Last Updated on July 22, 2019 by admin
किडनी में दर्द (वृक्कशूल) के कारण: kidni me dard ke karan
इसे अंग्रेजी में ‘रीनल कांलिक’ (Renal Calic) के नाम से जाना जाता है । इस रोग में जब पथरी वृक्क(किडनी/kidney) में होती है तो रोगी की कमर में धीमा-धीमा दर्द प्रतीत होता है किन्तु जब यह पथरी गुर्दे से निकल कर मूत्र प्रणाली (गवीनी) (Ureter) में पहुँचकर फँस जाती है तो रोगी को तड़पा देने वाला दर्द होने लग जाता है । यह दर्द वृक्कों के स्थान से प्रारम्भ होकर पुरुषों में खसियों (वृषणों या अन्डकोषों) तक और स्त्रियों में गुप्तांगों और जाँघों तक पहुँचता है।
किडनी में दर्द के लक्षण : kidni me dard ke lakshan
✦इस रोग में मूत्र बार-बार आता है तथा मूत्र में रक्त भी आ सकता है तथा यह दर्द तब तक होता रहता है जब तक कि पथरी गवीनी से चलकर मूत्राशय(urinary bladder) में नहीं पहुँच जाती है ।
✦रोगी को मितली और कै भी आती है। यह दर्द कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकता है ।
✦एक्स-रे लेने पर पथरी का प्रमाण मिल जाता है। तथा पथरी खश-खश के दाने से लेकर नारंगी जितने आकार तक की हो सकती है। बड़ी पथरी में शल्य क्रिया आवश्यक है। छोटी पथरी को खाने की औषधियों से निकाला तथा पुनः-पुनः (बार-बार) बनने से रोका जा सकता है।
किडनी में दर्द के घरेलू इलाज / उपचार : kidni ke dard ka gharelu ilaj
1- गुर्दे का दर्द होने पर रोगी को गरम पानी के टब में इतना पानी भरकर बिठायें कि उसका गुप्तांग पानी में डूबा रहे तथा छाती व अन्य शरीर पानी से बाहर रहे। मूत्र आने पर रोगी मूत्र को रोके रखकर थोड़ी देर बार जोर लगाकर (पानी में ही) मूत्र निकालें ताकि कंकड़, रेत या पथरी (जोर लगाकर) मूत्र त्याग के साथ ही निकल जाये । ( और पढ़े – पथरी बन्ने के कारण व उससे छुटकारा पाने के असरकारक प्रयोग )
2-कई बार बिस्तर में लेटे-लेटे ही इधर-उधर करवट बदलने से भी पथरी वृक्क में वापस अथवा मूत्राशय में सरलतापूर्वक (आसानी से) पहुँच जाती है।
3- कैस्टर आयल 30 मि.ली. गरम दूध में मिलाकर पिलायें तथा एक लीटर गरम पानी में 30 मि.ली. कैस्टर आयल में मिलाकर एनिमा करें । ( और पढ़े – पथरी के सबसे असरकारक 34 घरेलु उपचार)
4- लाल मिर्च पानी में पीसकर पीठ पर गुर्दो के स्थान पर लेप करने तथा मात्र एक ही मिनट के बाद पानी से धोकर घी मल देने से किडनी के दर्द (वृक्कशूल) में लाभ हो जाता है। यह योग 80% सफल रहता है।
5-पिसी हुई हल्दी और थोड़ा गरम पानी मिलाकर लेप बनाकर गुर्दो के स्थान पर लगाना भी वृक्क शूल में अत्यन्त लाभकारी है। ( और पढ़े –पेशाब रुक जाने के 24 रामबाण घरेलु उपचार )
6-गरम पानी की बोतल पीठ व पेट पर वृक्कशूल के समय सेक (टकोर) करें वृक्क शूल में लाभ होता है।
7- दाना-ए-फरंग (Malachite) रत्न की अंगूठी पहनना किडनी के दर्द (वृक्कशूल) में लाभकारी है ।
8- जवाखार (यवक्षार), लोटा सज्जी, कच्चा सुहागा, कच्चा नौशादर, काली मिर्च, सेंधा नमक, खाने वाला नमक, हीरा हींग, कलंगी, शोरा प्रत्येक औषधि पीस व छानकर (सम मात्रा में मिलाकर) उसमें तेज विलायती सिरका चटनी बनाकर 15-15 मिनट के अन्तराल से 3 ग्राम की मात्रा में 2-3 बार सेवन करानी किडनी के दर्द (वृक्कशूल)में अत्यन्त लाभप्रद है।
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(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें )