Last Updated on November 21, 2019 by admin
औषधीय गुणों से मालामाल हरड़ (हरीतिकी) के चमत्कारी लाभ
★ आयुर्वेद निघण्टु के अनुसार हरड़ में पांच रस होते हैं । विशेष रूप से कसैला रस अधिक होता है ।
★ यह सूखी, गरम, उदराग्नि-वर्द्धक, बुद्धि को हितकारी, आँव को पचाने वाली, नेत्रों को हितकारी, हल्की, आयुवर्धक, पुष्टिकारक और वायु को शान्त करने वाली है ।( और पढ़ें – शक्तिवर्धक कुछ खास प्रयोग )
★ यह श्वांस, खाँसी, प्रमेह, बवासीर, कुष्ठ, सूजन, उदर रोग, कृमि, स्वरभंग, ग्रहणी, विषम-ज्वर, गुल्म, आध्यमान, विबन्ध, व्रण, वमन, हिचकी कण्ठ और हृदय के रोग, कामला,शूल, अनाह, प्लीहा व यकृत के रोग, पथरी मूत्र कृच्छ और मूत्राघात आदि रोगों को दूर करने वाली है। ये सारे गुण आँवले में भी होते हैं परन्तु आँवले में विशेषता यह है कि वह प्रमेह को भी दूर करने वाला एवं अत्यधिक धातुबर्द्धक रसायन भी है। ( और पढ़ें – आंवले के स्वास्थ्य वर्धक व्यंजन )
★ चबाकर खाई हुई हरड़ अग्नि को बढ़ाती है । पीसकर खाई हुई हरड़ दस्त लाती है । उबाल कर खाई हुई हरड़ दस्त बन्द करती है । भून कर खाई हुई हरड़ तीनों दोषों को नष्ट करती है।
★ भोजन के साथ खाई हुई हरड़ बुद्धि, बल तथा इन्द्रियों को प्रसन्न करती है और वात, पित्त, कफ को नष्ट करती है। मल मूत्र आदि विकारों को निकालने वाली है। भोजन के बाद में खाई हुई हरड़ मिथ्या अन्न से होने वाले वात, पित्त एवं कफ को दूर करती है ।
★ हरड़ नमक के साथ खावें तो कफ को, शक्कर के साथ लें तो पित्त को, घृत के साथ वात-विकारों को और गुड़ के साथ सब रोगों को दूर करती है ।
★ वर्षा ऋतु में हरड़ को नमक से, शरद में शक्कर से, हेमन्त में सोंठ से, शिशिर में पीपल के साथ, बसन्त में मधु के साथ और ग्रीष्म में गुड़ के साथ सेवन करना चाहिये। ( और पढ़ें – गर्मी मे निरोगी रहने के उपाय )
नोट–जो मनुष्य मार्ग चलने से थका हो, बल रहित कृश व रुक्ष हो अथवा भूख के या उपवास के कारण कृश हो गया हो, अधिक पित्त वाला हो अथवा जिसका रक्त निकाला गया हो और जो स्त्री गर्भिणी हो, उसको हरड़ का सेवन नहीं करना चाहिए ।
आयुर्वेद के अनुसार हरड़ में पाँच रस हैं और यह माता के दूध के समान हितकारी मानी गई हैं, अत: इसका सेवन नित्य करना चाहिये, क्योंकि यह षटरस भोजन का ही अंग है । रोग निवारण तो इसके गुणों से अपने आप होते हैं।
विशेष : अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित हरड़ की गुणकारी औषधियां |
1) हिंगादि हरड़ चूर्ण(Hingadi Harad Churna)
2) हरड रसायन योग( Achyutaya hariom Harad Rasayan Tablet )
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |