना स्वास्थ्यवर्धक है।
क्षारीय पदार्थों का सेवन स्वास्थ्यपूर्ण होता है –
विकारमुक्त जीवन जीने के लिए हमेशा क्षारीय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। हमारे शरीर में ऐसिड के प्रमाण में वृद्धि होती है तो शरीर रोगग्रस्त होता है । क्षार के साथ शरीर के खून की लाल कोशिकाएँ शरीर के हर कोशिकाओं तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुँचाता है।
अपक्व आहार का सेवन करें –
पक्व आहार की परंपरा केवल हजार वर्ष से चली आ रही है और उसी के बाद अनेक रोगों का प्रारंभ भी हुआ। जब हम अन्न को पकाते हैं तब उसमें स्थित पौष्टिकता नष्ट होती है। फलों और सब्जियों के छिलकों को निकालकर फेंक देने से उसमें की 80% पौष्टिकता नष्ट होती है। छिलका निकालकर सब्जी पकाते हैं तो उसमें से 20% रहा हुआ पौष्टिक तत्त्व भी नष्ट हो जाता है। इसका तात्पर्य है जब पक्व आहार का सेवन करते हैं। तब हम केवल पेट भरते हैं, स्वास्थ्य नहीं।
खाना खाने के तुरंत बाद चलना टालें –
खाना खाने के बाद शरीर को पाचन के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। हम जब खाना खाने के तुरंत बाद चलते हैं या कोई शारीरिक कार्य करते हैं तब अन्न के पाचन के लिए आवश्यक ऊर्जा कम पड़ती है। और पाचन ठीक से नहीं होता।
दिन में दो बार शौचालय जाएँ –
दिन में कम से कम दो बार पेट साफ होने की आदत डालें। चौबीस घंटे में एक ही बार शौच करना यानी 24 घंटे तक अपने पेट में (आँतों) विषाक्त पदार्थ जमा करने समान होता है, जो स्वास्थ्य के लिए घातक होता है।
अपने हाथों को झुलाएँ –
हाथों की हलचल से दिमाग अधिक सजग एवं स्वस्थ बनता है। छोटे बच्चे प्रकृतिनुसार अपने हाथ एवं पैरों को झुलाते रहते हैं या रेंगते हैं । यह उनके दिमाग का विकास करने का प्रकृति का नायाब तरीका है। हम भी इस बात को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं।
गहरी साँस लें –
हम अपने फेफड़ों के क्षमता का केवल 25% श्वास लेते हैं। हमारी श्वास उथली होती है, जो अस्वास्थ्यकारी होती है। हर 15 मिनट में 5 गहरी साँसें लें। श्वास लेते समय अपने फेफड़ों को पूर्ण रूप से प्रसारित करें। इस तरह की पद्धति से शरीर में जो कार्बन डायऑक्साइड जमा होता है वह निकल जाता है और आरोग्यदाई ऑक्सीजन शरीर की हर कोशिका तक पहुँचती है।