Last Updated on June 17, 2024 by admin
वायविडंग का विभिन्न भाषाओं में नाम (Name of Vaividang in Different Languages)
Embelia ribes in –
- हिन्दी – वायविडंग, भाभिरग, राहिणी, बाबिरंग
- संस्कृत – विडंग, कृमिघ्न, चित्रतंडुल
- मराठी – वायविडंग, कारकुनी
- बंगाली – बिडंग
- लैटिन – एम्बेलिया रिब्स (Embelia ribes)
वायविडंग के औषधीय गुण और प्रभाव (Vaividang ke Gun in Hindi)
- वायविडंग आकार में छोटी होती है,
- स्वाद में यह रूखी, तीखी, कडुवी है,
- तासीर में यह गर्म है,
- वायविडंग कफनाशक है,
- यह एक पाचक व दस्तावर औषधी है,
- वायविडंग रक्तशोधक है,
- यह आंतों के कीड़ों को नष्ट करने वाली है,
- वायविडं मूत्रल (मूत्रवर्द्धक) होती है।
- इसके अतिरिक्त यह अपच, अरुचि, भ्रम, दर्द, पेट के रोग, प्लीहा, अजीर्ण, खांसी, श्वास, हृदय रोग, आंव, मलस्तम्भक, मोटापा, प्रमेह तथा विषविकार आदि रोगों को नष्ट करता है।
वायविडंग के फायदे और उपयोग (Vaividang ke Fayde aur Upyog in Hindi)
1. दांत के दर्द में : वायविडंग के फल के चूर्ण में थोड़ी सी हींग मिलाकर दांत के नीचे रखने से दांत का दर्द दूर हो जाता है।
2. पेट और आंत के कीड़ों में : 2 ग्राम वायविडंग के फल के बारीक पाउडर को गुड़ के साथ मिलाकर रोज सोते समय रोगी को खिलाने से पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे। इसका 1 चम्मच चूर्ण दही के साथ खिलाकर 3-4 घंटे बाद 4 चम्मच एरण्ड के तेल के साथ एक कप दूध में मिलाकर खाना चाहिए। इससे कीड़े मरकर बाहर आ जायेंगे।
3. गर्भनिरोध : वायविडंग के फल का पाउडर और पिप्पली का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर मासिक-धर्म शुरू होने के 5 वें दिन से 20 वें दिन तक 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से स्त्री को गर्भ नहीं ठहरता है।
4. पेट दर्द या उल्टी पर : आधा चम्मच वायविडंग के फल का पाउडर छाछ के साथ सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पेट का दर्द या उल्टी आना बंद हो जाती है।
5. बच्चों के रोगों में : छोटे बच्चों के सारे रोगों में 5-6 वायविडंग के दानों को पीसकर शहद के साथ रोजाना खिलाने से लाभ होता है।
6. त्वचा रोगों में : वायविडंग के फल का चूर्ण पानी में पीसकर लगाने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है।
7. वातरोग : आधा चम्मच वायविडंग के फल का चूर्ण और एक चम्मच लहसुन का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम रोजाना खाने से सिर और नाड़ी की कमजोरी के वात के रोग में लाभ होता है।
8. जुकाम : वायविडंग के फल का बारीक चूर्ण बार-बार सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।
9. दांतों का दर्द :
- 10 ग्राम बायविडंग, 10 ग्राम खुरासानी अजवायन और 10 ग्राम अकरकरा को पीसकर व कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण से रोजाना मंजन करने से दांतों और मसूढ़ों का दर्द दूर हो जाता है
- वायविडंग का चूर्ण बनाकर उसमें थोडी-सी हींग मिलाकर दांतों की खोखल में भरें। इससे मसूढ़ों से पीव का निकलना बंद हो जाता है तथा दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
- वायविडंग और हींग को दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे दांतों में लगे कीड़े नष्ट हो जाते हैं तथा दांतों की खोखले से होने वाला दर्द खत्म हो जाता है।
10. दांत घिसना या किटकिटाना : दांतों को किटकिटाने वाले रोगी को लगातार 3 दिन तक सुबह-शाम 6 ग्राम बायविडंग के चूर्ण को 100 ग्राम दही में मिलाकर खिलाना चाहिए। इससे दांतों का किटकिटाना बंद हो जाता है।
11. गुदा रोग : 5 ग्राम वायविडंग को पीसकर शहद के साथ मिलाकर रोजाना सुबह-शाम बच्चे को खिलाने से गुदा रोग ठीक हो जाता है।
12. जीभ की जलन और सूजन : छोटी पीपल, रसौत और वायविडंग का काढ़ा बनाकर जीभ को धोने से तथा इसका चूर्ण बनाकर जीभ पर लगाने व लार बाहर निकालने से जीभ के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
13. कष्टार्तव (मासिक धर्म का कष्ट के साथ आना) :
- बायविडंग, सोंठ, गुड़ को मिलाकर पानी के साथ माहवारी (मासिक-धर्म) शुरू होने के दिन से सुबह के समय नियमित रूप से देने से मासिक-धर्म का दर्द दूर हो जाता है।
- 6-6 ग्राम वायविडंग, हाऊबेर, कलमीशोरा, जौखार को पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम खाने के बाद से माहवारी शुरू होने के तीन दिन पहले से खत्म होने तक देना चाहिए।
14. पथरी : 5-5 ग्राम वायविडंग, सेंधानमक, मिश्री, साठी का रस, जवाखार, पेठे का रस, तिल का खार, पैठ का बीज तथा गोखरू लेकर काढ़ा बना लें। इसका काढ़ा रोजाना सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार की पथरी ठीक हो जाती है।
15. योनिकंद (योनि की गांठ) : 10 ग्राम वायविंडग, 10 ग्राम गेरू, 10 ग्राम पीली दूब और 10 ग्राम कायफल को लगभग 500 मिलीलीटर पानी में डालकर रात को भिगोकर सुबह उबालें, जब पानी चौथाई रह जाये तब इसी पानी को ठंडा करके योनि को धो लें, इसी काढ़े में चने की दाल और आधी (चने से) शोरा मिलाकर योनि पर रूई का फोहा मिलाकर एक दिन में सुबह, दोपहर और शाम पर लगाने से योनि की गांठ ठीक हो जाती है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)