Last Updated on May 23, 2024 by admin
खस क्या होता है ? : khas grass in Hindi
खस एक पौधा होता है जिसे आम बोल-चाल के भाषा में पोस्त दाना भी कहते हैं। इसके पौधे झीलों के आस-पास एवं पानी वाली जमीन, तालाब, नदी आदि के किनारे अपने आप उग आते हैं। खस के पौधे गुच्छे में उगते हैं। गांडर (वीरस, सींक) नामक घास की जड़ को ही खस कहते हैं।
खस का पौधा कैसा होता है ?
खस घास के पौधे 5 से 6 फुट ऊंचे होते हैं। खस के पत्ते सरकंडे के पत्तों के समान होते हैं। खस के पत्ते 1 से 2 फुट लंबे और 3 इंच तक चौड़े होते हैं। इसके पत्ते सीधे होते हैं और ऊपर की ओर चिकने व भीतर की और रोएं होते हैं।
इसके तने खुशबूदार और 2 से 5 फुट ऊंचे होते हैं। इसमें हरे, पीले और लाल रंग के फूल लगते हैं जिसकी डंडी 4 से 12 इंच लंबी होती है। फूल बरसात के मौसम में लगते हैं और फूल लगने के बाद फल आते हैं।
खस की जड़ें पतली मोटे धागे की तरह होती है जो जमीन में 2 फुट से भी ज्यादा की गहराई तक जाती हैं। जड़ का रंग पीला और हल्का भूरा होता है। जड़ से छोटे-छोटे अनेक रोम लगे होते हैं।
खस की गीली जड़ ज्यादा और सूखी जड़ कम सुगंधित होती है। गर्मी के दिनों में खस का सबसे ज्यादा प्रयोग खिड़की व दरवाजों को ढकने के लिए किया जाता है। इस पर पानी छिड़कने से गर्मी शांत होती है और वातावरण खुशबूदार बनता है। इसके अलावा जड़ों से सेंट, तेल भी बनाया जाता है। इसका प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
खस के गुण : khas ke gun in hindi
- खस का रस मीठा, कडुवा, तिखा, गुण में लघु व रूखा होता है।
- इसकी प्रकृति शीतल होती है।
- खस के प्रयोग से शरीर की जलन व प्यास शांत होती है।
- बुखार होने, उल्टी आने, खून की खराबी, दस्त रोग, हृदय के रोग, त्वचा रोग एवं बच्चों के रोग आदि को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
- इसके प्रयोग से धातुदोष दूर होता है।
सेवन की मात्रा :
खस की जड़ का चूर्ण 2 से 6 ग्राम की मात्रा में और रस 10 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
खस के फायदे और उपयोग : khas ke fayde aur upyog in hindi
1. जलन: शरीर के किसी भी भाग में जलन होने पर सफेद चन्दन और खस की जड़ को बराबर मात्रा लेकर पीस लें और तैयार लेप को जलन वाले भाग पर लगाएं। इससे जलन शांत होती है। इसका प्रयोग आग से जल जाने पर भी किया जाता है।
2. पेशाब की जलन: खस की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी के साथ खाने से पेशाब की जलन दूर होती है। इसके सेवन से पेशाब की रुकावट भी दूर होती है।
3. बुखार: खस की जड़ का काढ़ा बनाकर 4-4 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से बुखार ठीक होता है। इसके सेवन से अधिक पसीना आता है और पसीने के साथ बुखार भी ठीक हो जाता है।
4. हृदय का दर्द /Heartache: खस की जड़ का चूर्ण और पिप्पली का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ लेने से हृदय का दर्द दूर होता है।
5. धातु (वीर्य) की कमी: खस की जड़, तालमखाना और सफेद चन्दन इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 1-1 चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ सुबह-शाम रोजाना 4 से 6 हफ्ते सेवन करने से वीर्य की कमी दूर होती है।
6. बच्चों का दस्त/Children’s diarrhea: यदि बच्चे को बार-बार दस्त आ रहा हो तो खस के चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और आधा चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं। इससे दस्त रोग ठीक होता है।
7. त्वचा रोग /skin disease:
- खस का शर्बत बनाकर रोजाना पीने से गर्मी के मौसम में उत्पन्न होने वाले सभी त्वचा रोग दूर होते हैं।
- गर्मी के मौसम में होने वाले त्वचा रोगों में खसखस का शर्बत बनाकर रोजाना पीना चाहिए। इससे त्वचा रोग ठीक होता है। यह इन्फैक्शन (संक्रमण) से होने वाले त्वचा रोग और बच्चों के त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुन्सियां भी ठीक होती है।
8. दस्त /Diarrhea: यदि बार-बार दस्त आते हों तो 2 चम्मच खसखस को पानी के साथ पीसकर और दही में मिलाकर 6-6 घण्टे के अंतर पर लेते रहें। इससे दस्त रोग ठीक होता है। इसके प्रयोग से पेचिश, दस्त और पेट दर्द भी ठीक होता है। खसखस की खीर बनाकर खाने से भी लाभ होता है।
9. पसीना अधिक आना /sweat : खस की जड़, कमल के पत्ते और लोध्र की छाल को बराबर मात्रा में लें और पीसकर लेप बना लें। इस लेप को शरीर पर मलने से गर्मी के दिनों में अधिक पसीना आना कम होता है।
10. घमौरियां: 20 ग्राम खसखस को पानी के साथ पीसकर त्वचा पर लगाने से और 2 चम्मच खसखस का शर्बत 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से घमौरियां नष्ट होती है।
11. साइटिका (गृध्रसी): साइटिका के दर्द से पीड़ित रोगी को खस का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से साइटिका का दर्द में आराम मिलता है।
12. गले का दर्द / Throat pain: खस का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले का दर्द समाप्त होता है और आवाज भी साफ होता है।
13. खांसी / cough: सूखी खांसी का रोग होने पर खस के चूर्ण 1 से 2 ग्राम और गुड़ 10 ग्राम को मिलाकर सरसों के तेल के साथ आग पर गर्म करके सुबह-शाम चाटना चाहिए। इसे चाटने से खांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है। गुड़ एवं सरसों का तेल प्रयोग करने से भी खांसी ठीक होती है लेकिन इसमें खस भी मिला देने से यह खांसी के लिए अत्यंत लाभकारी औषधि बन जाती है। खांसी को दूर करने के साथ यह नीन्द भी अच्छी लाती है।
14. उर:क्षत (छाती का घाव): पोस्तादाना (खस) 30 ग्राम और ईसबगोल 10 ग्राम को 500 मिलीलीटर पानी के साथ मिलाकर आग पर पकाएं और यह पकते-पकते जब आधा हो जाए तो इसे उतारकर छान लें। इस गाढ़े काढ़े को किसी कलईदार बर्तन में रखकर उसमें आधा किलो मिश्री, 9 ग्राम खसखस तथा 9 ग्राम बबूल का गोंद मिलाकर पीस लें। अब इस मिश्रण को थोड़ी देर आग पर पकाएं और जब यह कुछ गाढ़ा हो जाए तो इसे एक चीनी मिट्टी या कांच के बर्तन में भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। इसे 50-50 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करते रहने से कुछ दिनों में ही गम्भीर उर:क्षत रोग ठीक हो जाता है।
15. सिर की रूसी / dandruff: खसखस को दूध या पानी में मिलाकर बालों में मालिश करने से रूसी कम होती है।
16. चोट /Injury:
- चोट लगने, मोच आने, सूजन आने या कहीं छिल जाने पर खस का काढ़ा बनाकर उस स्थान को सेंकने से लाभ मिलता है।
- चोट या मोच के दर्द में खस के दाने को पीसकर लेप बनाकर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
17. घाव / wound:
- यदि किसी को घाव हो गया हो तो खसखस, कुन्दरू का तेल और सफेद मोम को हल्के आग पर पिघलाकर व छानकर घाव पर लगाना चाहिए। इससे घाव जल्दी ठीक होता है।
- खसखस, लोहबान का तेल और सफेद मोम मिलाकर हल्की आग पर पिघलाकर मलहम बना लें और इस मलहम को घाव पर लगाएं। इससे घाव सूख जाते हैं।
18. प्रदर रोग /Leucorrhoea : प्रदर रोग से पीड़ित स्त्री को 10 ग्राम खस, 10 ग्राम कमलगट्टे की गिरी और 15 ग्राम सफेद चन्दन, इस सभी को पानी के साथ पीसकर रख लें। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चावल के मांड़ के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
19. छींके अधिक आना: यदि अधिक छींक अधिक आती हो तो उसे 12 ग्राम खसखस को 120 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबलना चाहिए और उससे निकलने वाले भाप को नाक से अन्दर खींचना चाहिए। इससे छींक का अधिक आना बंद होता है।
20. खसरा:
- खस, चन्दन एवं हल्दी बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें और इसमें गुलाबजल मिलाकर लेप बनालें। इसका लेप सुबह-शाम लगाने से खसरा ठीक होता है।
- खसरे के दाने निकलने पर खस को पीसकर त्वचा पर लेप करने से दाने में उत्पन्न जलन आदि शांत होती है।
21. रक्तविकार /blood disorders: खस की जड़ के चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से रक्तविकार (खून की खराबी) दूर होता है। इससे सिर दर्द भी ठीक होता है। यह स्वप्नदोष में भी लाभकारी होता है।
22. वातज्वर: वातज्वर होने पर रोगी को इन औषधियों से बने काढ़ा का सेवन करना चाहिए। खस, पिठवन, चिरायता, सोंठ, नागरमोथा, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, जवासा, गिलोय और बड़ा गोखुरू, इन सभी को 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह मोटा-मोटा कूट लें और फिर इसका काढ़ा बना लें। यह काढ़ा जब ठंडा हो जाए तो इसमें 3 ग्राम शहद मिलाकर दिन में 2 बार लगभग 3 से 4 दिन तक सेवन करें। इससे वातज्वर ठीक होता है।
23. सांस या दमा रोग /Asthma : खसखस के दाने 300 ग्राम और खस के डोडे 500 ग्राम दोनों को चीनी मिट्टी के बर्तन में 1 किलो पानी में रात को भिगों दें। सुबह इसे छानकर सिल या मिक्सी में पीस लें और फिर उसी छने हुए पानी के साथ मिलाकर फिर कपड़े से छान लें। अब इसे कड़ाही में डालकर कुछ गाढ़ा होने तक पकाए। जब यह गाढ़ा हो जाए तो इसमें 50 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर आग से उतार लें और किसी कांच के बर्तन में रख लें। इसे लगभग 4-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से दमा रोग ठीक होता है।
24. पेट का दर्द /Stomach ache: खस और पीपरा की जड़ को मिलाकर खाने से पेट का दर्द ठीक होता हैं।
25. चेचक (मसूरिका): चेचक से ग्रस्त रोगी के शरीर पर खस को पीसकर लेप करने से शरीर की जलन कम होती है।
26. मानसिक उन्माद (पागलपन): मानसिक पागलपन से ग्रस्त रोगी को खस के रस में चीनी मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे मस्तिष्क की गर्मी कम होकर पागलपन दूर होता है।
खस के दुष्प्रभाव : khas ke nuksan in hindi
खस के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं फिर भी इसे आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले ।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।