Last Updated on August 24, 2022 by admin
थूहर क्या है ? (Milk Bush in Hindi)
छोटी पहाड़ियों तथा मैदानी भागों में थूहर (दूधी/Thuhar/Dudhi) के अपने आप उत्पन्न हुए क्षुप (झाड़ीनुमा पौधे) पाये जाते हैं। दूधी का एक प्रकार और होता है जिसे सफेद दूधी कहते हैं। रंगों की दृष्टि से छोटी दूधी भी सफेद तथा लाल दो प्रकार की होती है। दूधी की कोमल शाखाओं को तोड़ने से सफेद दूध जैसा पदार्थ निकलता है।
थूहर (दूधी) का पौधा कैसा होता है :
- बड़ी थूहर(दूधी) का क्षुप 1-2 फुट ऊंचा होता है।
- छोटी दूधी का क्षुप जमीन पर छत्ते की तरह फैला रहता है। इसकी जड़ से अनेक पतली शाखाएं निकलकर चारों तरफ फैल जाती हैं। लाल दूधी की शाखाएं लाल रंग की तथा सफेद दूधी की शाखाएं सफेद रंग की होती हैं। इसके फूल हरे या गुलाबी गुच्छों में लगते हैं तथा फल और बीज दोनों ही बहुत छोटे होते हैं।
थूहर (दूधी) के औषधीय गुण :
दूधी तीखी, मलरोधक, गर्म, भारी, रूक्ष, वातकारक, स्वादिष्ट, वीर्य-वर्द्धक, मल व कीड़ों को खत्म करने वाली है।
थूहर (दूधी) के चमत्कारिक फायदे और उपयोग : Thuhar Ke Fayde in Hindi
1. पेट के कीड़ों के लिए : छोटी दूधी का चूर्ण खाने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।
2. वीर्य रोग में : छोटी दूधी के चूर्ण में मिश्री मिलाकर दूध के साथ खाने से वीर्य का रोग दूर हो जाता है।
3. खाज-खुजली : छोटी दुद्धी के रस को खाज और खुजली मे लगाने से आराम आता है।
4. गंजापन : दूधी के पंचांग के रस तथा कनेर के पत्तों के रस को मिलाकर सिर के गंजे स्थान पर लगाने से बाल सफेद होना बंद हो जाते हैं तथा गंजापन दूर हो जाता है।
5. हकलापन : 2 ग्राम थूहर(दूधी) की जड़ को पान में रखकर चूसने से हकलेपन के रोग में लाभ मिलता है।
6. स्तनों में दूध की वृद्धि :
- जब किसी औरत के स्तनों में दूध आना बंद हो जाए तो इसका दूध आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में 10-20 दिन सुबह-शाम पिलाने से स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- दूधी के पंचांग (फल, फूल, जड़, तना और पत्ते) का रस निकालकर 10 से 20 बूंदों को लेकर या पंचांग के बारीक चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में पीने से स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि होती हैं।
7. दमा : 5 से 10 ग्राम दूधी के पंचांग के काढ़े या रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से दमा का रोग ठीक हो जाता है।
8. बच्चों के दस्त : 2 ग्राम दूधी के पत्तों का चूर्ण या बीजों की फंकी देने से बच्चों के अतिसार (दस्त) में लाभ होता है तथा पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
9. अतिसार : 10 ग्राम दूधी को पानी के साथ पीसकर सुबह-शाम पीने से अतिसार (दस्त) बंद हो जाते हैं। कुछ दिनों तक सेवन करने से आंतों को बल मिलता है।
10. जलोदर : जलोदर (पेट में पानी भरना) के रोगी को पानी की जगह दूधी के पंचांग का रस पिलाने से बहुत लाभ मिलता है।
11. श्वेतप्रदर : 2 ग्राम दूधी की जड़ को पीसकर और छानकर दिन में 3 बार स्त्री को पिलाने से श्वेतप्रदर और रक्तप्रदर नष्ट होता है।
12. मधुमेह : गुड़मार बूटी, छोटी दूधी, पारासी कयवानी, जामुन की गुठली ये चारों बूटी को समान मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर झाड़ी के बेर के बराबर की गोलियां बना लेते हैं। यह 2-2 गोली सुबह-शाम ताजे पानी से सेवन करना चाहिए। इसके सेवन के दौरान मीठी, तली, भूनी तथा अम्ल (खट्टी वस्तुओं) का परहेज करना चाहिए।
13. प्रवाहिका (पेचिश) : रक्तमिश्रित प्रवाहिका तथा उदरशूल (पेट में दर्द) में दूधी के 5-10 ग्राम पंचांग का रस, 1 चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रवाहिका रोग में लाभ मिलता है।
14. पौरुषशक्तिवर्द्धक : दूधी को पीसकर और छानकर दूधी के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच शक्कर के साथ खाने से कामशक्ति बढ़ती है। छोटी दूधी रोजाना उखाड़कर साफ करके 15 ग्राम की मात्रा में लेकर 6 बादाम गिरी डालकर अच्छी तरह से पानी के साथ पीसकर 1 गिलास में मिश्री मिलाकर दोपहर के समय सेवन करने से गर्मी और शुक्रप्रमेह आदि दूर होकर वीर्यकोष को शक्ति प्राप्त होती है।
15. खुजली : 20 ग्राम ताजी दूधी या सूखी हुई दूधी लेकर बारीक पीसकर इसमें 10 ग्राम चाय का मक्खन घोल ले। इसका लेप जहां पर शरीर में खुजली हो वहां पर करें और 4 घंटे बाद साबुन से धो डालें। इसके कुछ दिनों के सेवन से ही सभी प्रकार की खुजली दूर हो जाती है।
16. विस्फोटक (चेचक) : विस्फोटक (चेचक) में एरण्ड बीज की मींगी तथा दूधी के रस को बारीक पीसकर लगाने से आराम आता है।
17. सर्पविष : दूधी (Thuhar/Dudhi) की 15 ग्राम पत्तियों को पीसकर उसमें 5-7 कालीमिर्च मिलाकर सांप के काटे हुए व्यक्ति को खिलाने से सांप का जहर उतर जाता है।
18. रतौंधी : छोटी दूधी में सलाई को भिगोकर रतौंधी (रात में न दिखाई देना) के रोगी के आंखों में सलाई को अच्छी प्रकार से फिरा देते हैं। कुछ देर बाद आंखों में बहुत तेज दर्द होगा जो 4 से घंटे के बाद समाप्त हो जाएगा। ऐसा करने से एक बार में ही रतौंधी का रोग जड़ से चला जाएगा।
19. नकसीर (नाक से खून आना) : छाया में सुखाई हुई दूधी में बराबर मात्रा में सेंगरी मिश्री मिलाकर खूब बारीक चूर्ण कर लेते हैं। इसे रोजाना सुबह और शाम 1 चम्मच दूध के साथ लेने से नकसीर तथा गर्मी दूर हो जाती है।
20. कील-मुंहासे : चेहरे के कील-मुंहासे और दाद पर दूधी (Thuhar/Dudhi)का दूध लगाने से लाभ होता है।
21. कांटा : शरीर में अगर कांटा चुभ जाए तो वहां पर दूधी को पीसकर लेप करने से कांटा निकल जाता है।
22. श्वास या दमे का रोग : रविवार के दिन सुबह छोटी दूधी लाकर, उसमें से 6 ग्राम और 3 ग्राम सफेद जीरा लेते हैं। दोनों को बारीक पीसकर पानी में घोलकर पी लेते हैं। इस दिन केवल दही में इच्छानुसार चिवड़ा भिगोंकर इच्छानुसार खाना चाहिए। अगले दिन सोमवार को दवा का सेवन न करें। मंगलवार को फिर उसी दवा का सेवन करें तथा दिन भर भोजन में दही चिवड़ा ही खाएं। इसके बाद अगले दिन यानी बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को दवा का सेवन न करें। फिर रविवार को दवा का सेवन करें तथा दिन भर भोजन में दही चिवड़ा ही खाएं इस प्रकार दवा का कोर्स पूरा करने पर पुराने से पुराना दमा नष्ट हो जाता है। विशेष सावधानी : रोगी को किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
23. स्तनों के आकार में वृद्धि :
- 10 से 20 बूंदें दूधी के रस का सेवन रोजाना करने से स्त्री के छोटे स्तनों का आकार बढ़ने लगता है।
- दूधी को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम की मात्रा में खाने से स्त्री के स्तनों के आकार में वृद्धि होती है।
24. आमातिसार : 10 से 20 दूधी के पंचांग का रस बताशे या चीनी में मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से आमातिसार (ऑवयुक्त दस्त) का रोग ठीक हो जाता है।
25. नष्टार्तव (बंद हुआ मासिक-धर्म) : छोटी दूधी की जड़ को गर्भाशय के मुंह पर रखने या इसकी जड़ का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सेवन करने से स्त्री का बंद हुआ मासिक-धर्म जारी हो जाता है। माहवारी जारी होने के बाद इसका सेवन बंद कर देना चाहिए।
26. पित्त बढ़ने पर : पित्त के बढ़ने पर उसे निकालने के लिए छोटी दूधी का रस 10 से 20 बूंद सुबह-शाम दूध में मिलाकर खाने से पित्त दस्त के साथ बाहर निकल जाता है।
थूहर (दूधी) के नुकसान : Thuhar (Dudhi) ke Nuksan
दूधी का अधिक मात्रा में उपयोग हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)