मेथी भाजी के चमत्कारी फायदे व औषधीय गुण : Methi Bhaji Ke Gun, Upyog aur Fayde in Hindi

Last Updated on January 9, 2024 by admin

स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान है “मेथी भाजी” : Methi Bhaji in Hindi

मेथी सर्दियों के मौसम की बड़ी लोकप्रिय तथा महत्त्वपूर्ण शाक-भाजी है। सामान्यतः 30 से 45 सेंमी. ऊँचा, कोमल, हरा, सुगंधित क्षुप है। पत्ते त्रिपर्णिक होते हैं, बीच से आधा बाँटनेवाली रचना जैसी, पत्ते लगभग गोलाई में वृंत की ओर शंक्वाकार, एकदम हरे, स्वाद में कुछ कड़वे से। इसकी एक किस्म कसूरी मेथी होती है। इसके पौधे छोटे और कहीं ज्यादा सुगंधित होते हैं। इस पर पीले रंग के फूल लगते हैं। शाक बनाने में यह बहुत पसंद की जाती है।

दूसरी किस्म के पौधे थोड़े ऊँचे होते हैं और इन पर सफेद फूल लगते हैं, लेकिन दोनों किस्मों के बीज पीले रंग के, कठोर तथा स्वाद में कड़वे होते हैं। उत्तरी अफ्रीका के देशों में मेथी उगाई जाती है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में, विशेष रूप से मैदानी क्षेत्रों में खूब बोई जाती है। भारतीय किसान इसे थोड़ी-बहुत मात्रा में अवश्य बोते हैं।

विविध भाषाओं में नाम :

  • अंग्रेजी – Fenugreek,
  • कन्नड़ – मेथ्या,
  • गुजराती – भाजी,
  • तमिल – वेदायाम,
  • बँगला – मेथुका,
  • संस्कृत – मेथिका,
  • हिंदी – मेथी, मेथीदाना।

मेथी भाजी के औषधीय गुण :

आयुर्वेदिक चिकित्सा ग्रंथों में मेथी का शाक कड़वा, वातनाशक, गरम, रुचिकारक, अग्नि बढ़ानेवाला तथा मेथी दाना ज्वारनाशक, कृमिनाशक, हृदयरोग, पुरानी खाँसी, वमननाशक एवं क्षुधावर्धक बताया गया है। आयुर्वेद में मेथी की तासीर गरम बताई गई है, लेकिन इसके पत्ते शीतल एवं पित्त शामक हैं। मेथी के दानों की तासीर गरम है। इसमें सब्जियों का बादीपन दूर करने का महत्त्वूपर्ण गुण होता है।

मेथी के ताजा पत्तों में 81.8 प्रतिशत आर्द्रता होती है। इसमें क्षार 1.6, कैल्सियम 0.47, फॉस्फोरस 0.05, प्रोटीन 4.9, वसा 0.9 तथा कार्बोहाइड्रेड्स 9.8 प्रतिशत होते हैं। इसमें विटामिन ‘ए’ एवं ‘बी’ पर्याप्त मात्रा में होती है। प्रति 100 ग्राम में लौह तत्त्व 16.9 मिलीग्राम होता है।

मेथी भाजी के उपयोग :

भारत में प्रायः प्रत्येक जगह मेथी का साग बड़े चाव से खाया जाता है। यों तो मेथी स्वाद में कड़वी होती है, लेकिन जब आलू आदि सब्जियों के साथ बनाई जाती है तो बड़ी सुगंधित एवं स्वादिष्ट होती है। मेथी के बीजों का बड़ा उपयोग है। अनेक सब्जियों में मेथीदाने का उपयोग मसाले के रूप में सब्जी छौंकने या सुगंधित करने के लिए किया जाता है। यह अचारों को सुगंधित करने में उपयोग किया जाता है। मसालों के रूप में यह सर्वत्र सहजता से सुलभ है। घरों में पक्वान्न, मिष्टान्न आदि बनाने में काम आता है।

मेथी भाजी के फायदे : Methi Bhaji ke Labh in Hindi

1. क़ब्जियत – कफदोष से उत्पन्न क़ब्जियत में मेथी की रेशे वाली सब्ज़ी रोज खानेसे लाभ होता है। ( और पढ़े – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण देसी घरेलु उपचार )

2. बवासीर – प्रतिदिन मेथी की सब्जी का सेवन करने से वायु, कफ एवं बवासीर में लाभ होता है।

3. बहुमूत्रता – जिसे एकाध घंटे में बार-बार मूत्रत्याग के लिये जाना पड़ता हो अर्थात् बहुमूत्रता का रोग हो, उसे मेथी की भाजीके 100 मिलीलीटर रस में डेढ़ ग्राम कत्था तथा तीन ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिये। इससे लाभ होता है।

4. मधुप्रमेह – प्रतिदिन सुबह मेथी की भाजी का 100 मिलीलीटर रस पी जाय। शक्कर की मात्रा ज्यादा हो तो सुबह-शाम दो बार रस पीये। साथ ही भोजन में रोटी-चावल एवं चिकनी (घी-तेल युक्त) तथा मीठी चीजों को छोड़ दे, शीघ्र लाभ होता है।

5. निम्न रक्तचाप – जिन्हें निम्न रक्तचाप की तकलीफ हो, उन्हें मेथी की भाजी में अदरक, गरम मसाला इत्यादि डालकर सेवन करना लाभप्रद है।

6. कृमि – बच्चों के पेट में कृमि हो जानेपर उन्हें भाजीका 1-2 चम्मच रस रोज पिलाने से लाभ होता है। ( और पढ़े –पेट के कीड़े दूर करने के 55 घरेलु उपचार )

7. वायु का दर्द – रोज हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 80 प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है।

8. आँव होने पर – मेथी की भाजी के 50 मिली० रस में 6 ग्राम मिश्री डालकर पीने से लाभ होता है।5 ग्राम मेथी का पाउडर 100 ग्राम दही के साथ सेवन करने से भी लाभ होता है। दही खट्टा नहीं होना चाहिये।

9. वायु के कारण होने वाले हाथ-पैर के दर्द में – मेथी के बीजों को घी में सेंककर उसका चूर्ण बनाये एवं उसके लड्डू बनाकर प्रतिदिन एक लड्डुका सेवन करने से लाभ होता है।

10. गर्मी में लू लगने पर – मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोये। अच्छी तरह भीग जानेपर मसलकर छान ले एवं उस पानी में शहद मिलाकर एक बार पिलाये, लू में लाभ होता है।

11. जलन-सूजन – शरीर के किसी बाह्य अंग में जलन या सूजन हो तो पत्तों को अच्छी तरह पीसकर लेप करना चाहिए अथवा सोज पर इसकी पुल्टिस बनाकर बाँधने से आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार की सोज दूर होती है।

12. आँव-दस्त – लगभग 100 ग्राम मेथीदाना, 20 ग्राम जीरा भुना तथा आवश्यकतानुसार सेंधा नमक–तीनों को बारीक पीसकर रख लें। इसमें से तीन छोटे चम्मच चूर्ण सुबह-शाम छाछ या मट्ठा के साथ सेवन करें। इससे आँव गिरने में एवं आँववाले दस्तों में बड़ा आराम मिलता है। इसके अलावा मेथीदाना कूटकर उसका काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पी सकते हैं।

13. रक्ताल्पता – मेथी में लौह तत्त्व प्रचुर मात्रा में होता है, इसलिए रक्ताल्पता एवं रक्त संबंधी विकारों में यह बड़ी लाभकारी है। मेथी की सब्जी एवं दानों में रक्त साफ करने का अद्भुत गुण है। अतः मेथी की सब्जी का नियमित सेवन चर्म रोग एवं रक्त-विकारों को ठीक करता है। ( और पढ़े – खून की कमी दूर करने के रामबाण नुस्खे)

14. प्रसूति में – मेथी प्रजनन एवं प्रसव से होनेवाले रोगों को दूर करती है। स्तनपान करानेवाली महिलाओं एवं नव प्रसूताओं को मेथीपाक अथवा मेथी के लड्डू बनाकर खाने चाहिए। इससे प्रसव के बाद शिथिल हुए अंग सामान्य होते हैं, भूख लगती है, दस्त साफ आता है और गर्भाशय शुद्ध हो जाता है। स्त्रियों के जननांगों पर सूजन आने एवं प्रदर रोग में मेथी के दानों का काढ़ा सेवन करना चाहिए।

15. गठिया – बीजों को खूब बारीक पीसकर गुड़ के साथ इसका पाक अथवा लड्डू बना लें। गठिया, जोड़ों के दर्द में तथा वायु के रोगी इसका नियमित सेवन करें। अथवा 25 ग्राम दाने रात्रि को भिगो दें। सुबह थोड़ा मसलकर काढ़े की तरह उबालें। छानकर कुनकुना होने पर सेवन करें तो गठिया दर्द में आश्चर्यजनक लाभ होता है।

16. पाचन की गड़बड़ी – पाचन-क्रिया क्षीण होने, भूख न लगने, कब्ज की शिकायत में मेथी के पत्तों की सब्जी नियमित सेवन करें। इससे कब्ज तो दूर होगी ही, रक्त की शुद्धि भी होगी। पेटदर्द होने पर मेथी का रस या मेथी पाउडर कुनकुने जल से सेवन करना चाहिए। एसिडिटी की शिकायत में 2 चम्मच मेथी दाना कुचलकर आधा गिलास पानी में खूब उबालें। फिर हलका ठंडा करके इसे चाय की तरह पीएँ। इससे आँतों की सफाई होकर एसिडिटी दूर होती है।

17. सोज दर्दनाशक – शरीर के किसी भाग में गाँठ हो तो मेथी के दानों को आलू के साथ पीसकर उस स्थान पर इसका लेप करना चाहिए। यदि चोट लगने से उस स्थान पर सूजन आ गई हो तो मेथी के पत्तों की या मेथी पाउडर की पुल्टिस बनाकर बाँधे और उससे सिंकाई भी करें। इससे सूजन कम हो जाएगी और दर्द में आराम मिलेगा।

18. जिगर संबंधी रोग – पांडु रोग एवं जिगर संबंधी शिकायतों में मेथी के पत्तों का रस निकालें। इसमें समान मात्रा में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बड़ा लाभ होता है।

19. कमरदर्द – कमर के दर्द में मेथी के दानों का पाउडर 3 ग्राम की मात्रा में कुनकुने जल के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से बड़ा आराम मिलता है।

20. गले संबंधी रोग – गले तथा मुँह के छालों में मेथी के पत्तों अथवा मेथी के दानों का काढ़ा बनाकर उससे गरारे करने चाहिए। इससे मुँह में उठनेवाली दुर्गंध एवं दाँतों से संबंधित शिकायतें भी दूर हो जाती हैं। साथ ही मुख का स्वाद भी अच्छा हो जाता है।

21. लु लग जाए – मेथी के पत्तों को जल में मसलकर छान लें। ताजा पत्ते उपलब्ध न हों तो सूखे पत्तों को कुछ देर पानी में भिगोकर रखें, इसके बाद मसलें। अब इस छाने गए पानी में शहद मिलाकर रोगी को पिलाएँ। इससे लू का प्रकोप शांत हो जाता है।

22. बाल झड़ना – कमजोरी के कारण असमय बाल झड़ते हों तो मेथी को पानी में पीसकर बालों की जड़ों में रगड़कर लगाएँ। सूख जाने पर बालों को ठंडे पानी से धो लें। मेथी के पत्तों के रस में नीबू का रस मिलाकर शरीर पर मालिश करें तो त्वचा कोमल, सौम्य एवं उजली हो जाती है।

मेथीपाक बनाने की विधि और इसके फायदे :

शीत-ऋतु में विभिन्न रोगों से बचने के लिये एवं शरीर की पुष्टि के लिये मेथी पाक का प्रयोग किया जाता है।

बनाने की विधि –

मेथी एवं सोंठ ३२५-३२५ ग्राम की मात्रा में लेकर दोनों का कपड़ छान चूर्ण कर ले। सवा पाँच लीटर दूध में ३२५ ग्राम घी डाले। उसमें यह चूर्ण मिला दे। यह सब एकरस होकर जब तक गाढ़ा न हो जाय, तबतक उसे पकाये। उसके पश्चात् उसमें ढाई किलो शक्कर डालकर फिरसे धीमी आँचपर पकाये।
अच्छी तरह पाक तैयार हो जानेपर नीचे उतार ले, फिर उसमें लैंडीपीपर, सोंठ, पीपरामूल, चित्रक, अजवायन, जीरा, धनिया, कलौजी, सौंफ, जायफल, दालचीनी, तेजपत्र एवं नागरमोथ ये सभी ४०-४० ग्राम एवं काली मिर्चका ६० ग्राम चूर्ण डालकर मिला दे।
शक्ति के अनुसार सुबह खाये।

मेथीपाक के फायदे –

यह पाक आमवात, अन्य वातरोग, विषमज्वर, पाण्डुरोग, पीलिया, उन्माद, अपस्मार (मिरगी), प्रमेह, वातरक्त, अम्लपित्त, शिरोरोग, नासिका रोग, नेत्ररोग, प्रदररोग आदि सभी में लाभदायक है। यह शरीर के लिये पुष्टि कारक, बलकारक एवं वीर्य वर्धक भी है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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