सुपारी के 26 औषधीय उपयोग और फायदे – Supari ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on January 9, 2024 by admin

सुपारी के औषधीय गुण : supari ke aushadhi gun

आयुर्वेद मतानुसार सुपारी भारी, शीतल, रूखी, कसैली, कफ-पित्तनाशक मोहकारक, दीपन, रूचिकारक, संकोचक, मूत्रल, मुख शुद्ध करने वाली हृदय को शक्ति प्रदान करने वाली, ऋतुस्वाव नियामक, आँखों की सूजन श्राम, पुराना प्रमेह और पीप को नष्ट करने के गुणों से भरपूर होती है ।

नोट-सुपारी कच्ची अवस्था में विष से भी अधिक हानिकारक होती है तथा मध्यम अवस्था की सुपारी भेदक और दुष्यपाच्य और सूखी हुई सुपारी अमृत के समान उपकारी तथा रसायन गुणों से भरपूर होती है । औटाकर तैयार की हुई सुपारी जिसका मध्य भाग दृढ़ हो वह अत्यन्त उत्तम और त्रिदोष नाशक होती है।

सुपारी सेवन की मात्रा : supari kitna khana chahiye

सुपारी की मात्रा 2 से 4 ग्राम तक है।

सुपारी के फायदे और उपयोग : supari ke labh in hindi

1.  मासिकधर्म समस्या – मासिकधर्म में विशेष स्राव होता हो और इसके कारण रुग्णा को निर्बलता बढ़ रही हो तो चिकनी सुपारी का चूर्ण और नागकेशर का चूर्ण समभाग में एकत्र कर समभाग घृत में भूनकर दुगुनी मिश्री की चाशनी में पाक करके रखलें । 12 से 24 ग्राम तक सुबह-शाम गरम दूध से सेवन करें। अतीव गुणकारी योग है।  ( और पढ़े – माहवारी में अधिक रक्त स्राव के 15 घरेलु उपचार )

2. कृमि – कच्ची सुपारी को नींबू के रस में खूब घोटकर चन्दन निकलने पर पीने से आत्र के समस्त प्रकार के कृमि नष्ट हो जाते हैं।

3. दाद-खाज – कच्ची सुपारी की भस्म को मिट्टी के तैल में घोटकर लगाने से दाद-खाज और खुजली नष्ट हो जाती है। ( और पढ़े – दाद खाज खुजली के 7 रामबाण घरेलु उपचार)

4. जख्म – चाहे जैसा भी जख्म (व्रण) हो सुपारी को जलाकर इस भस्म को खूब बारीक पीस और छानकर घाव पर बुरक कर सरसों का तैल चुपड़ देने से घाव शीघ्र ही अच्छा हो जाता है ।

supari ke labh rogo ka upchar

5. सन्धिवात – सन्धिवात में अच्छी बड़ी-बड़ी सुपारी का चूर्ण कर रात्रि के समय जल में भिगो दें। इसमें से 12 ग्राम की मात्रा में प्रात:काल निकालकर सूखी इमली की लुगदी में रखकर निगल लेने से तथा ऊपर से गरम जल के कुछ घूंट पी लेने से, उत्तम साफ दस्त होकर सन्धिवात में जकड़न दूर हो जाती है।  ( और पढ़े –गठिया वात रोग के 13 रामबाण घरेलु उपचार )

6. दस्त – अच्छी पकी सुपारी का चूर्ण 8 ग्राम तथा इतना ही छोटी हरड़ और बबूल की पत्ती का चूर्ण लें । तीनों को मिट्टी के पात्र में 250 मि.ली जल मिलाकर आग पर पकावें, 60 मि.ली शेष रहने पर छान लें। इसे जितनी बार छानकर पिया जायेगा उतनी ही बार दस्त होंगे । विरेचनार्थ अति उत्तम प्रयोग है ।

7. वात रोग – उत्तम सुपारी का चूर्ण 480 ग्राम, लवंग, सफेद कत्था, इलायची, जावित्री और जायफल (प्रत्येक का चूर्ण 6 ग्राम) दालचीनी, नागकेशर और वच (प्रत्येक का चूर्ण 3-3 ग्राम) सभी को लेकर एकत्र कर सुरक्षित रखलें । इस चूर्ण को पान के बीड़े में रखकर दोनों समय खाने से वात सम्बन्धी समस्त विकारों का शमन होता है । यह योग अरुचि नाशक भी है।

8. दुर्बलता – सुपारी के टुकड़े कर घृत से चिकने किये हुए मिट्टी के मटके में डालकर ऊपर से सेंमर (शाल्मली) का स्वरस डाल दें । इसे 24 घंटे बाद प्रात:काल सेवन करने से धातुगत दुर्बलता नष्ट होकर | वीर्य पुष्ट हो जाता है । ( और पढ़े –वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )

9. गर्भ धारण – सुपारी और नागकेशर को बराबर-बराबर लेकर पीस-छानकर सुरक्षित रखलें। इसमें से 2-3 ग्राम चूर्ण मासिक धर्म के बाद 16 दिनों तक ताजा जल से सेवन करने से अवश्य ही गर्भ धारण हो जाता है तथा होने वाली सन्तान पुत्र ही होता है। अनुभूत योग है।

10. उपदंश के घावों का मलहम – 1 नग सुपारी की राख, 1 नग पीली कौड़ी की राख, कत्था 2 ग्राम, सैलखड़ी 2 ग्राम, नीलाथोथा 1 रत्ती लें। नोट – (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम)
सभी को कूट पीसकर कपड़छन कर (24 ग्राम गाय का घी या मक्खन को 108 बार कांसे की थाली में धोकर) धुले हुए घी में उपरोक्त औषधियाँ मिलाकर 1 बरतन में सुरक्षित रखलें । इस मलहम को लगाने से गर्मी के घाव अवश्य ही मिट जाते हैं।

11. स्त्री गुप्तरोग नाशक सुपारी पाक – चिकनी सुपारी के चूर्ण 1 पाव को 1 किलो गोदुग्ध में औटाकर खोवा बनालें । इसमें छोटी इलायची 48 ग्राम , केसर 12 ग्राम, ढाक के गोंद 60 ग्राम का महीन चूर्ण कर मिलालें तदुपरान्त आधा सेर मिश्री की दोतरी चाशनी बनाकर इसमें उपयुक्त मिश्रण को मिलाकर पाक बनाकर रखलें ।
इसे 12 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से श्वेत तथा रक्तप्रदर, बहुमूत्र, प्रमेह, सन्धिवात नष्ट हो जाता है । निर्बल स्त्रियों को अपूर्व बलकारक योग है।

12. उपदंश : उपदंश रोग में रोगी व्यक्ति के लिंग पर जख्म हो जाने पर सुपारी को पानी में घिसकर लेप करने से उपदंश जख्म ठीक हो जाता है।

13. दस्त :

  • सुपारी के छोटे-छोटे टुकड़े करके 1 गिलास पानी में उबालें। पानी के आधा रहने पर छानकर पी लें। ऐसा सुबह-शाम रोजाना करने से मेदा (आमाशय) और आंतों की कमजोरी से होने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।
  • 10 ग्राम सुपारी को मोटा-मोटा पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में उबालने के लिए रख दें। उबलने पर आधा पानी रह जाने पर सुबह-शाम इस पानी को पीने से दस्त ठीक हो जाते हैं।

14. मुंह के रोग : 10-10 ग्राम बड़ी इलायची और सुपारी को जलाकर मुंह में छिड़कने से मुंह के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।

15. दांतों का दर्द : दांतों में किसी प्रकार का दर्द, दांत का हिलना, खून निकलना व सूजन में आराम के लिये सुपारी को जलाकर उसका मंजन बना लें। इससे रोजाना सुबह-शाम मंजन करने से दांत के दर्द में बहुत लाभ मिलता है।

16. दांतों को मजबूत बनाना : 50 ग्राम सुपारी को जलाकर इसमें 150 ग्राम खड़िया मिला लें। इससे सुबह-शाम दांत साफ करने से दांत चमकदार और मजबूत बन जाते हैं।

17. दांतों में कीड़े लगना : सुपारी को जलाकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से दांतों पर जमा हुआ मैल तथा कीड़े खत्म हो जाते हैं।

18. पायरिया : सुपारी को जलाकर मंजन बना लें। इस मंजन से रोजाना 2 बार दांत साफ करने से दांत व मसूढ़ों के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।

19. आमातिसार : आमातिसार (ऑवयुक्त दस्त) के रोगी को चौथाई से आधी सुपारी का चूर्ण बनाकर सेवन कराने से लाभ मिलता है।

20. पेट के कीड़ों के लिए : लगभग 5 ग्राम कच्ची सुपारी को पीसकर 7 से 14 मिलीलीटर जंबारी रस में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

21. उपदंश : सुपारी का चूर्ण उपदंश के घाव पर बुरकने या लगाने से घाव ठीक हो जाते हैं।

22. त्वचा के रोग : सुपारी को पानी के साथ घिसकर लेप करने से खाज-खुजली, विसर्प और चकत्ते जैसे रोग दूर हो जाते हैं। सुपारी की राख को तिल के तेल में मिलाकर त्वचा पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

23. कुष्ठ (कोढ़) : इन्द्रायण की जड़ और सुपारी को मिलाकर खाने से सफेद कोढ़ मिट जाता है।

24. नाभि रोग (नाभि का पकना) : चिकनी सुपारी को पानी में घिसकर नाभि पर लगाने से नाभि से खून व पीब का निकलना बंद हो जाता है।

25. मसूढ़ों के रोग में :

  • मसूढ़ों की सूजन में सुपारी को जलाकर इसका बारीक पाउडर (मंजन) बनाकर दांतों और मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों का ढीलापन खत्म हो जाता है।  
  • 1 ग्राम जल सुपारी का चूर्ण, 1 ग्राम फिटकरी, 2 ग्राम सेलखड़ी तथा 1 ग्राम कत्था को बारीक पीसकर पाउडर बना लें। इस बने हुए पाउडर को मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन व उसके सभी रोग मिट जाते हैं।
  • मसूढ़ों से खून, दर्द व पीब निकलने पर सुपारी एवं कत्था बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। रोजाना 2 बार इससे मंजन करने से लाभ मिलता है।

26. वमन (उल्टी) :

  • सुपारी और हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 2 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ लेने से उल्टी होने के रोग में लाभ होता है।  

सुपारी और हल्दी के चूर्ण को शक्कर के साथ मिलाकर फंकी की तरह लेने से उल्टी होना रुक जाती है।

सुपारी खाने के नुकसान : supari khane ke fayde

  • यह सीने को खूरखूरा करती है।
  • गुर्दे की पथरी वाले रोगी को तथा मूत्राशय को हानिकारक है।
  • कौलन्ज पैदा करती है।
  • कतीरा, इलायची तथा गरम और तर वस्तुएँ इसका विकल्प हैं।

Read the English translation of this article here Betel Nut (Supari): 16 Amazing Uses, Benefits and Side Effects

अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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