Last Updated on January 30, 2020 by admin
उन्माद गजकेशरी रस क्या है ? : What is Unmad Gajkesari Ras in Hindi
उन्माद गजकेशरी रस टैबलेट के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका उपयोग मस्तिष्क विकारों , अनिद्रा , उन्माद ,मिर्गी ,और ध्यान की कमी जैसे रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
उन्माद गजकेशरी रस (Unmad Gajkesari Ras) बुद्धि और चित्त को प्रसन्न बना शरीरगत धातुओं की विकृति को दूर करता है।
उन्माद गजकेशरी रस के घटक द्रव्य : Unmad Gajkesari Ras Ingredients in Hindi
- शुद्ध पारद – 10 ग्राम,
- शुद्ध गंधक – 10 ग्राम,
- शुद्ध मनशिल – 10 ग्राम,
- शुद्ध धतूरे के बीज – 10 ग्राम,
भावना के लिये –
- वच – 10 ग्राम,
- ब्राह्मी स्वरस – 20 मिलि,
प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- कज्जली : जन्तुघ्न, योगवाही, रसायन।
- मन शिल : श्वासघ्न, कासघ्न, आमपाचक, लेखन।
- कणक बीज (धतूरा बीज) : विकाशी, कफन, वेदनाशामक, मादक, आमपाचक।
- वच : कृमिघ्न, शोथघ्न, शूलन, आमपाचक।
उन्माद गजकेशरी रस बनाने की विधि :
कणक बीज का श्लक्षण चूर्ण कर उसमें कज्जली और मनशिल का चंद्रिका रहित चूर्ण मिलाकर वच के क्वाथ एवं ब्राह्मी स्वरस से सात-सात बार मर्दन कर के 200 मि.ग्रा. की वटिकायें बनवा कर छाया शुष्क करके सुरक्षित कर लें।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
उन्माद गजकेशरी रस की खुराक : Dosage of Unmad Gajkesari Ras
एक से दो गोली भोजनोपरान्त प्रात: सायं आवश्यक होने पर तीन बार भी दे सकते हैं।
अनुपान (जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाए ) :
मधु(शहद), दूध ,मधुसर्पि
उन्माद गजकेशरी रस के उपयोग और फायदे : Uses & Benefits of Unmad Gajkesari Ras in Hindi
उन्माद (पागलपन ,सनक) में उन्माद गजकेशरी रस से फायदा
उन्माद गजकेशरी नाम से ही इस रस के प्रभाव का अनुमान किया जा सकता है, परन्तु इसका विशेष प्रयोग वात एवं कफज उन्मादों में होता है। एकान्त प्रियता, निद्राधिक्य, भोजन में अरुचि, कम बोलना इत्यादि लक्षण होने पर इसकी चार पाँच मात्राएँ देने से लाभ परिलक्षित होने लगता है। इसकी एक-दो वटिकायें मधुसर्पि के साथ दिन में दो बार दें, धीरे-धीरे मात्राएँ दिन में तीन कर दें, समुचित लाभ होने पर धीरे-धीरे मात्रा घटा दें। दो सप्ताह सेवन के उपरान्त एक सप्ताह का विराम देकर पुनः प्रयोग करवायें ।
सहायक औषधियों में वृहद्वातचिन्तामणिरस, चिन्तामणि चतुर्मुख रस, तथा रक्तचाप की स्थिति के अनुसार उसको स्थिर रखने की औषधियों का प्रयोग करें।
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मिर्गी रोग में उन्माद गजकेशरी रस के सेवन से लाभ
उन्माद गजकेशरी रस का प्रयोग अपस्मार(मिर्गी रोग) में भी सफलता पूर्वक होता है। अपने मादक प्रभाव के कारण यह वेगों की उत्पत्ती को रोकता है, वात कफ नाशक होने के कारण यह अपस्मार के मूल कारणों को दूर करता है। अत: अपस्मार में उन्मादगजकेशरी रस का प्रयोग अवश्य करवाना चाहिये विशेषतयः जहाँ लक्षण वात कफ की विकृति की ओर इंगित करते हों। उन्मादगज केशरी रस की एक वटिका प्रातः सायं मधु में मिलाकर चटाएँ।
सहायक औषधियों में ब्राह्मीवटी, स्मृति सागर रस, आरोग्यवर्धिनी वटी, योगेन्द्र रस इत्यादि में से किसी एक या दो का प्रयोग भी करवायें।
चिकित्सावधि मास से एक वर्ष पर्यन्त।
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तीव्र प्रतिश्याय (जुकाम) में उन्माद गजकेशरी रस का उपयोग फायदेमंद
कई रोगियों को प्रतिश्याय (जुकाम) में प्रभूत नासास्राव और अश्रुस्राव होता है। यह स्राव इतना अधिक होता है कि इसे पोंछ पोंछ कर त्वचा छिल जाती है। ज्वर, कास, सर्वाङ्ग वेदना, शिरो गौरव एवं शिर शूल इत्यादि लक्षण भी होते हैं, ऐसे रोगियों को उन्माद गजकेशरी की एक वटिका उष्णोदक से देने से तत्काल शान्ति मिलती है। स्राव कम हो जाते हैं, ज्वर उतर जाता है वेदनाएँ शान्त हो जाती है।
सामान्य रोगियों में एक गोली प्रातः सायं पर्याप्त होती है । अति तीव्रता में दिन में तीन टिकाएँ दे सकते हैं। रोग की तीव्रता कम होने पर औषधि की मात्रा भी घटा दें।
सहायक औषधियों की आवश्यकता होने पर कल्पतरु रस, त्रिभुवन कीर्ती रस, संजीवनी वटी, एवं आनन्द भैरव रस में से किसी एक की योजना की जा सकती है।
श्वास रोग में लाभकारी है उन्माद गजकेशरी रस का सेवन
तमक श्वास के वेग काल में उन्माद गजकेशरीरस एक गोली मधु अदरक स्वरस में मिलाकर चटाने से तत्काल वेग का शमन होता है। इसके अनुपान में उण जल गर्म-गर्म चाय की तरह पिलाना चाहिये।
सहायक औषधियों में श्वास कास चिन्तामणि रस का प्रयोग भी अवश्य करवायें । वक्ष (छाती) पर चन्दन-वला-लाक्षादि तैल अथवा माषतैल का अभ्यंग करवाकर स्वेदन करवायें। विराम काल में अग्नि कुमार रस, ब्योषाध वटी, भांर्गी (भांरगी) ,गुड़, कण्टकार्यावलेह इत्यादि का प्रयोग करवाने से रोग मुक्ति की आशा की जा सकती है।
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स्थौल्य (बुद्धि की मंदता) में फायदेमंद उन्माद गजकेशरी रस का उपयोग
उन्माद गज केशरीरस का प्रभाव स्थौल्य (बुद्धि की मंदता) में देखा गया है। एक वटिका प्रातः सायं भोजन के बाद गोमूत्र 50 मि.लि. और जल 50 मि.लि. के साथ दें। निदान परिवर्जन अनिवार्य है।
सहायक औषधियों में आरोग्य वर्धिनी वटी, पुनर्नवादिमण्डूर ,व्योषाद्य वटी, नवक गुग्गुलु में से किसी एक या दो औषधियों का प्रयोग भी करवाएँ।
कटिग्रह (पीठ दर्द या कमर दर्द) से आराम दिलाए उन्माद गजकेशरी रस का सेवन
कटि ग्रह (कमर दर्द) एक व्यापक रोग है, पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है। परन्तु महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा इससे अधिक प्रभावित होती है। विशेष रूप से 15-18 वर्ष की नवयुवतियों में जब कटिग्रह, श्वेत प्रदर, लाला स्रावाधिक्य अथवा मूत्राधिक्य हो तो उन्माद गज केशरी रस की एक वटिका प्रातः सायं भोजन के बाद उष्णोदक के साथ देने से प्रथम दिवस से लाभ प्रारम्भ हो जाता है। एक सप्ताह की चिकित्सा पर्याप्त होती है।
सहायक औषधि के रूप में चन्द्र प्रभावटी एक वटिका प्रातः एक सायं दी जा सकती है।
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वात वृद्धि जन्य त्वचा रोग में लाभकारी है उन्माद गजकेशरी रस का प्रयोग
वात की वृद्धि से त्वचा में रूक्षता, स्थिति स्थापक हीनता, श्याम वर्णत्व में उन्माद गजकेशरी रस के सेवन से लाभ होता है।
प्रयोगावधि – चालीस दिन ,अनुपान – घृत, या दूध।
उन्माद गजकेशरी रस के दुष्प्रभाव और सावधानी : Unmad Gajkesari Ras Side Effects in Hindi
- इस आयुर्वेदिक औषधि को स्वय से लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
- उन्माद गजकेशरी रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें
- उन्माद गजकेशरी रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- बच्चों की पहुच से दूर रखें ।
- गर्भवती महिलाओं , स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को इस आयुर्वेदिक दवा से बचना चाहिए ।
- उन्मादगज केशरी एक उग्र औषधि है, इसका व्यवाहर चिकित्सक की देख रेख में ही होना चाहिये, इसके घटकों में कणक वीज स्वयं मादक है। इनका प्रयोग ‘विपस्य विषमौषधं’ के आधार पर होता है। अतः इसकी प्रारम्भिक मात्रा छोटी रखनी चाहिये, धीरे धीरे जितनी रोगी सहन कर सके मात्रा बढ़ानी चाहिये परन्तु उत्तम मात्रा का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिये ।
- कज्जली और मनशिल खनिज धातु है। अतः रसौषधि सेवन के पूर्वोपाय इसमें भी लेने चाहिये।
उन्माद गजकेशरी रस का मूल्य : Unmad Gajkesari Ras Price
- Baidyanath Unmad Gaj Kesari Ras – (5g) – Rs 80
- Virgo nmad Gaj Kesari Ras – Rs 120
- GURU PRASADAM Unmad Gajkesari Ras – 60 Tablet – Rs 70
कहां से खरीदें :
पानी में शहद और नमक मिलाकर जो पेय दिया जाता है वह मधुसर्पि या मधुपर्क के नाम से जाना जाता है ।
मधुपर्क की एक नई विधि को कौशिक सूत्र में बताया गया है। जिसमे –
घी + शुद्ध शहद + दही, समांशः अर्थात् समान भाग लेकर मिश्रित कर तैयार किया जाता है।
मधुसर्पि क्या होता है
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