Last Updated on May 24, 2024 by admin
क्या है अरबी ? (arbi in hindi)
अरबी अत्यंत प्रसिद्द और सभी की परिचित वनस्पति है |इसकी प्रकृति ठण्डी और तर होती है। इसका लैटिन भाषा में नाम कोलोकेसिया एस्क्यूलेन्टम (Colocasia Esculentum) है। इसके पत्तों से ‘पत्तखेलिया’ नामक बानगी बनती है । इसके कन्द कोमल पत्तों और पर्णवृन्तों की तरकारी बनती है। यह गर्मी के मौसम की फसल है। अरबी ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतु में होती है।
इसकी अनेकों किस्म होती हैं-राजाल, धावालु, काली-अलु, मंडले-अलु, गिमालु और रामालु । इन सबमें काली अरबी उत्तम है।
कुछ अरबी को बड़े और कुछ को छोटे कन्द लगते हैं। इनसे भाँति-भाँति की बानगियाँ बनाई जाती हैं। इसके पत्तर बेलिए अत्यन्तै स्वादिष्ट एवं रुचिकर बनते हैं, परन्तु इसमें यथेष्ट मात्रा में तेल और गरम मसाला डालना आवश्यक है। ताकि यह वायु न करे और पच जाए। अरबी रक्तपित्त को मिटाने वाली, दस्त को रोकने वाली और वायु को प्रकोप करने वाली है।
अरबी के औषधीय गुण (arbi ke aushadhi gun in hindi)
- अरबी शीतल, अग्निदीपक, भलावष्टंभक, बल की वृद्धि करने वाली और स्त्रियों के स्तनों को दूध बढ़ाने वाली है।
- इसके सेवन से पेशाव अधिक मात्रा में होता है एवं कफ और वायु की वृद्धि होती है।
- इसके कन्द में धातुवृद्धि की भी शक्ति है। अरबी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़ाता है।
- पत्तरबेलिए बेसन के कारण स्वादिष्ट और रुचिकर लगते हैं, फिर भी उसका अधिक मात्रा में सेवन उचित नहीं है।
- अरबी की किसी भी किस्म को कच्ची न रखें।
- वैज्ञानिक मतानुसार-अरबी में प्रोटीन, पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, सोडियम और कुछ मात्रा में विटामिन ‘ए’ भी होता है।
अरबी खाने के फायदे और उपयोग (arbi khane ke fayde aur upyog hindi me)
1. पित्त प्रकोप – अरबी के कोमल पत्तों का रस जीरे की बुकनी मिलाकर देने से पित्त प्रकोप मिटता है।
2. वायुगुल्म – अरबी के पत्ते डण्ठल के साथ उबालकर उसका पानी निकालकर उसमें घी मिलाकर 3 दिन तक देने से वायुगुल्म दूर होता है।
4. पेशाब की जलन – अरबी के पत्तों का रस 3 दिन तक पीने से पेशाब की जलन मिटती है।
5. फोड़ा – अरबी के पत्ते के डण्ठल जलाकर उनकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े मिटते हैं।
6. गुर्दे की कमजोरी – गुर्दे के रोग और गुर्दे की कमजोरी अरबी खाने से दूर होती है।
7. उच्च रक्तचाप – उच्च रक्तचाप अरबी खाने से कम होता है।
8. झुर्रियाँ – त्वचा का रूखापन और झुर्रियाँ दूर करती है। रूखापन चाहें आँतों में ही अथवा श्वासनली में-अरबी खाने से लाभ होता है।
9. हृदय रोग – हृदयरोग के रोगी को अरबी की सब्जी 25 ग्राम नित्य एक बार खाते रहने से हृदय रोग में लाभ होता है।
10. मां का दूध – अरबी की सब्जी खाने से दुग्धपान कराने वाली माताओं का दूध बढ़ता है।
11. रक्तपित्त – अरबी के पत्तों का साग रक्तपित्त के रोगी के लिए लाभकारी है।
अरबी की सब्जी बनाकर खाएँ। इसकी सब्जी में गरम मसाला, दालचीनी और लौंग डालें ।
अरबी खाने के नुकसान : arbi khane ke nuksan
जिन लोगों के उदर में गैस बनती हो, गठिया और खाँसी हो उनके लिए अरबी खाना हानिकारक है।
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