Last Updated on May 8, 2024 by admin
चावल क्या है ? (Rice in Hindi)
खरीफ की फसल में चावल (धान) महत्त्वपूर्ण उपज है। यह वर्षा ऋतु में बोई जाती है। और अक्तूबर में पककर तैयार हो जाती है। भारत का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, जहाँ चावल न खाया जाता हो। इतना ही नहीं, मनुष्य-जाति के लगभग आधे प्राणी चावल भोजी हैं। इसे उगाने के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है। कवियों ने भी कहा है-‘धान, पान और केरा, तीनों पानी के चेरा।’ चावल की सौ से भी अधिक प्रजातियाँ हैं । लेकिन बासमती चावल सबसे अधिक पसंद किया जाता है।
साठ दिन में पककर तैयार हो जानेवाला ‘साठी चावल’ आयुर्वेद में अधिक गुणकारी माना गया है। साठी चावल संग्रहणी, पेचिश और मदाग्नि के रोगियों के लिए उत्तम पथ्य है। यह जल्दी हज्म हो जाता है| नए चावल की अपेक्षा पुराना चावल अधिक पसंद किया है। मिल के चावल की अपेक्षा हाथ से (ओखली में) कुटे चावल में पौष्टिक तत्त्व ज्यादा मात्रा में होते हैं। भारत में यह बंगाल, बिहार, उड़ीसा, पू. उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड की तराई तथा दक्षिण भारत में खूब उगाया जाता है। वर्ण में भी चावल कई तरह का होता है, जैसे—भूरा, सफेद और लाल।
चावल के विविध भाषाओं में नाम :
- हिंदी – धान, चावल,
- अंग्रेजी – Rice, Paddy,
- कन्नड़ – नेल्लु, भत्ता, अक्कि,
- गुजराती – डंगर, चाका,
- तमिल – अरिसि, नेल्लू,
- तेलुगू – वडलु, वरिधान्यमु, विय्यामु,
- बँगला – चाओल, चाल,
- मराठी – तांडुल, सालिभात,
- मलयालम – नेल्लु, अरि,
- संस्कृत – धान्य, वृहि, तंडुल, शालि,
चावल के गुण (chawal ke gun)
- निघंटुकारों की दृष्टि में चावल मधुर, स्निग्ध, बलप्रद, कसैला, लघु, रुचिकारक, वीर्यवर्धक, शरीर को पुष्ट करनेवाला, शीतल, पित्तनाशक, मूत्रल, मलबंधक, मल-निष्कासक, उत्तम पाचक, रोगी के लिए पथ्यकर, प्रमेह तथा कृमियों को दूर करनेवाला है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इसे वल्य, कफजनक, त्रिदोषनाशक, शुक्रनाशक, दीपन, तृष्णा, ज्वर, विष, व्रण, श्वास, कास, दाह आदि रोगों का नाशक बताया है।
- परंतु साठी चावल मधुर, शीतल, वायु एवं पित्त का शमन करनेवाला, त्रिदोषनाशक, संग्रहणी, पेचिश तथा मंदाग्नि के रोगियों के लिए उत्तम पथ्य है।
- चावल का माँड़ अत्यंत शीतल तथा पौष्टिक होता है।
- चावल की खिचड़ी वीर्यवर्धक, काबिज, बल्य तथा दस्त रोग में बेहद फायदेमंद है।
- चावल को छाछ में पकाकर बनाई गई ‘महेरी’ बच्चों, रोगियों और कमजोरी से पीड़ित लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।
- चावल के मुरमुरे शीतल, हल्के, अग्नि प्रदीप्त करनेवाले, मल-मूत्र का उत्सर्जन करनेवाले, रूक्ष, बलदायक, पित्त, कफ, उल्टी, अतिसार, दाह, रक्त को शुद्ध करनेवाले, प्रमेह, मेद और प्यास को शांत करनेवाले कहे गए हैं।
- दूध में पकाया गया चिउड़ा पुष्टिकारक, बलप्रद, यौन शक्तिवर्धक तथा मल को सहजता से निकालनेवाला होता है।
- इसकी ताहरी (घी में चावल-दाल को भूनकर बनाई जानेवाली खिचड़ी) तृप्तिकारक और कामोद्दीपक होती है।
- चावल के 100 ग्राम खाद्य भाग में ऊर्जा 540 कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट्स 28.1, शर्करा 0.05, खाद्य रेशे 0.4, वसा 0.28, प्रोटीन 2.69, जल 68.44 ग्राम; थाइमिन 0.02, रिवोफ्लेबिन 0.013, नायसिन 0.4, विटामिन बी 0.093, कैल्सियम 10, लौह 0.2, मैग्नीशियम 12, मैग्नीज 0, फासफोरस 43, पोटैशियम 35, सोडियम 1 मि.ग्रा. तक होते हैं।
चावल के उपयोग (chawal ke upyog in Hindi)
- भोजन के रूप में चावल दुनिया भर में उपयोगी है। चावल का भात, बिरयानी व पुलाव बनाया जाता है। ✦ चावल में चिकनाई बहुत कम होने के कारण यह जल्दी पच जाता है।
- चावल के साथ दाल मिलाने से इसका वायुकारक दोष कम हो जाता है और पौष्टिकता का गुण बढ़ जाता है। चावल में मूंग, मसूर, अरहर, चना, उड़द आदि की दाल डालकर खिचड़ी बनाई जाती है| भात की अपेक्षा खिचड़ी अधिक पौष्टिक होती है।
- गन्ने के रस में चावल पकाकर ‘रसवाई’ तथा छाछ में चावल पकाकर ‘महेरी’ बनाई जाती है।
- खिचड़ी बालकों तथा मरीज के लिए उत्तम पथ्य है।
- चावल पकाते समय उसका माँड़ फेंकना नहीं चाहिए; अधिकांश पौष्टिक तत्त्व इसी में होते हैं; यह अत्यंत शीतल तथा पौष्टिक होता है। माँड़ निकालना ही पड़े तो इसे दाल, सांभर में डालें या फिर आटे के साथ गूंध लें। चावल की कचरी, पापड़ आदि बनाए जाते हैं।
- धान से चिउड़ा बनाया जाता है; बंगाल, बिहार में इसकी बड़ी उपयोगिता है। यहाँ पर चूड़ा, दही तथा चीनी उत्तम सात्त्विक एवं शुद्ध आहार माना जाता है।
- धान को भूनकर ‘खील’ बनाई जाती है, इसकी तासीर अत्यंत शीतल होती है।
- चावल को भूनकर मुरमुरे बनाए जाते हैं; गुड़ या खाँड़ की चाशनी में मिलाकर इनके लड्डू, गज्जक आदि बनाए जाते हैं।
- चावल के आटे की चपाती, ठिकुआ, अनरसे तथा अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं।
चावल के फायदे (chawal khane ke fayde)
निघंटुकारों तथा आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने औषधीय रूप में इसके अनेक उपयोग बताए हैं। घरेलू चिकित्सा में चावल की बड़ी उपयोगिता है। चावल मधुर तथा पुष्टिकारक होते हैं।
1. बच्चों के विभिन्न रोग: विजयसार के फूलों को बारीक पीसकर चावल के पानी में गोली बनाकर सेवन करने से बालरोगों में लाभ मिलता है।
2. गर्मीनाशक: चावल की प्रकृति ठण्डी होती है। पेट में गर्मी भारी होने पर एवं गर्मी के मौसम में रोजाना चावल खाने से शरीर को ठण्डक मिलती है।
3. पेचिश व रक्तप्रदर: एक गिलास चावल के पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश व रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
4. दस्त:
- चावल पकाने पर इसका उबला हुआ पानी जिसे माण्ड कहा जाता है। यह दस्तों के लिए लाभदायक होता है। बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। इस माण्ड में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करने से यह स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य होता है। इसमें नमक मिलाकर इसे दस्तों में पीने से लाभ मिलता है। इस माण्ड को 6 घंटे से अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए।
- उबले हुए चावल में सेंधानमक को मिलाकर छाछ या दही के साथ प्रयोग करने से अतिसार (दस्त) में आराम होता है।
- चावल के पके हुए पानी को 2 चम्मच और 1 कप पानी में मिलाकर हर घंटे के बाद पीने से लाभ मिलता है।
- चावलों को पकाकर प्राप्त मांड को या चावल को दही के साथ खाने से दस्त में लाभ मिलता है।
5. माण्ड बनाने की सरल विधि: 100 ग्राम चावल आटे की तरह पीस लेते हैं। इसे 1 लीटर पानी में उबालते हैं। भली प्रकार उबालने के पश्चात इसे छानकर स्वाद के अनुसार नमक मिला लेते हैं। इसे बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। दस्तों में यह बहुत लाभकारी होता है।
6. कोलेस्ट्राल व रक्तचाप: लम्बे समय तक चावल खाते रहने से कोलेस्ट्राल कम हो जाता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है।
7. फोड़ा: पिसे हुए चावलों की पोटली सरसों के तेल में बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है।
8. कब्ज: 1 भाग चावल और 2 भाग मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
9. गर्भावस्था की वमन (उल्टी): 50 ग्राम चावल को लेकर 250 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। आधा घंटा बीतने के बाद इसमे 5 ग्राम धनिया भी डाल देते हैं। 10 मिनट के बाद इसे मलकर छानकर निकाल लेते हैं। 4 बार में इसे 4 हिस्से करके पिलाएं। इसके प्रयोग से गर्भवती स्त्री की उल्टी तुरन्त ही बंद हो जाती है।
10. भांग का नशा: चावलों का पानी पीने से भांग का नशा उतर जाता है।
11. पेशाब में जलन व रुकावट: आधा गिलास चावल के माण्ड में चीनी मिलाकर सेवन करने से पेशाब मे रुकावट और जलन दूर हो जाती है।
12. चेहरे की झांई:
- सफेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से चेहरे की झांई और कालिमा मिटकर चेहरे का रंग साफ और सुन्दर हो जाता है।
- चावल का आटा लेकर उसकी लेई बना लें। इसके अन्दर 1 चुटकी चंदन का चूरा, 1 चुटकी पिसी हुई हल्दी और 2 चम्मच गुलाबजल डालकर बहुत अच्छी तरह मिलाते रहना चाहिए। इसके बाद आधे घंटे के लिए इसे धूप में रख दें। मेकअप करने से आधा घंटा पहले इसे चेहरे पर लगाये और अच्छी तरह से रगड़ते रहे। बाद में हल्के गुनगुने पानी से अच्छी तरह धोकर मेकअप कर लें। चेहरे में एक नयी खूबसूरती नज़र आयेगी।
13. शीतला (मसूरिका) ज्वर: चावल का पानी बनाकर पांवों के तलवों की फुंसियों पर लगाने से जलन शांत हो जाती हैं।
14. वमन (उल्टी):
- चावलों को पानी में भिगोकर रख लें। 4 घंटे के बाद चावलों को पानी में मसलकर छान लें। फिर उस छने हुए पानी में थोड़ा-सा धनिया मिलाकर पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है। गर्भावस्था में (मां बनने के समय में) उल्टी को बंद करने के लिए यह बहुत लाभकारी है।
- चावलों के पानी में 3 चम्मच बेलगिरी का रस मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
15. अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना):
- सफेद चावल और सफेद कमल का दाना बकरी के दूध में खीर बनाकर उसका सेवन करने से भस्मक रोग (बार-बार भूख लगना) में लाभ होता है।
- 100 ग्राम सफेद चावल को 500 मिलीलीटर ऊंटनी के दूध में डालकर खीर बना लें और उसमें घी डालकर खाने से 12 दिन में भस्मक-रोग मिट जाता है।
16. हिचकी का रोग: चावल के चिरवे (भाड़ पर भुने हुए) पानी में 10 मिनट तक भिगोकर पीस लें। जिससे चटनी बन जाये। उसमें सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर खिलायें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।
17. गर्भवती स्त्री का अतिसार: चावल के सत्तू, आम या जामुन की छाल के काढ़े के साथ गर्भवती स्त्री को सेवन कराने से अतिसार (दस्त) और ग्रहणी नष्ट हो जाती है।
18. संग्रहणी के आने पर: 2 से 3 ग्राम चावल दिन में 2 बार खाने से संग्रहणी अतिसार (दस्त) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
19. खूनी अतिसार के आने पर:
- चावल के पानी में 20 ग्राम चंदन को घिसकर, मिश्री और शहद मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार मिट जाता है।
- 50 ग्राम चावलों को 250 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। 2 घंटों के बाद इस पानी में मिश्री को मिलाकर पीने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
20. आंवरक्त (पेचिश): चावलों को उबालकर दही में मिलाकर और उसमें भुना हुआ जीरा और स्वाद के अनुसार सेंधानमक भी डालककर खाने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
21. जिगर का रोग: सूरज उगने से पहले उठकर मुंह साफ करके एक चुटकी कच्चे चावल की फंकी लें। इससे यकृत (जिगर) को मजबूती मिलती है।
22. श्वेतप्रदर:
- आधा कप चावल को 1 कप पानी में भिगो दें। 100 ग्राम मूंग को तवे पर सेंककर पीसकर बोतल में भर लें। 1 चम्मच मूंग का चूर्ण भीगे हुए चावल के पानी के साथ 1 कप में घोलकर रोजाना 1 बार पीने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
- चावल के पानी में कपास की जड़ को घिसकर पीने से ‘वेतप्रदर रोग मिट जाता है।
- 25 मिलीलीटर चावल का पानी, 1 चम्मच शहद, 1 ग्राम राल, को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
23. अम्लपित्त: चावल, मूंग की दाल, घिया, तोरई, परवल, टिंडे आदि सब्जियां, भोजन में हल्के पदार्थ और खाने के साथ हरे धनिये का सेवन जरूर करें।
24. प्यास अधिक लगना:
- लाल चावलों का पानी ठण्डा करके शहद मिलाकर खाने से पुरानी तृष्ण (प्यास) मिट जाती है।
- 14 से 28 मिलीग्राम चावल का फांट दिन में 2 से 3 बार खाने से प्यास अधिक लगना कम हो जाती है।
25. पित्त ज्वर: चावल और छुहारे को पानी में भिगो दें इससे धुले पानी के साथ 240 मिलीग्राम जस्ता भस्म खाने से पित्त ज्वर ठीक हो जाता है।
26. रक्तप्रदर:
- 50 ग्राम चावलों को पानी से साफ करके 100 ग्राम पानी में डालकर रखें। 4 घंटे के बाद उन चावलों को उसी पानी में थोड़ा-सा मसलकर पानी पीने से रक्त प्रदर मिट जाता है।
- चावलों के पानी में 5 ग्राम गेरू सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
27. मोटापा दूर करना: चावल का गर्म-गर्म पानी लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
28. शरीर की जलन: चावल के पानी में चंदन घिसकर घोल बना लें। यह 20 ग्राम घोल रोजाना मिश्री और शहद के साथ सेवन करने से शरीर की जलन दूर होती है।
29. आग से जल जाने पर:
- कच्चा चावल (अरबा चावल) तथा उससे दुगनी मात्रा में काले तिल को लेकर ठण्डे पानी के साथ पीसकर लगातार 3 दिनों तक लेप करने से तुरंत ही जलन और दर्द दूर हो जाता है। ध्यान रहे 3 दिनों के बीच में जले हुए भाग को धोयें नहीं। जब आराम हो जायेगा तो पपड़ी अपने आप ही हट जायेगी।
- धान के छिलके जलाकर उसकी राख को घी में मथकर लगाने से आग से जलने के घाव अच्छे होते हैं।
- आग से जलने पर घाव बन गए हैं, तो धान के छिलकों को जलाकर उसकी राख को घी या नारियल तेल में सानकर इस पेस्ट को जले घाव पर लगाएँ, इससे घाव जल्दी भर जाते हैं।
30. कण्ठमाला: अमलतास की जड़ को पीसकर चावलों के पानी के साथ मिलाकर खाने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) ठीक हो जाती हैं।
31. यकृत की मजबूती : यकृत को मजबूत तथा शक्ति-संपन्न बनाने के लिए प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर एक चुटकी साबुत कच्चे चावल मुँह में रख पानी के साथ निगल लें। यह क्रिया ५ से ७ दिन तक करने से यकृत को मजबूती देती है। ( और पढ़े – लिवर की बीमारी व सूजन दूर करने के रामबाण नुस्खे)
32. अशक्त तथा बीमारों के लिए : चावल में चरबी का तत्त्व बेहद कम मात्रा में होता है, अतः ये पचने में अत्यंत हल्के होते हैं। मूंग की दाल की खिचड़ी रोगियों, लंबी बीमारी से उठे रोगी तथा बच्चों के लिए अत्यंत फायदेमंद है। हालाँकि चावल वायुकारक होते हैं, परंतु दाल मिलाकर पकाने से यह दोष काफी हद तक दूर हो जाता है।
33. सौंदर्य-वृद्धि के लिए : हल्दी के साथ चावल का उबटन बनाकर कुछ दिनों तक नियमपूर्वक मालिश करें, फिर गुनगुने जल में नीबू रस की कुछ बूंदें डालकर स्नान करें, इससे त्वचा चमकदार, पुष्ट तथा कांतिमय हो जाती है। ( और पढ़े – गोरा होने के 16 सबसे कामयाब घरेलु नुस्खे )
34. चेहरे के दाग-धब्बे : सफेद चावलों को स्वच्छ ताजा पानी में भिगोकर घंटा भर रख छोड़े, अब इस पानी को निथारकर रोजाना चेहरा धो लिया करें। इससे त्वचा का रंग निखर जाता है।
35. बल एवं वीर्य-वृद्धि : सफेद चावल में मूंग, मसूर या चने की दाल डालकर खिचड़ी बनाएँ। इसमें हींग, अदरक, हल्के मसाले डालकर घी के साथ नित्य सेवन किया करें। इसके सेवन से शुद्ध वीर्य में आशातीत वृद्धि होती है, इसका पतलापन दूर होता है। यह सुस्वादु खिचड़ी मूत्रक तथा शौच क्रिया को साफ करनेवाली है। ( और पढ़े –वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय शरीर को बनाये तेजस्वी और बलवान )
36. अग्निमांद्य तथा भूख न लगना : आग पर चावल पकाकर नीचे उतारकर रख लें; इसमें दूध मिलाकर आधा घंटे के लिए ढककर रख छोड़ें। कमजोर तथा मंदाग्निवाले रोगी इसे खाएँ तो भूख खुलकर लगती है। भोजन में रुचि बढ़ती है। धीरे-धीरे यह भूख को चमका देती है।
37. फोड़े की जलन-दाह : शरीर में कहीं फोड़ा हो जाए और उसमें तेज जलन हो रही हो तो तुरंत कच्चे चावल पानी में भिगोकर, सिल पर पीसकर पेस्ट या लेप बनाकर फोड़े पर लेप कर दें। इससे फोड़े की जलन तथा दाह मिट जाता है। फोड़ा पकने पर इस पेस्ट में हल्दी मिलाकर, घी लगाकर तथा पुल्टिस बनाकर फोड़े पर बाँधे तो उसका पीप-मवाद निकल जाता है तथा घाव भी जल्दी भर जाता है।
38. आधासीसी दर्द : आधे सिर का दर्द बड़ा पीड़ादायी होता है; अतः सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में एक मुट्ठी खील (लाजा) शहद के साथ मिलाकर खाएँ और कुछ देर लेट जाएँ; नित्य तीनचार दिन करने से आधासीसी का दर्द मिट जाता है। ( और पढ़े –आधा सिर दर्द की छुट्टी करदेंगे यह 27 घरेलू इलाज )
39. अतिसार-ज्वर : ज्वर से पीडित रोगी को खाने में कुछ भी अच्छा नहीं लगता है, ऐसी स्थिति में एक भाग चावल तथा दो भाग दाल (मूंग या मसूर) की पतली खिचड़ी बनाएँ। इसमें हींग-जीरे को देसी घी में भूनकर तड़का लगाएँ। डेंगू के बुखार में यह पतली खिचड़ी खिलाने से रोगी के प्लेटलेट्स नहीं गिरते हैं। इससे रोगी को शक्ति मिलती है।
40. पौष्टिक खिचड़ी : जिनको भोजन से अरुचि हो, रोटी देर से पचती हो या खाने के बावजूद कमजोरी बढ़ रही हो तो वे एक हिस्सा चावल तथा दो हिस्सा दाल तथा मौसम के अनुसार सभी सब्जियाँ बारीक काटकर खिचड़ी पकाएँ। ठंडा होने पर घी या फिर दही के साथ खाएँ। यह पौष्टिक तथा जल्दी पचनेवाला पूर्ण आहार है। बीमार, स्वस्थ, बाल-वृद्ध सभी इसका सेवन कर सकते हैं।
41. सीने में जलन : खील (लाजा) को पीसकर सत्तू बना लें, इसमें दूध, शहद या खाँड़ डालकर स्वच्छ जल में घोल लें। इसे पीने से सोने की जलन तथा दाह मिटता है। यह बुखार के दाह में भी लाभकारी है।
42. पेशाब में जलन : शरीर में गरमी या अन्य किसी कारण से मूत्र में दाह या जलन हो या पेशाब लगकर आ रहा हो तो एक छोटे गिलास भर चावल के माँड़ में खाँड़ या चीनी मिलाकर खूब ठंडा करके पिला दें। कुछ ही देर में पेशाब की जलन शांत हो जाएगी; पेशाब भी खुलकर आएगा।
43. कब्जनाश : जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती है, वे एक भाग चावल तथा दो भाग मूंग की दाल मिलाकर खिचड़ी बनाएँ; अब इसमें घी मिलाकर खाएँ, शर्तिया पेट साफ होगा; सायं के भोजन में खिचड़ी ही खाएँ तो बेहतर। ( और पढ़े – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण देसी घरेलु उपचार)
44. मल विकार : चिड़वा को दूध में भिगोकर चीनी के साथ सेवन करें, इससे मल का भेदन होकर पतला दस्त हो जाता है; परंतु इसी को अगर दही के साथ खाएँगे तो मलबंध हो जाता है, अतः अतिसार में खाने से बड़ा आराम मिलता है।
45. शरीर पुष्ट : चिड़वा को स्वच्छ पानी में भली प्रकार धोकर दूध के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है, रंग में निखार आता है। यह स्वास्थ्य के लिए बड़ा हितकर है।
46. तृषा की शांति : बार-बार प्यास लगे या पानी पीने पर भी तृषा शांत न हो तो चावल के माँड़ में खाँड़ या शहद मिलाकर ठंडा करके पिलाएँ। इससे पेशाब खुलकर आएगा और शरीर की गरमी बाहर निकल जाएगी।
47. नशे का शमन : भाँग का नशा चढ़ गया हो तो चावल के माँड़ में शक्कर तथा खाना सोडा मिलाकर नशेड़ी को पिला दें या फिर धान की खील को पानी में भिगोकर और फिर खूब मसलकर पिलाएँ तो नशा उतर जाएगा।
48. गर्भिणी को वमन : गर्भिणी को बार-बार उल्टियाँ हो रही हों तो 50 ग्राम चावल एक गिलास स्वच्छ जल में भिगोकर आधा घंटा बाद उसमें 5 ग्राम धनिया भी डाल दें। अब पंद्रह मिनट के बाद इसे मसलकर छान लें। इसकी चार खुराक बना लें और गर्भिणी को पिलाएँ या फिर 15 ग्राम खील, दो इलायची, दो लौंग तथा थोड़ी सी मिश्री डालकर आग पर उबाल लें। ठंडा कर इसमें से दो-दो चम्मच कुछ-कुछ अंतराल पर पिलाते रहें। यदि वमन हरी-पीली हो तो इस उबले पानी में नीबू का रस मिलाकर पिलाएँ।
49. पेट की गरमी : पेट में गरमी की शिकायत है तो एक भाग पुराना चावल तथा दो भाग मँग की दाल मिलाकर खूब पतली खिचड़ी बनाएँ, इसे अच्छी तरह घोंट दें, फिर इसमें देसी घी का छौंक लगाकर ठंडी करके खिलाएँ। गरमी की ऋतु में सभी जल्दी पचने के कारण चावल खाना पसंद करते हैं।
50. अतिसार या पेचिश : पतले दस्त या फिर पेचिश की शिकायत हो, मरोड़ के साथ दर्द-ऐंठन हो तो सफेद चावल दही के साथ खिलाएँ या फिर चावल के पसावन (माँड़) में मिश्री या थोड़ी खाँड़ मिलाकर पिला दें, माँड़ दही के साथ भी दे सकते हैं; पेचिश में बड़ा फायदा पहुँचाता है।
चावल के नुकसान (chawal khane ke nuksan)
- जिन्हें मधुमेह(Diabetes) है उन्हें चावल से परहेज करना चाहिये | इसका सेवन मरीज के रोग को बढ़ा सकता है |
- चावल की प्रकृति ठंडी होने के कारण यह अस्थमा (दमा / Asthma) के रोगियों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है | इसके सेवन से उन्हें बचना चाहिये |
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)