रंगों से करें रोगों का उपचार | Rango Se Rogo Ka Upchar

Last Updated on July 22, 2019 by admin

रंग चिकित्सा कैसे काम करती है? : colour therapy in hindi

रंग चिकित्सा एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति है जो कई रोगों के निवारण में सहायक
होने के साथ-साथ आपके मूड, एकाग्रता के स्तर और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में भी लाभकारी है। विभिन्न रोगों के इलाज हेतु प्राचीन काल से ही इजिप्ट, चीन और भारत में इस पद्धति का प्रयोग होता रहा है। हाल के वर्षों में हमारे यहां रंग चिकित्सा का महत्त्व काफी बढ़ा है। लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, गहरा नीला और बैंगनी, ये सातों रंग हमारे शरीर के सात चक्रों से सम्बंधित हैं तथा ये सभी रंग अपनीअपनी प्रकृति अनुसार हमारे शरीर में व्याप्त विकारों को दूर कर हमें स्वस्थ बनाते हैं। रंगों का संबंध भावना से है। बीमारी के बारे में कहा गया है कि यह मस्तिष्क में उत्पन्न होती है और शरीर में पलती है, अर्थात बीमारी मूलत: भावना प्रधान है।

रंगों का सीधा संबंध हमारे पंचकोशों एवं सप्तचक्रों के रंगों से है जो हमारे शरीर तंत्र के संचालक हैं। रंगों के प्रभावी गुणों के कारण ही ‘रंग चिकित्सा’ का प्रचलन बढ़ रहा है। इस चिकित्सा पद्धति में शारीरिक तथा मानसिक रुग्णता दूर करने के साधन रंग हैं। दृश्य प्रकाश के पूरे स्पेक्ट्रम में लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, आसमानी और बैंगनी यानी सात प्रकार के रंगों का अलग-अलग तरंग गुण होता है। हरेक रंग की अपनी अलग कंपन-आवृत्ति है और यह हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों के साथ विशेष ढंग से जुड़ा होने के कारण उन सब पर विभिन्न संयोजनों में मिलकर विशेष प्रकार से प्रभाव भी डालता है। रंगों में एक प्रकार की कंपन ऊर्जा पाई जाती है, जो स्वास्थ्य संबंधी विकारों के विभिन्न प्रकार के इलाज हेतु इस चुंबकीय क्षेत्र के साथ अंतः क्रिया करती | है। यह कंपन ऊर्जा भीतर के ऊर्जा-संचालन को बहाल करने के लिए जैव रासायनिक प्रतिक्रियाएं करती हैं।

रंग के तीन परिवारों का महत्त्व :

1. पीला, नारंगी, लाल- इन तीनों रंगों में से नारंगी रंग ही ठीक रहता है।
2. हरा रंग- यह रंग शीतोषण होने के कारण सबसे उत्तम होता है।
3. बैंगनी, गहरा नीला और आसमानी-इन तीन रंगों में गहरा नीला रंग ही ठीक रहता है।

रंगों के संयोजन का महत्त्व :

अपने विशिष्ट गुणों की वजह से प्रत्येक रंग का हमारे शरीर में अलग शारीरिक असर पड़ता है, उदाहरण के लिए हरे रंग में एक संतुलनकारी प्रभाव पाया जाता है, इसलिए जब इसे थाइमस ग्रंथि पर टारगेट किया जाता है तो यह टी-सेल उत्पादन को विनियमित करने में मदद करता है पर जब इसे ट्यूमर्स पर टारगेट करते हैं तो इसका प्रतिकूल प्रभाव लक्षित होता है।

नारंगी रंग से पेशियों में सूजन बढ़ जाती है, जबकि बैंगनी से मांसपेशियों के दर्द में आराम मिलता है। जाहिर है, रंगों के विभिन्न प्रकार के संयोजनों का भी रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिए हरे, नीले और नारंगी का संयोजन गठिया के इलाज हेतु प्रयोग किया जाता है, हरे और पीले रंग का संयोजन मधुमेह के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है, बैंगनी और नीले रंग का संयोजन माइग्रेन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है, लाल, नीला और हरा महिलाओं में बांझपन के इलाज लिए उपयोगी है तथा आसमानी और हरा कैंसर के इलाज के लिए लाभकारी है।

रंग और मनोस्थिति के बीच संबंध :

रंग वास्तव में प्रकाश ऊर्जा हैं जो हमारी रेटिना से होकर गुजरते हैं। इस प्रकार यह हमारी मनोस्थिति, विचारों और व्यवहार को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। अलगअलग रंगों की प्रकाश ऊर्जा आपके पीनियल और पिट्युटरी ग्रंथियों को उत्तेजित करते हैं, जिससे हॉर्मोन का स्राव बढ़ता है। रंग विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद और नीला रंग पैरासिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जबकि लाल रंग सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डालता है। ये शरीर के ऊर्जा केंद्रों को संतुलित कर रोगों को दूर करते हैं। ये ऊर्जा तंत्रों से समन्वय के द्वारा भावनात्मक, शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक योग्यताओं के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। रंग की ऊर्जा शरीर के किसी विशिष्ट अंग या ग्रंथि को सक्रिय बनाने के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।

रंग और उसका असर :

1. लाल रंग :

यह हिम्मत, जोश और ऊर्जा देने वाला रंग है। यह अति गर्म, कफ रोगों का नाशक, उत्तेजना देने वाला और केवल मालिश के लिए उत्तम होता है। लाल रंग से हीमोग्लोबीन बढ़ता है, जो शरीर में ऊर्जा पैदा करता है। आयरन की कमी और खून से जुड़ी दिक्कतों में इस रंग का इस्तेमाल बड़े काम का साबित होता है।

लाल रंग का संबंध –
साहस,दृढ़ता,उत्साह,चेतना,महत्त्वाकांक्षा,सतर्कता भूख बढ़ाने में उपयोगी,संकल्प शक्ति,आक्रामकता

लाल रंग के लाभ –
नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण,आत्मशक्ति का एहसास,आत्मविश्वास,स्थिरता,सुरक्षा का भाव

अधिक मात्रा में उपयोग के नुकसान-
अधैर्य,आक्रामक स्वभाव,झगड़ालू स्वभाव,चिड़चिड़ापन,क्रोध

2. नारंगी रंग :

यह रंग खुशी, आत्मविश्वास और संपूर्णता से संबंधित है। ये रंग आपको दिनभर खुशमिजाज रख सकता है। ये रंग जीवन के लिए भूख पैदा करता है। ये हमें हमारी भावनाओं से जोड़ता है और हमें स्वतंत्र व सामाजिक बनाता है। आरोग्य तथा बुद्धि का प्रतीक है। ऊष्ण, कफ रोगों का नाशक मानसिक रोगों में शक्तिवर्धक है तथा दैवी महत्त्वाकांक्षा का प्रतीक होता है।

नारंगी रंग का संबंध-
मैत्री,सामाजिक आत्मविश्वास,सफलता,आनंद

नारंगी रंग के लाभ-
आशावादी दृष्टिकोण,आनंदित रहना,अवसाद दूर करने वाला,प्रेरणादायक कार्य में रुचि रिश्तों में मधुरता बुरी आदतों से छुटकारा

अधिक मात्रा में उपयोग के नुकसान-
चिड़चिड़ापन,कुंठा,भूख बढ़ना

3. पीला रंग :
यह रंग समझदारी और स्पष्ट सोच को बढ़ाता है। इस रंग का सबसे ज्यादा असर हमारे दिमाग और बुद्धि पर पड़ता है। कहते हैं कि आंतों और पेट से जुड़ी गड़बड़ियों को दुरुस्त करने में भी ये रंग काम आता है। यश तथा बुद्धि का प्रतीक होता है। ऊष्ण,कफ, रोगों का नाशक, हृदय और पेट रोगों का नाशक होता है। संयम, आदर्श, परोपकार का प्रतीक होता है।

पीले रंग का संबंध-
आनंद,आशावाद,आत्मसम्मान,ज्ञान,प्रेरणा

पीला रंग के लाभ-
याददाश्त और एकाग्रता में वृद्धि,कार्यों के प्रति उत्साह एवं,रुचि में वृद्धि,अवसाद में कमी,सशक्तिकरण,आत्मविश्वास उत्साह, ऊर्जा और चिंता,दूर करने वाला

अधिक मात्रा में उपयोग के नुकसान-
अल्प ज्ञान,अतिक्रियाशीलता

4. हरा रंग :
यह रंग प्यार, आत्मनियंत्रण और संतुलन प्रदान करने वाला है। हरे रंग में घावों को भरने की भी शक्ति होती है। इंद्रधनुष के रंगों के बीच में हरा पड़ता है। इस रंग में आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरह के प्रभाव डालने की क्षमता होती है। ये समृद्धि और बुद्धि का प्रतीक भी है। समशीतोषण, वात रोगों का नाशक और रक्त शोधक है।ताजगी, उत्साह, स्फूर्ति और शीतलता का प्रतीक होता है।

हरे रंग का संबंध-
शांति,नवीनीकरण,प्रेम,आशा,समरसता,आत्मनियंत्रण,उन्नति

हरे रंग के लाभ-
तनाव घटाने में सहायक,संतोष,धैर्य,संतुलन,विश्राम

अधिक मात्रा में उपयोग के नुकसान-
आलस्य

5. आसमानी नीला रंग :

यह रंग शीतल, पित्त रोगों का नाशक, ज्वर नाशक तथा शान्ति प्रदान करने वाला है।
यह रंग शरीर में जलन होने पर, लू लगने पर तथा आंतरिक रक्तस्राव में आराम पहुंचाने वाला है। नींद की कमी, उच्च रक्तचाप, हिस्टीरिया, मानसिक विक्षिप्तता में बहुत लाभदायक है।

आसमानी रंग का संबंध-
व्यवहार, संप्रेषण,रचनात्मकता,व्यक्तिगत अभिव्यक्ति,उत्साह,निश्चितता,ज्ञान

आसमानी रंग के लाभ-
मानसिक शांति,शांति,अनिद्रा दूर करने में सहायक,बोलचाल में आत्मविश्वास,बच्चों में अतिक्रियाशीलता में सहायक

अधिक मात्रा में उपयोग के नुकसान-
असुरक्षा का भाव,निराशा,थकान,तनाव,शांत स्वभाव

6. नीला रंग :
यह रंग दिमागी संतुलन और समझदारी बढ़ाने वाला है। इस रंग को पवित्रता की किरण माना जाता है। यह रक्त की सफाई और दिमागी समस्याओं के निदान में बड़ा कारगर है। यह भी कहा जाता है कि इस रंग का संबंध हमारी आत्मा से होता है। आंखों और कानों से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

नीले रंग का संबंध-
स्वच्छता,शांति,काल्पनिक

नीले रंग के लाभ-
कल्पना शक्ति का विकास,प्रज्ञा और जागरुकता का,विकास,ग्रहण क्षमता,गहरी नींद

अधिक मात्रा में नुकसान-
अवसाद,अकेलेपन की प्रतीति

7. बैंगनी रंग :
यह रंग सुंदरता और रचनात्मकता को बढ़ाने वाला है। यह रंग सिर्फ आत्मिक स्तर पर काम करता है। आप अगर बैगनी रोशनी के बीच योग करें तो आपकी योग करने की शक्ति दस गुना तक बढ़ सकती है। यह रंग हमारे विचारों को शुद्ध करता है और इंसान को भीतर से मजबूत करने के साथ-साथ उसकी कलात्मक सोच को भी बढ़ावा देता है।

बैंगनी रंग का संबंध-
प्रेरणा,सृजन,सौंदर्य

बैंगनी रंग के लाभ-
उदारता,नि:स्वार्थता,कलात्मक योग्यता में वृद्धि,गहरी नींद,उत्तेजना में कमी,चिड़चिड़ाहट में कमी

अधिक मात्रा में उपयोग के नुकसान-
अवसाद,असुरक्षा का भाव

कैसे करें रंगों से उपचार ? : rango se upchar

रंग चिकित्सा के लिए आवश्यक है कि किसी भी रोग के उपचार में सहायक रंग का अपने दैनिक जीवन में अधिकाधिक प्रयोग किया जाए।
• रोग से संबंधित रंग की खाद्य सामग्री अपने आहार में शामिल करें।
• संबंधित रंग के कपड़े और गहने पहनें।
• विभिन्न प्रकार की रोशनी वाले लैम्प्स का इस्तेमाल करें।
• रंग चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले रंग-बिरंगे गिलास में पानी पीएं।
• रंग चिकित्सा में उपयोग होने वाले स्नान तेल का प्रयोग करें।
• संबंधित रंग के बिस्तर, चादर व तकियों का इस्तेमाल करें।
• घर की दीवारों व फर्नीचर को रोग संबंधित रंग का बनाएं।
• आप अपने घर का इंटीरियर डेकोरेशन करते समय भी अपने जीवन के लिए आवश्यक रंग का चयन करके कर सकते हैं।
• जितना हो सके संबंधित रंग को आंख बंद करके सोचें, उसकी कल्पना करमन ही मन उस रंग का एहसास करें। हो सके तो रंग से संबंधित स्थान, फल,कपड़ा, फूल आदि की कल्पना भी कर सकते हैं।
• आप चाहें तो अपने सन ग्लासिस यानी धूप के चश्मों तथा धूप में प्रयोग होनेवाली छतरी को भी संबंधित रंग का चुन सकते हैं।
• रंग चिकित्सा से जल्दी व प्रभावशाली तरीके से फायदा पाने का सबसे आसान उपाय है पानी को सम्बंधित रंग की बोतल या गिलास में भरकर उसे कुछ घंटों के लिए सूरज की रोशनी में रखें और फिर इसका इस्तेमाल करें। इससे उसमें सूर्य की रश्मियों का भी समावेश हो जाता है तो इस चिकित्सा का परिणाम अधिक कारगर होता है। आप इस पानी को रोज थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पी सकते हैं या इससे त्वचा की मालिश कर सकते हैं। दोनों ही तरीके काफी लाभदायक हैं।

रंग वास्तव में प्रकाश ऊर्जा हैं जो हमारी रेटिना से होकर गुजरते हैं। इस | प्रकार यह हमारी मनोस्थिति, विचारों और व्यवहार को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। रंग की ऊर्जा शरीर के किसी विशिष्ट अंग या ग्रंथि को सक्रिय बनाने के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।

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