Last Updated on November 22, 2019 by admin
वसंत कुसुमाकर रस क्या है ? Vasant Kusumakar Ras in Hindi
वसंत कुसुमाकर रस टेबलेट के रूप में एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग मधुमेह , मूत्र संबंधित रोग ,स्मृति हानि,शीघ्र पतन आदि के उपचार में किया जाता है।
इसके अलावा यह त्वचा की रंगत, मजबूती और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है।
वसंत कुसुमाकर रस के घटक द्रव्य : Vasant Kusumakar Ras Ingredients in Hindi
✦ प्रवाल पिष्टी – 40 ग्राम
✦ रस सिन्दूर – 40 ग्राम
✦ मुक्तापिष्टी – 40 ग्राम
✦ अभ्रक भस्म – 40 ग्राम
✦ रौप्य (चांदी) भस्म – 20 ग्राम
✦ सुवर्ण भस्म – 20 ग्राम
✦ लोह भस्म – 30 ग्राम
✦ नाग भस्म – 30 ग्राम
✦ बंग भस्म – 30 ग्राम
✦ अम्बर – 20 ग्राम
अन्य पदार्थ निर्माण -विधि के अनुसार आवश्यक मात्रा में।
वसंत कुसुमाकर रस बनाने की विधि :
सभी भस्मों को अच्छी तरह मिला कर एक जान कर लें फिर अडूसे के रस की भावना दें। इसके बाद हल्दी के काढ़े की भावना दें। इसी तरह गन्ने के रस की, कमल के फूलों के रस की, मालती पुष्प के रस की, शतावरी रस की, केले के खम्भे के रस की, और अन्त में चन्दन के क्वाथ की भावना अलग-अलग दें। प्रत्येक भावना में 3 से 6 घण्टे तक घुटाई की जानी चाहिए।
अन्त की भावना के समय 20 ग्राम अच्छी कस्तूरी मिला कर 3 घण्टे तक घुटाई करें और 1-1 रत्ती (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम) की गोलियां बना कर छाया में सुखा लें। इस योग में गोलियां बनाने से पहले 20 ग्राम अम्बर और डाल कर घुटाई की जाए तो यह योग और भी विशेष गुणकारी हो जाता है।
वसंत कुसुमाकर रस की सेवन विधि : Vasant Kusumakar Ras Dosage in Hindi
एक-एक गोली सुबह शाम दूध मलाई या मख्खन-मिश्री के साथ सेवन करना सामान्य विधि है। अलग-अलग व्याधियों में अलग-अलग अनुपान के साथ इसका सेवन किया जाता है।
वसंत कुसुमाकर रस के उपयोग : Vasant Kusumakar Ras Uses in Hindi
☛ इस रस का उपयोग सम्पूर्ण शरीर को बल, स्फूर्ति और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए उत्तम है।
☛ वसंत कुसुमाकर रस (Vasant Kusumakar Ras) विशेष प्रभाव, मस्तिष्क, हृदय, फुफुस, पाचक संस्थान, जननेन्द्रिय, अण्ड कोष एवं धातुओं पर पड़ता है यानी शरीर के सभी प्रमुख अंग-प्रत्यंग इससे प्रभावित होकर पुष्ट और शक्तिशाली होते हैं।
☛ यह यौन-दौर्बल्य, नपुंसकता, शीघ्र पतन आदि पुरुष- यौन व्याधियों को दूर करता है ।
☛ वसंत कुसुमाकर रस नये या पुराने श्वेत प्रदर, गर्भाशय की शिथिलता, वात-वाहिनियों की शिथिलता एवं अति सहवास के कारण उत्पन्न हुई शारीरिक शिथिलता आदि नारी रोगों को दूर करने वाला उत्तम पौष्टिक योग है।
☛ वृद्ध स्त्री पुरुषों के लिए भी श्वास, कास, दौर्बल्य और जीर्ण विकारों को दूर करने के लिए इस योग का उपयोग बहुत गुणकारी रहता है। इस योग के कुछ प्रमुख प्रयोग प्रस्तुत हैं।
रोग उपचार में वसंत कुसुमाकर रस के फायदे : Vasant Kusumakar Ras Benefits in Hindi
पौरुष शक्ति की कमी मिटाने में वसंत कुसुमाकर रस के लाभ –
किशोर अवस्था में अप्राकृतिक ढंग से वीर्यनाश करने, सदैव कामुक चिन्तन करने, उत्तेजक वातावरण में रहने, अश्लील साहित्य पढ़ने और अति भोग विलास के कारण पुरुष में वीर्यशक्ति की कमी, नपुंसकता, शीघ्र पतन, कामुक दृश्य देखते ही वीर्यपात हो जाना, यौनांग में शिथिलता आदि शिकायतें पैदा हो जाती हैं और शुक्र निर्बल, पतला और उष्ण हो जाता है। इन सब व्याधियों को दूर करने के लिए 40 दिन तक प्रातः काल या रात को सोने से पहले एक गोली मीठे दूध के साथ सेवन करना निष्फल नहीं जाता। जो आर्थिक रूप से सक्षम हों और प्रतिदिन 2 गोली का खर्च उठा सकते हों वे 1-1 गोली सुबह शाम दूध के साथ लें।
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श्वेतप्रदर व रक्त प्रदर में वसंत कुसुमाकर रस का उपयोग लाभदायक –
श्वेतप्रदर या रक्त प्रदर काफ़ी समय से हो और ठीक न हो रहा हो तो प्रवाल पिष्टी पांच ग्राम और वसन्त कुमार रस दो ग्राममिला कर 24 पुड़िया बना लें। एक-एक पुड़िया सुबह-शाम दूध के साथ लें। इसके सेवन से गर्भाशय को बल मिलता है और किसी भी प्रकार का रक्तस्राव होना बन्द होता है। जननेन्द्रिय के विकार, मानसिक निर्बलता और शारीरिक दौर्बल्य दूर कर यह स्त्री-शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाता है।
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शारीरिक कमज़ोरी दूर करे वसंत कुसुमाकर रस का प्रयोग –
वृद्धावस्था में स्त्री-पुरुषों को शारीरिक कमज़ोरी का सामना करना ही पड़ता है। याददाश्त कम हो जाना, स्नायविक दौर्बल्य, नेत्र ज्योति में कमी, श्वास कष्ट व खांसी चलना आदि व्याधियां वृद्धावस्था में काल के प्रभाव से सबको होती हैं। ऐसी व्याधियों को दूर रखने के लिए वसन्त कुसुमाकर रस की आधी-आधी गोली सुबह-शाम दूध के साथ 4-5 सप्ताह तक नियमित रूप से लेना ही चाहिए।
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रक्त स्राव मिटाए वसंत कुसुमाकर रस का उपयोग –
रक्तपित्त रोग के कारण नाक, मुंह, गुदा या मूत्रमार्ग से रक्त स्राव होने की पुरानी शिकायत हो, पित्त अधिक विदग्ध होने की स्थिति में धूप या गर्मी के कारण नकसीर फूटना आदि के पुराने रोगी को इस योग का सेवन कराने से लाभ होता है। ऐसे रोगी को आधी-आधी गोली सुबह शाम मिश्री व शहद के साथ सेवन करना चाहिए।
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मानसिक दुर्बलता में वसंत कुसुमाकर रस का उपयोग फायदेमंद –
दिमागी श्रम अधिक और लगातार करते रहने से मानसिक थकावट और कमज़ोरी होती है। अन्य किसी भी कारण से हुई मानसिक दुर्बलता को नष्ट कर अच्छी स्मरणशक्ति, दिमागी ताक़त और श्रम करने की क्षमता बढ़ाने में यह योग अत्यन्त गुणकारी है। त्रिजात (दालचीनी, तेजपात और इलायची) आधा चम्मच मात्रा में ले कर एक कप पानी में उबाल कर काढ़ा करें। इस काढ़े से रस की एक गोली सुबह सेवन करें।
डायबिटीज में वसंत कुसुमाकर रस के सेवन से लाभ –
मधुमेह रोग (डायबिटीज) में इस रस का सेवन बहुत हितकारी है। जीर्ण मधुमेह से उत्पन्न दौर्बल्य, इन्द्रियों की क्षमता घटना, तेज़ आवाज़ और रोशनी सहन न होना, इन्द्रिय की शिथिलता, विचार शक्ति की कमी, चिड़चिड़ापन, बात-बात में भड़क जाना, हृद्दौर्बल्य, श्वास-कास, मूर्छा, सन्यास, प्रमेहपिटिका आदि उपद्रव दूर करने के लिए यह रस अमृत तुल्य है। इसके सेवन से रक्त में बढ़ी हुई शर्करा कम होती है और मूत्र में शर्करा आना बन्द होता है। मधुमेह के रोगी को इस रस का सेवन एक चम्मच मधुमेहदमन चूर्ण के साथ करना चाहिए।
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यह रस महंगा ज़रूर है पर इतना लाभकारी भी है कि इसका मूल्य अखरता नहीं।
यह सादा और विशेष दो प्रकार का, इसी नाम से. बाज़ार में मिलता है।
वसंत कुसुमाकर रस के नुकसान : Vasant Kusumakar Ras Side Effects in Hindi
1- वसंत कुसुमाकर रस (Vasant Kusumakar Ras) लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- वसंत कुसुमाकर रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
3- गर्भवती महिलाओं , स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को इस आयुर्वेदिक दवा से बचना चाहिए ।