ताली बजाने (क्‍लैपिंग थेरेपी) के हैरान कर देंने वाले लाभ

Last Updated on March 25, 2023 by admin

करतल-ध्वनि (ताली बजाना) : 

करतल-ध्वनि (ताली बजाना) अर्थात् दोनों हाथों के मिलने से होने वाली आवाज हाथों की कसरत का परिणाम नहीं है बल्कि यह हाथों के संघर्षण से उत्पन्न होने वाली ऐसी ध्वनि है जिस ध्वनि को सुनते ही रोग की शक्ति का नाश होने लगता है। शक्ति का नाश होने से रोग कमज़ोर होते-होते नष्ट हो जाता है । ताली बजाने से हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति (रोग से लड़ने और सहने की क्षमता) बढ़ने और बलवान होने लगती है। इससे हमारी सहनशीलता भी बढ़ जाती है।

ताली बजाने से ठीक हो जाएंगी यह बीमारियां : 

tali bajane ke fayde in hind

अब स्वाभाविक प्रश्न यह है कि यह करतल ध्वनि (ताली बजाने) कौन-कौन से रोग दूर कर सकती है। इसके सम्बन्ध में हमें सदैव यह स्मरण रखना चाहिए यदि हम प्रतिदिन अपने दोनों हाथों का उपयोग करते हुए 15 मिनिट तक ताली बजाएगें तो यह सम्भव ही नहीं है कि कोई भी रोग हमारे शरीर में अपना घर बसा सके। 

हमें यह भी स्मरण रखना चाहिए कि हम अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए कभी भी, किसी भी समय और किसी भी अवस्था में रहते हुए ताली बजाएँगे तो हमें लाभ तो अवश्य ही होगा परन्तु ताली बजाने से विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए हमारे लिए बेहतर यही होगा कि हम प्रातः भ्रमण के समय शुद्ध वायु के सेवन का आनन्द लेते हुए इस ताली रूपी दवा का स्वयं को स्वस्थ्य रखने के लिए प्रयोग करें। इसमें अगर हमने कुछ सावधानी रखने का प्रयास किया तो हमें इससे आशातीत लाभ मिलेगा। 

ताली बजाने की विधि, तरीका और सावधानी : 

1. ताली बजाने से पूर्व हम अपनी हथेली पर कुछ बूंदे सरसों के तेल की डालते हुए उन्हें हल्का-सा मलते हुए दोनों हाथों का मसाज कर लें तो इससे हाथ मुलायम / नर्म हो जाएँगे और इन मूलायक हाथों की त्वचा में खुश्की भी नहीं रहेगी। इससे ताली की आवाज़ पर भी प्रभाव पड़ेगा जिससे सुनने वालों के लिए भी यह ध्वनि सुखद ध्वनि होगी।

हम सरसों के स्थान पर नारियल के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। ताली बजाने वाले को लाभ मिलेगा ही चाहे वह तेल सरसों का प्रयोग में लाए या नारियल का ।

2. जिन देवियों और सज्जनों ने अपने हाथों के द्वारा इस करतल ध्वनि (ताली बजाने) का आनन्द पहले कभी न लिया हो उनके देर तक बजाना सम्भव नहीं होता। लिए शुरू-शुरू में ताली ज़्यादा इसलिए ताली बजाने का अभ्यास आधा मिन्ट से ही प्रारम्भ किया जा सकता है और फिर हाथों के इस प्रयोग में (ताली बजाने में) अभ्यस्त होते हुए समय को बढ़ाया भी जा सकता है । ताली बजाने में जितना अधिक समय लगेगा उससे लाभ भी उतना ही अधिक होगा। यदि हम केवल 15 मिन्ट ही इसके लिए निर्धारित कर दें तो यह निर्धारण हमें आश्वस्त करता है कि हमारा शरीर अब रोगों से सदा दूर ही रहेगा।

3. ताली हमें उतने ही ज़ोर से बजानी चाहिए जितने ज़ोर से हमें अपनी शक्ति के अनुसार किसी भी प्रकार के परिश्रम का आभास न हो बल्कि ताली बजाने के बाद तो हमें ऐसा महसूस होना चाहिए कि हम थके नहीं हैं बल्कि हमारी थकान ही दूर हो गई है।

4. यदि हम ताली खड़े-खड़े या चलते हुए बजाना चाहें तो अच्छा होगा कि हम अपने पैरों को भी गर्म रखें। पैरों को गर्म रखने से मतलब यह है कि पैरों में कम से कम जूते तो होने ही चाहिएँ। अगर बूट और जुराब हों तो और भी अच्छा है। इस से लाभ यह होगा कि जो शक्ति / जो ऊर्जा/जो गर्मी हमें ताली बजाने से प्राप्त होती है वह हमारे पैरों के नंगा रहने पर पैरों से ही तुरन्त निकल नहीं जाएगी जिससे हमें अर्जित शक्ति का भरपूर लाभ प्राप्त होगा अन्यथा दवा का प्रयोग तो होता रहेगा परन्तु उसका लाभ हमें दिखाई ही नहीं देगा । 

5. ताली बजाते बजाते जब शरीर गर्म हो जाता है तो पसीना भी आने लगता है। पर उस पसीने को सुखाने के लिए हमें किसी प्रकार का परिश्रम नहीं करना चाहिए। जैसे यदि हम घर पर बैठ कर ताली बजा रहें हैं तो पसीना सुखाने के लिए हमें ए.सी या कूलर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अच्छा तो यही है कि पसीना स्वयं ही सूख जाए। सबसे अच्छा तो यह होगा कि हम इस पसीने को अपने शरीर पर ही हाथों से रगड़ते हुए मल लें या मसाज के लिए खुरदरे छोटे तोलिए का प्रयोग करें। इससे हमारा पसीना भी हमारे शरीर के लिए दवा का कार्य करेगा । इसके साथ ही हमारे लिए यह उचित नहीं होगा कि हम ताली बजाने के तुरन्त बाद स्नान कर लें। उचित यही होगा यदि हम ताली बजाने के बाद कम से कम आधे घन्टे के बाद ही स्नान करें ताकि ताली बजाने से प्राप्त गर्मी हमारे शरीर में अपने आप अच्छी तरह फैलते हुए मिल जाए । यदि हम ताली बजाने का कार्य स्नान के पश्चात् करते हैं तो पसीने का अपने आप सूखना ही अच्छा है।

6. ताली बजाने के लिए हम अपने दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें कि जुड़े हुए हाथ ऊँचे-नीचे न हों, हाथों में दिखाई देने वाले जोड़ एक दूसरे से जुड़ जाएँ और हमारी अगुलियों के बीच में स्थान न रहे। अगर हम अगुलियों को नहीं मिलाएँगे, लाभ तो हमें तब भी होगा पर यह लाभ हमारी आशा और आवश्यकता के अनुसार न होकर कम होगा। क्यों जो बल सच्ची एकता में है वह एकता दिखाने में नहीं है।

7. ताली बजाने का कार्य हम एक स्थान पर बैठ कर भी कर सकते हैं। लेकिन उस अवस्था में भी हमारे लिए यही उचित होगा कि हम अपने पैरों को भी ढक लें ।

8. ढके पैरों से चलते-चलते ताली बजाने से खून की सफाई होती है तथा बलड प्रैशर भी अपने आवश्यक सामान्य – स्तर को नहीं छोड़ता तथा सैर करते हुए ताली बजाने से शूगर भी नियन्त्रित रहती है।

9. ताली बजाने से प्राप्त लाभ हमारे सारे शरीर में पहुँचता है क्योंकि इससे सभी बिन्दुओं पर ऐसा प्रभावशाली दबाव पड़ता है जो हमें नीरोग रखता है। हमारे दोनों हाथों में प्रकृति द्वारा बनाए गए अलग-अलग स्थान पर दबाव के बहुत से बिन्दू हैं जिनका हमारे शरीर के भिन्न- भिन्न और मुख्य अंगों से सीधा तथा गहरा सम्बन्ध है।

10. यह ताली रूपी दवा हमारी आँखों के सभी रोगों को आँखों से दूर रखने के साथ-साथ आँखों की रोशनी कम नहीं होने देगी। ताली बजाने वाले को नज़र का चश्मा लगाने की आवश्यकता ही नहीं रहती और लगा चश्मा भी कुछ समय के बाद उतर ही जाता है ।

11. हमारे हाथों से निकलने वाली यह ध्वनि, यह ताली की आवाज़ आँखों में मोतियाबिन्द नहीं होने देती और अगर किसी को हो भी गया हो तो उसे दूर करने में पूरा सहयोग देती है। यहाॅ तक कि प्रकृति का वरदान यह ताली काले मोतियाबिन्द को भी दूर कर देती है । परन्तु इसके हमें धैर्य का दामन पकड़ते हुए ताली बजाने में ज़्यादा से ज़्यादा समय का प्रयोग करना होगा। यदि हम एक बार ताली बजाते हुए अधिक समय नहीं लगा सकते तो कोई बात नहीं। हमें चाहिए कि हम एक बार से अधिक बार अर्थात अलग-अलग समय पर बार-बार ताली को बजाएँ और अपनी आँखों से रोग को दूर कर लें ।

12. ताली बजाने वाले को धैर्य तो रखना ही चाहिए क्योंकि यदि हम चाहें कि आज हमने ताली बजाई है और कल हमें लाभ मिल जाए, तो ऐसा सम्भव नहीं है। पर इतना अवश्य है कि ताली अपना प्रभाव तुरन्त आरम्भ कर देती है जिसके फल का रूप देखने के लिए हमें कुछ समय तक तो इन्तज़ार करना ही होगा । चश्मा उतरने में समय ज़रूर लगेगा पर आँखों पर लगे चश्मे का नम्बर बढ़ना तुरन्त बन्द हो जाएगा। जब नम्बर बढ़ना बन्द हो जाएगा तो आँखों की रोशनी स्वतः बढ़ने लगेगी।

13. शरीर / मॉसपेशिओं में दर्द रहने का रोग चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो ताली बजाने से दूर हो जाएगा ।

मुझे आशा है कि आदरणीय पाठकगण प्रभु के पावन नाम का स्मरण करते अपने हाथों में रखी इस रोग निवारक दवा ताली का प्रयोग अवश्य करेंगे।

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