कपालभाति प्राणायाम करने का सही तरीका और इसके 7 लाजवाब फायदे | Kapalbhati Pranayama Benefits in Hindi

Last Updated on November 1, 2020 by admin

कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama in Hindi)

मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। कपालभाती प्राणायाम को हठयोग के षट्कर्म क्रियाओं के अंतर्गत लिया गया है। ये क्रियाएं हैं:-1.त्राटक 2.नेती. 3.कपालभाती 4.धौती 5.बस्ती 6.नौली। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में ‍साक्षी ध्यान का महत्वपूर्ण स्थान है।

कपालभाति कई प्रकार से किया जाता है। लेकिन इसे करने के दो तरीके बताए जा रहे हैं। इस क्रिया को खड़े होकर या बैठकर दोनों तरह से किया जा सकता है। इस क्रिया में सांस लेने व छोड़ने की गति जितनी तेज होती है, कपाल भांति का लाभ उतना ही अधिक होता है। जलनेति के बाद इस क्रिया को करना लाभकारी होता है।

कपालभाति प्राणायाम के लाभ / फायदे ( Kapalbhati ke Labh in Hindi)

कपालभाति प्राणायाम विधि (Kapalbhati Pranayama Steps in Hindi)

कपालभाति क्रिया को 2 विधियों द्वारा किया जा सकता है ।आइये जाने कपालभाति करने का सही तरीका –

पहली विधि –

  1. इस क्रिया के लिए पहले पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़े।
  2. अब जल्दी-जल्दी सांस लें और छोड़ें। सांस लेते व छोड़ते समय ध्यान रखें कि सांस लेने में जितना समय लगे उसका एक तिहाई समय ही सांस छोड़ने में लगाएं।
  3. इस तरह सांस लेने व छोड़ने की क्रिया को बढ़ाते रहें, जिससे सांस लेने व छोड़ने की गति 1 मिनट में 120 बार तक पहुंच जाएं।
  4. ध्यान रखें कि सांस लेते व छोड़ते समय केवल पेट की पेशियां ही हरकत करें तथा छाती व अन्य अंग स्थिर रहें।
  5. इस क्रिया को शुरू करने के बाद क्रिया पूर्ण होने से पहले न रुकें। इससे पहले 1 सैकेंड में 1 बार सांस ले और छोड़ें और बाद में उसे बढ़ाकर 1 सैकेंड में 3 बार सांस लें और छोड़ें।
  6. इस क्रिया को सुबह-शाम 11-11 बार करें और इसके चक्र को हर सप्ताह बढ़ाते रहें। इस क्रिया में 1 चक्र पूरा होने पर सांस क्रिया सामान्य कर लें और आराम के बाद पुन: इस क्रिया को दोहराते हुए 11 बार करें।

दूसरा तरीका –

  1. इस क्रिया के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं।
  2. फिर दोनों पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखते हुए कमर से शरीर को आगे की ओर झुकाकर रखें और हाथों को पीछे ले जाकर दाएं हाथ से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ लें।
  3. इसके बाद तेज गति से रेचक व पूरक करें अर्थात सांस लें और छोडे़, साथ ही गर्दन को दाएं-बाएं तथा ऊपर-नीचे करते रहें। इस क्रिया में सांस लेने व छोड़ने की क्रिया को जितना तेज करना सम्भव हो करें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।

कपालभाति प्राणायाम करने में सावधानी (Kapalbhati Pranayama me Savdhani)

  • पीलिया या जिगर के रोगी को तथा हृदय रोग के रोगी को कपालभाति का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस क्रिया को करने से हृदय पर दबाव व झटका पड़ता है, जो व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है।
  • गर्मी के दिनों में पित्त प्रकृति वाले इसे 2 मिनट तक ही करें।
  • इस क्रिया के समय कमर दर्द का अनुभव हो सकता है, परंतु धीरे-धीरे वह खत्म हो जाएगा।

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