Last Updated on July 22, 2019 by admin
योगासन के नियम एवं करने की विधि : Yoga ke Niyam in Hindi
1- योगासनों का अभ्यास ज़मीन पर दरी या कम्बल बिछा कर करना चाहिए, कुछ बिछाए बिना योगासन न करें।
2-योग के लिए उचित परिधान : अभ्यास करते समय शरीर पर हलके और कम कपड़े पहनना चाहिए। पुरुष चड्डी बनियान या लंगोट या जांघिया पहन कर अभ्यास करें और महिलाएं शलवार-कुरता या बेदिंग सूट पहन कर करें।
3- योगासन करते समय मन चिन्ता रहित शोक रहित,एकाग्र और प्रसन्न अवस्था में रख कर अभ्यास करना चाहिए।
4- जहां अभ्यास करें वह स्थान एकान्त,शान्त,खुला हुआ, हवादार और स्वच्छ वातावरण वाला होना चाहिए। यदि वायु मण्डल प्रदूषित हो तो कमरे में घी का दिया या गुग्गुलु जला कर रख लें फिर अभ्यास करें।
5- योगासन करते समय पेट खाली होना चाहिए। शौच (मल) या मूत्र का वेग रोक कर योगासन न करें। यदि प्रातः मल विसर्जन ठीक तरह से न होता हो तो शाम को छोटी हरड़ का चूर्ण या त्रिफला चूर्ण उचित व अपने अनुकूल मात्रा में गरम कुनकुने पानी के साथ ले लिया करें।
6- योगासन का अभ्यास करते हुए थकावट और कमज़ोरी का अनुभव हो तो थोड़ी देर शवासन में लेट कर विश्राम कर लें फिर अभ्यास करें।
7- योगासन का अभ्यास करने वाले को सादा,सुपाच्य और सात्विक आहार लेना चाहिए और दूध,फल,घृत आदि स्निग्ध पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
8- योगासन का अभ्यास शुरू में तीन तीन बार करें फिर यथा शक्ति 1-1 आवृत्ति धीरे धीरे बढ़ाएं जितना प्रतिदिन कर सकें। संख्या निश्चित रखें। कम ज्यादा न करें।
9- आसन करते समय जब आगे झुकें तब सांस बाहर निकालें और पीछे की तरफ झुकें तो सांस अन्दर भरें। सांस नाक से हीलेना व छोड़ना चाहिए मुंह से नहीं।
10-आंखें बन्द करके आसन करने से मन की एकाग्रता बनी रहती है, वैसे आंखें खुली भी रख सकते हैं।
11- पहली पहली बार योगासन का अभ्यास शुरू करने पर 4-5 दिन तक शरीर की मांसपेशियों और सन्धियों में दर्द का अनुभव होगा तो चिन्ता न करें, अभ्यास जारी रखें। दर्द अपने आप दूर हो जाएगा।
12- योगासन का अभ्यास करके अन्त में शवासन अवश्य करें । 8-10 मिनिट के शवासव से सारी थकावट मिट जाती है।
आइये जाने yoga kab nahi karna chahiye
योगासन / योग कब नहीं करना चाहिए : When Not to Exercise in Hindi
योगासनों का अभ्यास, हितकारी होते हुए भी, कुछ स्थितियों में कुछ व्यक्तियों के लिए वर्जित किया गया है।
1- किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति, लम्बी बीमारी से मुक्त हुए व्यक्ति, गर्भवती स्त्री, बहुत ज्यादा कमज़ोर शरीर वाले, भोग विलास में लिप्त, ज्वर ग्रस्त, लम्बे समय से सर्दी जुकाम और सिर दर्द से पीड़ित, कान बहता हो, नेत्रों में लाली या कोई नेत्र-रोग हो, हृदय रोगी तथा भूखी प्यासी अवस्था वाले व्यक्तियों (स्त्री-पुरुपों) के लिए योगासन का अभ्यास वर्जित है।
2-yoga cautions for pregnancy : गर्भवती महिला और रोग ग्रस्त व्यक्ति यदि योगासन करने का पूर्व अभ्यासी हो और योगासन का अभ्यास जारी रखना चाहे तो योग्य और अनुभवी योग प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास कर सकता है।गर्भवती महिला को योग-प्रशिक्षक के निर्देश व देखरेख में ही योगाभ्यास करना चाहिए।
3- स्नायविक दौर्बल्य व हृदय की दुर्बलता के रोगी को शीर्षासन नहीं करना चाहिए तथा अधिक कठोर व भारी कठिन आसनों का अभ्यास जैसे धनुरासन या पूर्णशलभासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4- अण्डवृद्धि वालों को ऐसे आसन नहीं करना चाहिए जिनसे नाभि के नीचे वाले भाग पर दबाव पड़ता हो।
5- उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को सिर के बल करने वाले आसन जैसे शीर्षासन, सर्वांगासन आदि नहीं करना चाहिए।
6- मासिक धर्म के दिनों में स्त्री को योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।
7- जिनको कमर, पीठ और गर्दन में दर्द रहता हो उन्हें आगे झुकने वाले आसन नहीं करना चाहिए।