Last Updated on May 8, 2024 by admin
गेहूँ क्या है ? (Wheat in Hindi)
गेहूँ हम लोगों का मुख्य आहार है तथा समस्त खाद्य पदार्थों में गेहूं का महत्वपूर्ण स्थान है। समस्त प्रकार के अनाजों की अपेक्षा गेहूँ में पौष्टिक तत्व अधिक हैं। इसकी इस उपयोगिता के कारण ही गेहूँ ‘अनाजों का राजा’ कहलाता है। अपने देश भारतवर्ष में गेहूँ का उत्पादन सर्वत्र होता है। गेहूँ की अनेकों किस्में होती है। कठोर गेहूँ और नरभ गेहूं-ये तो दो प्रमुख किस्में हैं। रंगभेद की दृष्टि से गेहूँ के सफेद और लाल दो प्रकार होते हैं। सफेद गेहूँ की अपेक्षा लाल गेहूँ अधिक पौष्टिक माना जाता है। इसके उपरान्त बाजिया, पूसा, बंसी, पूनमिया, टुकड़ी, दाऊदखानी, जनागढ़ी, शरबती, सोनरा, कल्याण, सोना और सोनालिका आदि गेहूँ की अनेक प्रसिद्ध किस्में हैं।
गेहूँ के आटे से रोटी, पावरोटी, ब्रेड, पूड़ी, केक, बिस्कुट आदि अनेक बानगियाँ, बनती हैं। इसका उपयोग अशक्त (बीमार) लोगों को शक्ति प्रदान कराने के लिए होता है। गेहूँ में चर्बी का अंश कम होता है। अतः गेहूँ के आटे में घी या तेल का मोचन दिया जाता है और उसकी रोटी के साथ घी, मक्खन, अथवा मलाई का उपयोग होता है। गेहूँ के साथ उचित मात्रा में घी या तेल का सेवन किया जाए यह आवश्यक है। घी के साथ गेहूँ का आहार करने से वायु प्रकोप दूर होता है और बदहजमी नहीं होती।
गेहूँ के गुण (Ghehu ke Gun in Hindi)
- गेहूं में मधुर, शीतल, वायु और पित्त को दूर करने वाले, गरिष्ठ, कफकारक, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, टूटे हुए को जोड़ने वाले, मल का निष्कासन करने वाले, जीवनीय, पौष्टिक, शरीर के वर्ण को उज्जवल करने वाले, व्रण के लिए हितकारी, रुचि उत्पन्न करने वाले और स्थिरता लाने वाले विशेष तत्व हैं।
- गेहूँ की रोटी बलदायक, रोचक, पौष्टिक, धातुवर्धक, वायुनाशक, कफकारक, गरिष्ठ और प्रदीप्त जठराग्नि वालों के लिए उत्तम है।
- गेहूँ के दानों को बोकर लगभग 1 बालिश्त के पौधे (जवारे) पौष्टिक विशेषतः रस, रक्त, और शुक्र धातु को बढ़ाने वाले, पित्तशामक, वायुनाशक, बलप्रदायक, शरीर के वर्ण को सुन्दर बनाने वाले, पथ्य और खासकर जीवनीय गुण वाले होते हैं। इन पौधों का रस पित्तजनित रोगों में अच्छा परिणाम देता है ।
- अम्लपित्त, रक्तपित्त, वातरक्त, दाह, भस्मकाग्नि, रसक्षय, रक्तक्षय, शुक्रक्षय, श्रम, उष्णवात, गर्भस्राव, मूत्रावरोध, आन्त्रव्रण, रक्तवात, रक्तवमन, नाक से रक्तस्राव, गर्मी की कब्ज, गर्मी के कारण वजन न बढ़ना, पित्तज जीर्णज्वर आदि रोगों में इन पौधों का रस लाभदायक है।
- गेहूँ के पौधे बीमारी को दूर करने के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद हैं।
गेहूँ के फायदे (Ghehu ke Fayde in Hindi)
1- पेशाब के साथ वीर्य जाना- 100 ग्राम गेहूँ रात को पानी में भिगो दें। सुबह के समय उसी पानी से उन्हें पत्थर पर पीसकर लस्सी बना लें । स्वाद के लिए चीनी मिला लें । उक्त कष्ट के रोगों को इस प्रयोग से मात्र 7 दिनों में आराम हो जाता है। ( और पढ़े – धातु (धात) रोग के कारण, लक्षण और इलाज )
2- चोट- गेहूँ की राख, घी और गुड़ इन दिन तीनों को समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह शाम दिन में 2 बार खाने से चोट का दर्द ठीक हो जाता है।
3-दस्त आमातिसार- सौंफ को पानी में पीसकर, पानी में मिलाकर, छान कर इस पानी में गेहूं का आटा गूंथकर रोटी बनाकर खाने से दस्त और आमातिसार में लाभ होता है। ( और पढ़े – दस्त रोकने के 33 घरेलु उपाय)
4-पाचक- गेहूँ का आटा पानी डालकर पूँदें तथा 1 घण्टा तक रखा रहने दें । तदुपरान्त इसकी रोटियाँ बनाकर खाएँ। यह रोटी शीघ्र पच जाती हैं।
5-सूजन-गेहूँ को उबालकर गर्म-गर्म पानी से सूजन वाली जगह को धोने से सूजन कम हो जाती है।
6-हड्डी टूटना, चोट, मोच-गुड़ में गेहूं का हलुआ सीरा बनाकर खाएँ इससे । दर्द में लाभ होगा तथा हड्डी शीघ्र जुडेंगीं ।
7-हड्डी टूटना ( फ्रेक्चर )-10 ग्राम गेहूँ की राख 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हैं। यह प्रयोग कमर और जोड़ों के दर्द में भी लाभदायक है।
8-पागल कुत्ते के काटने पर पहचान-गेहूँ के आटे को पानी में गैंद कर उसकी कच्ची रोटी (बिना तवे पर सेके) कुत्ता के काटे स्थान पर रख दें। थोड़ी देर बाद उसे खोलकर किसी अन्य स्वस्थ कुत्ते के पास खाने हेतु डाल दें । यदि वह स्वस्थ कुत्ता उस आटे को नहीं खाए तो समझ लेना चाहिए कि किसी रैबीजग्रस्त यानि पागल कुत्ते ने काटा है और यदि खाले तो समझना चाहिए कि जिस कुत्ते ने काटा है, वह पागल नहीं है।
9-पेशाब की जलन-रात को 10 ग्राम गेहूँ, 250 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रातः समय छान कर उस पानी में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र की जलन दूर होती है। ( और पढ़े –पेशाब में जलन के 25 घरेलू उपचार )
10-खुजली-गेहूँ के आटे में पानी मिलाकर लेप करने से चर्म की दाह, खुजली, टीसयुक्त फोड़े और अग्नि से जले हुए स्थान पर लगाने से आराम होता है।
11-खाँसी-20 ग्राम गेहूँ, 1 ग्राम सैंधा नमक को 250 ग्राम पानी में औटावें जब पानी तिहाई शेष रह जाए तब छानकर पिलाएँ। खाँसी मिट जाएगी ।
12-चर्मरोग-विशेषकर-खर्रा, दुष्ट अकौता (छाजन) तथा दाद की तरह कठिन, गुप्त एवं सूखे रोगों में गेहूं को गर्म तबे पर खूब अच्छी तरह भूनें । जब वह बिल्कुल ही राख की तरह हो जाए तो उसे खरल में खूब अच्छी तरह पीसकर शुद्ध सरसों के तेल में मिलाकर पीड़ित स्थान पर लगाने से कई वर्षों के असाध्य एवं पुराने चर्मरोग ठीक हो जाते हैं।
13-अनाज के कीड़े-गेहूँ के आटे में समान मात्रा में बोरिक एसिड पाउडर (Boric Acid Powder) मिलाकर पानी डालकर गोलियाँ बना लें और गेहूँ में रखें तो गेहूँ को खराब करने वाले कीड़े और काक्रोच नहीं रहेगें ।
14- दर्द- गेहूँ की रोटी बनाकर एक ओर सेक लें और एक ओर कच्ची रखें। जिस ओर रोटी कच्ची हो उस ओर तिल का तेल लगाकर दर्द वाले अंग पर बाँधने से दर्द दूर हो जाता है।
15-पथरी-गेहूँ और चनों को औटाकर उसका पानी पीने से गुर्दा और मूत्राशय की पथरी गल जाती है। ( और पढ़े – पित्त की पथरी के लिए 28 असरकारी घरेलू उपचार )
16-प्रमेह- एक छटाँक गेहूँ आधा लीटर पानी में रात के समय भिगोकर रखें और प्रातःकाल बारीक पीसकर, कपड़े से छानकर, उसमें 1 तोला शक्कर मिलाकर सात दिन पीने से ‘प्रमेह’ रोग दूर हो जाता है।
17-नाक से खून गिरना- यदि नाक से खून गिरता हो तो गेहूँ के आटे में शर्करा और दूध मिलाकर पीने से यह कष्ट दूर हो जाता है।
18-फोड़े- गेहूँ के आटे की पुल्टिश बनाकर फोड़ों पर बाँधने से फोड़े पक जाते हैं। फोड़ों को पकाने का यह सरल और घरेलू उपाय है।
19-नपुसकता/बाँझपन- आधा कप गेहूँ को 12 घण्टे पानी में भिगोएँ। तदुपरान्त गीले-मोटे कपड़े में बाँधकर 24 घण्टे रखें । इस तरह 36 घण्टे में उन गेहूँओं में अँकुर निकल आएँगे। इन अँकुरित गेहूँओं को बिना पकाए ही खाएँ । स्वाद के लिए इनको गुड़ या किशमिश के साथ मिलाकर खाया जा सकता है।
गेहूँ के नुकसान (Ghehu ke Nuksan in Hindi)
- गेहूँ से बनी मैदा पचने में गरिष्ठ होती है। अतः कमजोर पाचनशक्ति वालों को गेहूँ के मैदे की रोटी या पूड़ी नहीं खानी चाहिए। जिनका जठराग्नि मन्द हो, जिन्हें दस्त होते हों, पेचिश हो गया हो, बुखार आता हो या वायुविकार हो, उनके लिए गेहूँ हितकारक नहीं ।
- गुल्म, कफ, उदररोग, संग्रहणी आदि रोगों में भी गेहूँ खाना हानिकारक है तथा नवप्रसूताओं के लिए भी गेहूं का सेवन हितकारी नहीं।