कलर थेरेपी : रोग उपचार की चमत्कारी चिकित्सा पद्धति – Color Therapy in Hindi

Last Updated on March 18, 2021 by admin

सृष्टि के अनेक उपहारों में रंग एक ऐसा बेहतरीन दिल लुभावना उपहार है, जिसके रहते जीवन आकर्षक बनता है। सोचें अगर जीवन में ये विविध रंगों का मेल नहीं होता तो जीवन कितना नीरस होता । रंग जीवन में रस भरता है। एक चित्रकार से पूछे कि रंगों का महत्त्व क्या है ? एक कवि से पूछे कि क्या रंगों के बिना सृष्टि का वर्णन संभव है?

रंग केवल बाह्य सौंदर्य को ही नहीं निखारता बल्कि इसका प्रभाव मनुष्य के स्वभाव, शरीर, मन और स्वास्थ्य पर सीधा होता है। इसका हमारे जीवन से गहरा संबंध है।

रंगों द्वारा मनुष्य का उपचार भी संभव है। मनुष्य की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए चित्रकार सदियों से रंगों का उपयोग करते आ रहे हैं। साहित्यकार भी रंगों को मनुष्य की भावनाओं का प्रतीक मानते हुए अनेक मुहावरे इस्तेमाल कर चुके हैं – जैसे शर्म से चेहरा लाल होना, रंगीन मिजाज, डर से चेहरा सफेद पड़ना, तबीयत हरी होना इत्यादि ।

( और पढ़े – रंगों से करें रोगों का उपचार)

कलर थेरेपी क्या है ? (What Is Color Therapy in Hindi)

जिस तरह सूरज की तपिश और प्रकाश का प्रभाव हमारे शरीर पर होता है, उसी तरह सूर्य किरणों में जो सात रंग हैं उनका प्रभाव भी हमारे शरीर पर होता है। साथ ही रंगों में रोग निवारण करने की शक्ति भी होती है।

आज-कल विदेशों में कलर थेरॅपिस्ट उपचार के लिए रंगों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत के दिल्ली शहर में कुछ कलर थेरपिस्ट इस चिकित्सा का लाभ रुग्ण को दे रहे हैं।

बच्चों से लेकर बड़ों तक को अलग-अलग रंगों की चाहत होती है। यह चाहत एक परिवार में भी सभी को अलग-अलग होती है। यह सिर्फ एक चाहत नहीं है ऐसा क्यों ? इसके पीछे एक शास्त्र है। जिस रंग की कमी हमारे शरीर में होती है, शरीर बाहर से उस रंग की पूर्णता करता है।

क्या वास्तव में कलर थेरेपी काम करती है ? (Does Color Therapy Really Work in Hindi)

प्राचीन भारत में रंगों की चिकित्सा (कलर थेरेपी) का संपूर्ण ज्ञान था। हमारे भारतीय कैलेंडर का प्रारंभ वसंत ऋतु के आगमन पर फागुन मास में निर्धारित किया गया था। फागुन मास में होली का रंगबिरंगा महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाया जाता है, जिसमें भारतवासी प्राकृतिक रंग जैसे लाल, हरा, अबीर इत्यादि रंगों से पूर्ण शरीर सिंचित करते हैं। जिसका प्रभाव हमारे शरीर के प्रतिरोध तंत्र पर – पड़ता है और पूरे वर्ष भर मौसम परिवर्तन तथा अन्य कारणों से शरीर में रोगों के कीटाणुओं से संघर्ष करने की क्षमता उत्पन्न होती है।

हमारे शरीर में सात चक्र या अंत:स्रावी ग्रंथियों का भी रंगों से गहरा संबंध माना गया है । जीवित प्राणि, फल, फूल संपूर्ण सृष्टि रंगों से प्रभावित होती है। कलर थेरपी या रंग चिकित्सा यह एक विस्तृत विषय है परंतु इनके महत्त्वपूर्ण रंग और उनके फायदे पर गौर किया जाए तो भी हमें इसके बहुत सारे लाभ मिल सकते हैं।

सृष्टि में मनुष्य के जीवन में सबसे ज्यादा हरे रंग का संबंध होता है, जैसे ऊँचे पेड़, हरी सब्जियाँ, हरियाली इत्यादि। हम वही रंग चुनते हैं जिस रंग की आवश्यकता हमारे शरीर को महसूस होती है। हम अलग-अलग माध्यमों द्वारा उस रंग का फायदा लेते हैं, जैसे फर्निचर, दीवार का रंग, बेडशीट, हमारे कपड़े इत्यादि।

स्वास्थ्य लाभ में कलर थेरेपी के फायदे (Health Benefits of Color Therapy in Hindi)

हम विभिन्न रंगों द्वारा विविध बीमारियों का उपचार किस प्रकार कर सकते हैं, यह नीचे बताया गया है।

  • हरा रंग :- शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालना, उच्च रक्तचाप, बवासीर, त्वचा रोग, बद्धकोष्ठता इत्यादि में हरे रंग का इस्तेमाल लाभदायक होता है।
  • लाल रंग :- निम्न रक्तचाप, सुस्ती कम करना, जोड़ों और हड्डियों के विकार एवं दर्द इत्यादि।
  • नारंगी :- अपचन, निम्न रक्तचाप, दुर्बल मस्तिष्क, दमा, संधिवात इत्यादि।
  • पीला :- पेट की तकलीफ, मलावरोध, गैस, हृदय रोग, मधुमेह, त्वचारोग, श्वेतकुष्ठ इत्यादि।
  • नीला :- नीला रंग ठंढक प्रदान करता है। सिरदर्द, अर्धशिश, दमा, उच्च रक्तचाप व तनाव दूर करने में उपयोगी है।

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इन रंगों से किस तरह फायदा लिया जाता है ? :

इन रंगों का लाभ लेने के लिए पानी और तेल को विशिष्ट पद्धति से, विशिष्ट रंग से प्रभावित किया जाता है। हमारे घर की सजावट, दीवारें, लाइट्स हमारे कपड़े इत्यादि का उपयोग करके रंग चिकित्सा का लाभ लिया जा सकता है।
आहार में भी रंगों का उपयोग स्वास्थ्य के लिए कर सकते हैं।

रंगो की अन्य विशेषताएं :

  • हरा रंग : समन्वय, सहिष्णुता, दयालुता की भावना बढ़ाता है।
  • रॉयल ब्लू : एकता, निष्ठा व कर्तव्य परायणता के भाव जागृत कराता है।
  • भूरा : आत्मीयता, निष्पक्षता व मिट्टी से उठकर आसमान को छूने का सामर्थ्य पैदा करता है। शक्ति, स्फूर्ति, उत्तेजना, निश्चय, क्रोध व विचारों को पुष्ट करता है।
  • नारंगी : अहंकार, महत्त्वाकांक्षा, सृजनशीलता में वृद्धि करता है।
  • पीला : बुद्धिमत्ता व अभिव्यक्ति की स्पष्टता को बढ़ाता है।
  • गुलाबी : शक्ति, आत्मसम्मान और रसिकता की भावना को बढ़ाता है।
  • सफेद : शांति व पवित्रता का द्योतक है परंतु पाश्चात्य संस्कृति में यह उत्सव, पवित्रता तथा उल्लास का द्योतक है।
  • काला : एकाकी पन व समभाव को बढ़ाता है।
  • नीला : आपसी विश्वास व आत्मिक शांति को बढ़ाता है।

इस प्रकार आप अपने व्यक्तित्व में जिस गुण को लाना चाहें, उस रंग को अपनाएँ। फिर देखिए किस प्रकार आपके व्यक्तित्त्व में अवर्णनीय परिवर्तन आता है। रंगों को सूझबूझ के साथ अपनाएं ताकि आपका जीवन सही मायने में रंगों से भर जाए।

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