Last Updated on January 13, 2017 by admin
१) ठंडे पानी से स्नान करते समय पहेल सिर पर पानी डालें फिर पूरे शरीर पर, ताकि सिर आदि शरीर के ऊपरी भागों की गर्मी पैरों से निकल जाये।
२) दौड़कर आने पर, पसीना निकलने पर तथा भोजन के तुरंत पहले तथा बाद में स्नान नहीं करना चाहिए। भोजन के तीन घंटे बाद स्नान कर सकते हैं।
३) भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी पीना पुष्टिदायक है और भोजन के एक घंटे बाद पानी पीना अमृततुल्य माना जाता है। प्रायः भोजन के बीच थोड़ा-थोड़ा करके एक गिलास (250 मि.ली.) पानी पीना पर्याप्त है। भोजन के आरम्भ में और भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
४)पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके भोजन करने से क्रमश- दीर्घायु और सत्य की प्राप्ति होती है। भूमि पर बैठकर भोजन न करें, चलते-फिरते कभी न करें। किसी के साथ एक पात्र में तथा अपवित्र मनुष्य के निकट बैठकर भोजन करना निषिद्ध है।
५)अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।
६)दूध के साथ नमक, दही, लहसुन, मूली, गुड़, तिल, नींबू तथा केला, पपीता आदि सभी प्रकार के फल, आइसक्रीम, तुलसी व अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। ये विरुद्ध आहार हैं। रात को फल नहीं खाने चाहिए।
७)शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9से12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढककर रखी हुई दूध-चावल अथवा दूध-पोहे की खीर अवश्य खानी चाहिए। यह सर्वप्रिय, शीतल, पित्तशामक, मेदवर्धक, शक्तिदायक तथा वातपित्त, रक्तपित्त, मंदाग्नि व अरुचि का नाश करने वाला सात्त्विक आहार है।
Sant Shri Asaram ji Ashram (Tejasvi Bano Book)