Last Updated on August 1, 2021 by admin
मुल्तानी मिट्टी के गुण (Multani Mitti ke Gun)
- मुल्तानी मिट्टी से स्नान करने पर रोमकूप खुल जाते हैं। मुल्तानी मिट्टी से रगड़कर स्नान करने से जो लाभ होते हैं उनका एक प्रतिशत लाभ भी साबुन से स्नान करने से नहीं होता। बाजार में उपलब्ध साबुन में चर्बी, सोडा-क्षार और कई जहरीले रसायनों का मिश्रण होता है जो त्वचा व रोमकूपों पर हानिकारक प्रभाव छोड़ते हैं। स्फूर्ति और आरोग्यता चाहने वालों को साबुन के प्रयोग से बचकर मुल्तानी मिट्टी से नहाना चाहिए।
- मुल्तानी मिट्टी या उसमें नींबू, बेसन, दही अथवा छाछ आदि मिलाकर शरीर पर थोड़ी देर लगाये रखें तो गर्मी व पित्तदोष से होने वाली तमाम बीमारियों को यह सोख लेता है। यह घोल लगाने से थोड़ा समय पहले बनाकर रखा जाय।
- अपने वेद और पुराणों से लाभ उठाकर जापानी लोग मुल्तानी मिट्टी मिश्रित घोल में आधा घंटा टब बाथ करते हैं, जिससे उनके त्वचा व पित्त सम्बन्धी काफी रोग ठीक हुए हैं। आप भी यह प्रयोग करके स्फूर्ति और स्वास्थ्य का लाभ ले सकते हैं।
- यदि मुल्तानी मिट्टी का घोल बनाकर शरीर पर लेप कर दिया जाय तथा 5-10 मिनट बाद रगड़कर नहाया जाय तो आशातीत लाभ होते हैं। आप सभी साबुन का प्रयोग छोड़कर मुल्तानी मिट्टी से स्नान करें और प्रत्यक्ष लाभ का अनुभव करें।
मुल्तानी मिट्टी के लाभ और उपयोग (Multani Mitti ke Labh in Hindi)
मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद है । इससे संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता । इसके निम्न उपयोग हैं।
1). फोड़ा – बड़ा तथा कठोर फोड़ा जो किसी प्रकार की दवा से फूट न रहा हो, गीली मुल्तानी मिट्टी के लेप लगाने से बहुत जल्दी पक कर फूट जाता
2). कनफेड (गलसुआ) – मुल्तानी मिट्टी या जोहड़ के कीचड़ का गले पर लेप करने से कनफेड (गलसुआ) दूर हो जाता हैं।
3). सूजन – नदी या तालाब की सफेद मिट्टी या मुल्तानी मिट्टी को पानी में घोलकर सूजन पर लगाने से राहत मिलती है।
4). पित्ती – गर्मियों में शरीर पर पित्ती निकल जाने पर मुल्तानी मिट्टी को बारीक कूट कर दही में मिलाकर लगाने से लाभ होता है ।
5). कील-मुंहासे – मुल्तानी मिट्टी को पानी में घोलकर लगाने से चेहरे के दाग- धब्बे, कील-मुंहासे साफ हो जाते हैं।
6). दांतों की सफाई – अकरकरा के चूर्ण के साथ मुल्तानी मिट्टी का मंजन करने से दांतों के कीटाणु मर जाते हैं और दांत साफ हो जाते हैं ।
7). कांच निगलने पर – बच्चे द्वारा कांच निगलने पर मुल्तानी मिट्टी का चूर्ण दही के साथ पिलाने पर कांच का टुकड़ा शरीर को बिना क्षति पहुंचाए मल द्वार से बाहर निकल जाता है ।
8). छाले – गोपीचंदन मिट्टी घिसकर लगाने से मुँह में पड़े छालों में काफी राहत मिलती है ।
9). सिरदर्द – सिरदर्द होने पर मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाइए सिर दर्द दूर हो जायेगा।
10). फोड़ा – बहते फोड़े पर गीली मिट्टी की टिकिया बना कर लगाने से फोड़े का बहना और जलन बंद हो जाएगी।
11). ततैया काटने पर – बिच्छू और ततैया के काटे स्थान पर गीली मुल्तानी मिट्टी की पट्टी बांधिए फायदा होगा।
12). बुखार – बुखार में तपन ज्यादा होने पर गीली मिट्टी की चौड़ी पट्टी हर घंटे बदलते रहिए ।
13). गांठ – पैर में कहीं फोड़ा आदि होने पर जांघ में गिल्टी फूल जाती है उस पर दिन में चार बार गीली मुल्तानी मिट्टी गर्म करके सेंक दीजिए।
14). आंव – यदि आंव आ रही हो तो पेट पर पहले पांच मिनट गीली ठंडी मिट्टी का सेक और फिर पांच मिनट गीली गर्म मिट्टी का सेक करने से लाभ होता है ।
15). स्तन में सूजन – यदि स्त्री के स्तन में सूजन हो (थनैली), जलन हो रही हो तो पहले तीन मिनट गीली
गर्म मिट्टी का सेक और फिर तीन मिनट गीली ठंडी मिट्टी का सेक करें । ध्यान रहे कि मिट्टी अधिक गर्म न हो।
16). दाद – दाद और एपेडीसाइटिस में भी क्रमश: गर्म और ठंडी गीली मिट्टी के सेक से लाभ होता है।
17). पेट में दर्द – यदि बच्चे ने मिट्टी खा ली हो और उसके पेट में दर्द हो रहा हो तो सोना गेरू को घी में सेक कर महीन पीस कर इसकी एक ग्राम मात्रा को दस ग्राम मधु में मिलाकर चटाइए।